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चिन्मयानंद के भगोड़ा घोषित होने के बाद पीड़िता को मिलेगा न्याय? 11 साल से लटका है मामला

उत्तर प्रदेश के इस एक दशक पुराने केस में अबतक लगभग 150 से ज्यादा तारीखें पड़ चुकी हैं और चिन्मयानंद एक भी पेशी पर कोर्ट में हाज़िर नहीं हुआ है।
chinmayanand

यौन शोषण के मामले में आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया है। चिन्मयानंद के खिलाफ कोर्ट की ये कार्रवाई गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होने के बाद सामने आई है। कोर्ट ने इस आदेश की प्रति सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किए जाने के साथ ही पुलिस को 6 जनवरी 2023 तक चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने के हुक्म भी दिया है।

पूरा मामला उत्तर प्रदेश से जुड़ा है। बता दें कि साल 2011 में एक महिला ने स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण और उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। महिला स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी। हालांकि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सरकार ने उनके ख़िलाफ़ लगे इस मुक़दमे को वापस ले लिया था लेकिन पीड़ित पक्ष ने सरकार के इस फ़ैसले को अदालत में चुनौती दी थी। इस मामले के आठ साल बाद साल 2019 में शाहजहांपुर के एक लॉ कॉलेज की छात्रा ने भी चिन्मयानंद पर एक वीडियो संदेश के ज़रिए शोषण और धमकाने का आरोप लगाया था। वीडियो में छात्रा ने ख़ुद की और परिवार वालों की जान के ख़तरे की आशंका भी जताई थी। इस मामले में चिन्मयानंद जेल भी गया था और फिलहाल जमानत पर बाहर है।

संत समाज से लेकर राजनीति तक मज़बूत पकड़

ध्यान रहे कि इन दो मामलों के अलावा भी चिन्मयानंद के कथित सेक्स स्कैंडल और यौन शोषण की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। चिन्मयानंद साल 1989 में मुमुक्षु आश्रम का अधिष्ठाता बनने के बाद यहां से संचालित होने वाले सभी शिक्षण संस्थाओं का प्रमुख भी बन गया। शाहजहांपुर में बरेली रोड पर स्थित मुमुक्षु आश्रम से एक ही परिसर में पांच शिक्षण संस्थान संचालित होते हैं। क़रीब 21 एकड़ ज़मीन में फैले इस आश्रम परिसर में ही उसका निवास है जिसे 'दिव्य धाम' कहा जाता है। सभी संस्थानों में कुल मिलाकर क़रीब दस हज़ार के करीब छात्र यहां पढ़ते हैं।

चिन्मयानंद की हनक की बात करें, तो संत समाज से लेकर राजनीतिक क्षेत्र तक में उसकी मज़बूत पकड़ रही है। तीन बार सांसद और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में गृह राज्य मंत्री रहने के अलावा वो ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन और राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ा रहा है। इसके अलावा वो कई धार्मिक किताबें भी लिख चुका है। कुछ समय पहले तक उसकी गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती थी। बीजेपी के ठाकुर नेताओं से उसके बहुत ही क़रीबी रिश्ते रहे हैं। जानकारों की मानें तो उन्नाव से साक्षी महाराज को दोबारा टिकट दिलाने में भी उसकी अहम भूमिका थी।

महंत अवैद्यनाथ के बेहद क़रीबी होने के कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी चिन्मयानंद के बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ मुमुक्षु युवा महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम भी गए थे, जबकि उस वक़्त स्वामी चिन्मयानंद मुमुक्षु आश्रम की ही एक पूर्व साध्वी के यौन शोषण के केस का सामना कर रहा था। इस महोत्सव के दौरान ही एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें शाहजहांपुर के कुछ प्रशासनिक अधिकारी स्वामी चिन्मयानंद की आरती उतार रहे थे।

क्या है पूरा मामला?

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक साल 2011 में शाहजहांपुर जिले में चिन्मयानंद के आश्रम में रहने वाली एक महिला ने आरोप लगाते हुए कहा था कि साल 2005 में चिन्मयानंद के निर्देश पर उसे मुमुक्ष आश्रम लाया गया था, जहां नशीला पदार्थ खिलाने के बाद उसका यौन शोषण किया गया और वीडियो बना लिया गया। पीड़िता ने कहा था कि इस वीडियो के बल पर उसे ब्लैकमेल किया गया, इस बीच उसे दो बार गर्भपात भी कराना पड़ा।

महिला की शिकायत के बाद दिसंबर 2011 में मामले के जांच अधिकारी ने चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ बलात्कार और आपराधिक धमकी के तहत चार्जशीट दायर की। संबंधित मजिस्ट्रेट ने इसका संज्ञान भी लिया और अदालत की ओर से चिन्मयानंद को तलब किया गया। मामला कई सालों तक चलता रहा। इसके बाद चिन्मयानंद ने आरोप पत्र के साथ-साथ समन आदेश को चुनौती दी, जिस पर दिसंबर 2012 में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। मामले की कार्यवाही की और पीड़ित को नोटिस जारी किया। यह अंतरिम आदेश 2018 तक चला। इसके बाद चिन्मयानंद ने एक बार फिर केस को ही वापस लेने के लिए आवेदन दे दिया। हालांकि अदालत की ओर से इस आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया।

चिन्मयानंद ने पूरी न्यायिक प्रक्रिया का उड़ाया मखौल

साल 2017 में सत्ता में योगी सरकार के काबिज़ होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से शाहजहांपुर के मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा गया। पत्र में केस वापस लेने की बात कही गई। लेकिन शाहजहांपुर अदालत ने सरकार की इस अर्जी को भी खारिज कर दिया। जिसके खिलाफ चिन्मयानंद ने हाई कोर्ट में अपील की। जिस पर इस साल 30 सितंबर को योगी सरकार के इस आवेदन को रद्द करते हुए जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने कहा था, "हमारी क़ानून व्यवस्था में हम जाति, पंथ, धर्म, राजनीतिक संबद्धता, वित्तीय क्षमता के आधार पर नहीं चुनते। क़ानून सबके लिए एक होना चाहिए। ऊपर से नीचे तक, सभी के लिए।"

इसके बाद अदालत ने चिन्मयानंद को 30 अक्टूबर तक शाहजहांपुर कोर्ट में सरेंडर करने को कहा था, लेकिन वहां भी चिन्मयानंद नहीं पहुंचा। चिन्मयानंद के हाजिर न होने के कारण अदालत ने उनके खिलाफ पहले जमानती, फिर गैर जमानती वारंट जारी किया था। चिन्मयानंद इससे बचने के लिये सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन यहां भी सर्वोच्च अदालत ने राहत न देते हुए 30 नवंबर को हर हाल में शाहजहांपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। लेकिन चिन्मयानंद फिर भी पेश नहीं हुआ।

अब इसी मामले में एमपी एमएलए कोर्ट की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट असमा सुल्ताना की तरफ से चिन्मयानंद को फरार मानते हुए धारा-82 के तहत कार्रवाई करने और आदेश की कॉपी को चिन्मयानंद के घर के बाहर और सार्वजनिक स्थान पर चस्पा करने का आदेश दिया गया है। खबरों की मानें, तो इस 11 साल पुराने केस में अबतक लगभग 150 से ज्यादा तारीखें पड़ चुकी हैं। लेकिन पीड़िता को न्याय नहीं मिला है। साल 2011 से 2022 तक चिन्मयानंद एक भी पेशी पर कोर्ट में हाज़िर नहीं हुआ। कुल मिलाकर देखें, तो इस पूरे मामले में चिन्मयानंद ने पूरी न्याय प्रक्रिया का मखौल उड़ाया है, जिसे अब जाकर अदालत ने गंभीरता से लिया है।

इस्तेमाल की गईं तस्वीरें फाइल फोटो हैं और सोशल मीडिया से ली गई हैं।

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