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दिल्ली अग्निकांड के बाद प्रियजनों की तलाश में जुटे व्याकुल परिजन, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे शुरू और अन्य खबरें

पुलिस ने बताया कि कम से कम 27 लोगों की मौत हो गयी है और 12 घायल हैं। बहरहाल, उन्होंने मृतकों की अन्य जानकारियां जैसे कि लिंग या उम्र के बारे में नहीं बताया। यह आग मुंडका मेट्रो स्टेशन के पिलर नंबर 544 के निकट लगी।

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दिल्ली अग्निकांड: व्याकुल परिजन अपने प्रियजनों की तलाश में अस्पताल पहुंचे

नयी दिल्ली/भाषा: दिल्ली के मुंडका में एक व्यावसायिक इमारत में आग लगने की घटना के बाद व्याकुल परिजन अपने प्रियजनों की तलाश में शुक्रवार की रात संजय गांधी अस्पताल पहुंचे।
     
इनमें से एक, अजित तिवारी ने बताया कि उनकी बहन मोनिका (21) घटना के बाद से लापता है।
     
तिवारी ने कहा, ‘‘उसने पिछले महीने सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग ईकाई में काम शुरू किया था और बृहस्पतिवार को उसे पहली तनख्वाह मिली थी। हमें आग लगने के बारे में शाम पांच बजे सूचना मिली लेकिन यह अंदाजा नहीं था कि आग उसके कार्यालय की इमारत में ही लगी है। जब वह शाम सात बजे तक घर नहीं लौटी तो हमने उसकी तलाश शुरू की।’’
     
 उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की रहने वाली मोनिका अपने दो भाइयों और एक बहन के साथ दिल्ली के अगर नगर में रहती है। 
     
एक अन्य महिला अपनी बड़ी बेटी की तलाश में भटकती दिखी जो सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग ईकाई में ही काम करती है। महिला ने कहा, ‘‘मेरी बेटी पूजा पिछले तीन महीने से सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग ईकाई में काम कर रही है। हम मुबारकपुर में रहते हैं और हमें रात नौ बजे घटना के बारे में पता चला। उसकी बायीं आंख के नीचे कटे हुए का निशान है। हम विभिन्न अस्पतालों में उसकी तलाश कर रहे हैं। उसकी दो छोटी बहनें एक स्कूल में पढ़ती हैं।’’
     
पुलिस ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी के पश्चिमी इलाके में मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास स्थित तीन मंजिला व्यावसायिक इमारत में शुक्रवार की शाम आग लगने से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य झुलस गए।
     
उन्होंने बताया कि इमारत से करीब 60-70 लोगों को बचाया गया है। कुछ लोग अब भी फंसे हुए हैं।
     
एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि उसकी एक रिश्तेदार लापता है।
     
पुलिस ने बताया कि कम से कम 27 लोगों की मौत हो गयी है और 12 घायल हैं। बहरहाल, उन्होंने मृतकों की अन्य जानकारियां जैसे कि लिंग या उम्र के बारे में नहीं बताया। यह आग मुंडका मेट्रो स्टेशन के पिलर नंबर 544 के निकट लगी।

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कार्य शुरू

वाराणसी/भाषा: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य शनिवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एक बार फिर शुरू हो गया। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने यह जानकारी दी।
     
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “अधिकृत व्यक्ति, जिनमें सभी पक्ष, उनके वकील, अधिवक्ता आयुक्त और वीडियोग्राफर शामिल हैं, मौके पर पहुंच गए हैं। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण शुरू हो गया है।” 
     
ज्ञानवापी मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ धाम के करीब स्थित है और स्थानीय अदालत महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी बाहरी दीवारों पर मूर्तियों के सामने दैनिक प्रार्थना की अनुमति मांगने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही है।
     
जिलाधिकारी शर्मा ने इससे पहले कहा था कि शुक्रवार को सभी संबंधित पक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें उनसे अदालत द्वारा गठित आयोग के काम में अवरोध उत्पन्न न करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग देने की अपील की गई थी। 
     
वाराणसी के पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने भी ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य शुरू हो गया है।
     
दीवानी अदालत के न्यायाधीश (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर ने बृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी सर्वे कराने और इस कार्य के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को नहीं हटाने का निर्णय लिया था।
     
इससे पहले, ज्ञानवापी मस्जिद का रख-रखाव करने वाली संस्था ‘अंजुमन इंतजामिया मसाजिद’ के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा था, “हमने सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत द्वारा बृहस्पतिवार को पारित आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। न्यायालय ने कहा है कि वह इस पर कोई आदेश देने से पहले सभी फाइलें देखेगा। अगर वह इस मामले पर कोई आदेश नहीं देता है तो हम उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।”
     
यासीन ने कहा था, “तब तक हम जिला अदालत द्वारा दिए गए आदेश के पालन में सहयोग करेंगे।”
     
वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने कहा था कि जिला अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने के बारे में अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सभी से राय-मशिवरे के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
     
उल्लेखनीय है कि वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कराने के लिए नियुक्त अधिवक्ता अयुक्त को पक्षपात के आरोप में हटाने की मांग संबंधी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी थी। अदालत ने स्पष्ट किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
     
दीवानी अदालत के न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) दिवाकर ने अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को हटाने संबंधी याचिका को नामंजूर करते हुए विशाल सिंह को विशेष अधिवक्ता आयुक्त और अजय प्रताप सिंह को सहायक अधिवक्ता आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया था। उसने संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी करके 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।

मध्य प्रदेश के गुना में बदमाशों ने तीन पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या की

भोपाल/भाषा: मध्य प्रदेश के गुना जिले में शनिवार तड़के बदमाशों ने तीन पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी। राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यह जानकारी दी।
     
उन्होंने बताया कि यह घटना राजधानी भोपाल से करीब 160 किलोमीटर दूर आरोन पुलिस थाने के तहत आने वाले क्षेत्र में तड़के करीब तीन बजे हुई, जब पुलिसकर्मी बदमाशों को पकड़ने गए थे।
     
गृह मंत्री ने पत्रकारों को बताया, ‘‘कुछ बदमाशों की मौजूदगी की खुफिया सूचना मिलने पर पुलिस का एक दल गुना जिले में आरोन पुलिस थाने के तहत आने वाले एक स्थान पर पहुंचा। पुलिसकर्मियों ने बदमाशों को चारों ओर से घेर लिया, जिसके बाद उन्होंने पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें तीन पुलिसकर्मी मारे गए।’’

सूत्रों ने बताया कि पुलिस दल ऐसी खबरें मिलने के बाद घटनास्थल पर पहुंचा था कि दुर्लभ प्रजाति के चार हिरणों को कुछ बदमाशों ने मार डाला है।
     
मिश्रा के मुताबिक, गोलीबारी में पुलिस सब-इंस्पेक्टर राजकुमार जाटव और दो कांस्टेबल निलेश भार्गव तथा संतराम मीणा की मौत हो गई।
     
उन्होंने कहा, ‘‘यह घटना दुखद और हृदय विदारक है। अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे एक मिसाल कायम होगी।’’
     
इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस घटना के संबंध में अपने आवास पर सुबह साढ़े नौ बजे एक उच्च स्तरीय आपातकालीन बैठक करेंगे।
     
अधिकारी के अनुसार, डीजीपी, गृह मंत्री, मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बैठक में शामिल होंगे।

भारत ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई

नयी दिल्ली/भाषा: भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है।

हालांकि, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को जारी अधिसूचना में कहा, ‘‘इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं, उसके निर्यात की अनुमति होगी।’’

डीजीएफटी ने कहा, ‘‘गेहूं की निर्यात नीति पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाता है...।’’ उसने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी।

एक अलग अधिसूचना में डीजीएफटी ने प्याज के बीज के लिए निर्यात शर्तों को आसान बनाने की घोषणा की। डीजीएफटी ने कहा, ‘‘प्याज के बीज की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से सीमित श्रेणी के तहत रखा जाता है।’’ पहले प्याज के बीज का निर्यात प्रतिबंधित था।

इस सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ईंधन और खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान के मद्देनजर निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है। रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक रहे हैं।

मजबूत वैश्विक मांग के कारण 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात बढ़कर 70 लाख टन यानी 2.05 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। डीजीएफटी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत खेप बांग्लादेश भेजी गई थी। पिछले साल इसी अवधि में 1,30,000 टन के मुकाबले देश ने इस साल लगभग 9,63,000 टन गेहूं का निर्यात किया।

भारत को 2022-23 में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करने की उम्मीद थी। वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि भारत गेहूं के निर्यात की खेप को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए नौ देशों-मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, अल्जीरिया और लेबनान में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजेगा।

निजी व्यापारियों द्वारा भारी उठान और पंजाब-हरियाणा में कम आवक के कारण मौजूदा रबी विपणन सत्र में एक मई तक भारत की गेहूं खरीद भी 44 प्रतिशत घटकर 1.62 लाख टन रह गई है। सरकार ने एक साल पहले की अवधि में 2.88 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है।

निर्यात के लिए अनाज की बढ़ती मांग के बीच निजी कंपनियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक कीमत पर गेहूं खरीदा है। केंद्र ने विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 4.44 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह 4.33 लाख टन था।

केंद्रीय पूल के लिए कम खरीद के बीच केंद्र ने थोक उपभोक्ताओं को मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री रोक दी है और उन्हें अनाज खरीदने के लिए योजना के शुरू होने की प्रतीक्षा नहीं करने को कहा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं का रिकॉर्ड 11.13 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है।
 

आधार को मतदाता सूची से जोड़ने पर नियम जल्द जारी हो सकते हैं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त

नयी दिल्ली/ भाषा: मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि सरकार आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़ने पर नियम जल्द ही जारी कर सकती है। उन्होंने कहा कि मतदाताओं के लिए आधार की जानकारियां साझा करना स्वैच्छिक होगा लेकिन ऐसा न करने वाले लोगों को ‘‘पर्याप्त वजहें’’ बतानी होगी।

चंद्रा ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने उन पांच राज्यों में टीकाकरण अभियान में तेजी लाने में अहम भूमिका निभायी, जहां इस साल मार्च में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया ताकि मतदाता और चुनाव ड्यूटी में शामिल लोग कोरोना वायरस से सुरक्षित रंहे। चंद्रा शनिवार की शाम को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि बतौर सीईसी उनके कार्यकाल में जो दो प्रमुख चुनावी सुधार हुए, उनमें 18 साल की आयु वाले मतदाताओं को पंजीकरण कराने के लिए एक के बजाय साल में चार तारीख उपलब्ध कराने का प्रावधान और मतदाता सूची में नकली प्रविष्टियों पर लगाम लगाने के लिए आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़ना शामिल है।

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चंद्रा ने कहा, ‘‘पहले हर साल एक जनवरी कट-ऑफ तारीख होती थी। हमने सरकार को आश्वस्त किया कि यह सुधार बहुत आवश्यक है और इन लोगों का जल्द से जल्द पंजीकरण होना चाहिए क्योंकि वे 18 साल के हो गए हैं। इस सुधार के साथ अब उन लोगों को पंजीकरण के लिए एक साल में चार तिथियां मिलेगी जिनकी उम्र 18 साल हो गई है। यह सुधार पिछले 20 वर्षों से लंबित था।’’

अभी तक एक जनवरी को या उससे पहले 18 साल के होने वाले लोग मतदाता के तौर पर पंजीकरण करा सकते थे। इससे, दो जनवरी को या उसके बाद 18 साल के होने वाले लोगों को मतदाता के तौर पर पंजीकरण कराने के लिए एक साल इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब एक बार नियम जारी हो जाने के बाद युवा लोग हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर मतदाताओं के तौर पर पंजीकरण करा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा सबसे बड़ा सुधार आधार को मतदाता सूची से जोड़ना है ताकि नकली प्रविष्टियों पर रोक लगायी जा सके। इससे मतदाता सूची साफ-सुथरी हो जाएगी तथा और अधिक मजबूत बनेगी।’’

यह पूछने पर कि सरकार कब नियमों को अधिसूचित करेगी, चंद्रा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि बहुत जल्द.... क्योंकि हमने इस संबंध में पहले ही प्रस्ताव का मसौदा भेज दिया है। हमने फॉर्म भी भेज दिए हैं जिनमें बदलाव होने हैं और ये विधि मंत्रालय के पास हैं। मुझे लगता है कि बहुत जल्द इन्हें मंजूरी मिल जाएगी। हमने भी अपनी आईटी प्रणाली मजबूत की है।’’

यह पूछने पर कि क्या आधार की जानकारियां साझा करना स्वैच्छिक होगा, उन्होंने सकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्वैच्छिक होगा। लेकिन मतदाताओं को अपना आधार नंबर न देने के लिए पर्याप्त वजह बतानी होगी। इस वजह में, आधार न होना या उसके लिए आवेदन न करना या कोई अन्य वजह हो सकती है।’’

चंद्रा का मानना है कि आधार नंबर साझा करने से मतदाता सूची को त्रुटि-रहित बनाने में मदद मिलेगी। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि चुनाव आयोग अपनी संचार प्रणाली के जरिए मतदाताओं को अधिक सेवाएं मुहैया कराए।

बतौर सीईसी सबसे बड़ी चुनौती के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सबसे ‘‘मुश्किल’’ चुनौती कोविड-19 के दौरान पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने और विभिन्न उपचुनाव कराने की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि जब चुनावों का समय नजदीक आ रहा था तो हमने उस वक्त कभी नहीं सोचा था कि कोविड के मामले बढ़ने लगेंगे। अचानक हमें कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन का पता चला। हमें तैयारी करनी पड़ी क्योंकि कोई भी इस स्वरूप के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। इसलिए अचानक हमें मतदान प्रक्रिया और चुनावी तंत्र को सुरक्षित बनाने की तैयारी करनी पड़ी।’’

इस दौरान निर्वाचन आयोग ने टीकाकारण की प्रक्रिया तेज कर दी और सुरक्षा बलों समेत अपने चुनावी कर्मियों को बूस्टर खुराक दी।

यह पूछने पर कि क्या पांच राज्यों में टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए निर्वाचन आयोग जिम्मेदार है, चंद्रा ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर। जिन राज्यों में यह कम था... खासतौर से उत्तर प्रदेश, पंजाब और मणिपुर, वहां हमने हालात की समीक्षा की और मुख्य सचिवों तथा स्वास्थ्य सचिवों को टीकाकरण अभियान तेज करने के लिए कहा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक खुराक दी जानी चाहिए थी। अगर पहली खुराक ले ली है तो दूसरी खुराक देनी थी। उत्तर प्रदेश में 100 प्रतिशत लोगों ने पहली खुराक ले ली। पंजाब और मणिपुर में भी टीकाकरण की दर बढ़ायी गयी। हमने इन राज्यों में चुनावों के दौरान ओमीक्रोन के प्रसार को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाया ताकि मतदाता और मतदान प्रक्रिया सुरक्षित रहे।’’

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