NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कृषि
भारत
राजनीति
फैक्ट चेक:लाल किले पर प्रदर्शनकारी किसानों ने न तिरंगा हटाया न खालिस्तानी झंडा फहराया
जिस झंडे को खालिस्तानी झंडा कहा जा रहा है, वही झंडे चंद घंटे पहले रिपब्लिक डे की परेड में पंजाब की झांकी में देखने को मिले थे.
2020 की गणतंत्र दिवस की परेड के वीडियो में भी इसे देखा जा सकता है.
ऑल्ट न्यूज़
27 Jan 2021
लाल किले पर प्रदर्शनकारी किसानों ने न तिरंगा हटाया न खालिस्तानी झंडा फहराया

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर रैली निकाली. इसके लिए गाजीपुर, सिंघू और टिकरी सीमाओं पर पुलिस ने परेड की परमीशन दे दी थी. दोपहर होते-होते ये ख़बर आने लगी कि किसानों का एक हुजूम लाल किले की तरफ़ बढ़ रहा है. इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी लाल किले के अंदर घुस गए. वहां उन्होंने किसान संगठन और निशान साहिब (सिख धर्म से जुड़ा हुआ) के ध्वज फहराए. कुछ ही देर में पाकिस्तान की ऑल पाकिस्तानी मुस्लिम लीग (APML) ने ट्वीट किया कि लाल किले पर भारतीय झंडा हटाकर खालिस्तानी झंडा लहराया गया. इस ट्वीट में हैशटैग #IndianRepublicBlackDay का इस्तेमाल किया गया. (आर्काइव लिंक)
 
टाइम्स नाउ के एडिटर इन चीफ़ राहुल शिवशंकर ने ये दावा किया कि किसानों ने लाल किले से तिरंगा हटा दिया. (आर्काइव लिंक)

Disquieting assault on our most visible national symbol. That too on #RepublicDay. Our Tricolour replaced at iconic flagpole at #RedFort. Was this protest always about undermining our State? | #RDaySpiritShamed pic.twitter.com/Bfp1psRsAJ

— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) January 26, 2021

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पत्रकार राज शेखर झा, ऑप इंडिया हिंदी, ऑप इंडिया अंग्रेज़ी और न्यूज़ नेशन ने बताया कि SFJ ने लाल किला पर खालिस्तानी झंडा लहराने पर इनाम की घोषणा की थी. न्यूज़ नेशन ने लिखा, “लाल किले पर इस तरह से झंडा फहराना एक चिंता का विषय है क्योंकि सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को बड़ा इनाम देने का एलान किया था. हालांकि, लाल किले पर किसानों द्वारा फहराया गया झंडा खालिस्तान का नहीं था. लेकिन, ये जांच का विषय है कि लाल किले पर कहीं साजिश के तहत तो दूसरे झंडे नहीं फहराए गए.”

देखते ही देखते सोशल मीडिया पर भी ये दावा किया जाने लगा कि लाल किला पर भारतीय झंडा हटाकर खालिस्तानी झंडा लहराया गया है. सोनम महाजन ने सवाल किया, “तिरंगे को हटाकर अपने धर्म का झंडा लाल किले पर फहराकर किसान क्या बताने की कोशिश कर रहे हैं?” ऐसा दावा करने वाले वालों में BJP दिल्ली के प्रवक्ता हरीश खुराना, वरुण गांधी की संसदीय सचिव इशिता यादव के अलावा शेफाली वैद्या, दिव्या कुमार सोती, विक्रांत, सुमित कडेल, महेश गिरी और अनुराग दीक्षित कुछ प्रमुख नाम है.

कई BJP समर्थकों ने भी यही दावा किया है, जिनके ट्वीट्स को हजारों लाइक्स मिले हैं. @[email protected], @ExSecular, @thakkar_sameet और @IamMayank_ इनमें कुछ प्रमुख नाम हैं.

Shameful, Khalistani flag being hoisted in red fort. Those who were in charge must immediately resign pic.twitter.com/qsWNtvXrIn

— Anurag Dixit (@bhootnath) January 26, 2021

फ़ैक्ट-चेक
कुछ मीडिया संगठन और सोशल मीडिया यूज़र्स ने दो तरह के दावे किए हैं. पहला – लाल किला से तिरंगा हटाया गया और दूसरा – आन्दोलनकारियों ने खालिस्तानी झंडा लहराया.

1 लाल किला से तिरंगा नहीं हटाया गया
प्रदर्शनकारी किसानों ने एक ऐसे खंभे पर झंडा लहराया था जहां पहले से कोई झंडा नहीं था. इंडियन एक्सप्रेस ने ये वीडियो 1 बजकर 39 मिनट पर पोस्ट किया है जहां प्रदर्शनकारी लाल किले प्रांगण के बाहर थे.

Farmers break police barricades at Tikri, Singhu borders ahead of tractor rally https://t.co/30z0Q1sjrz pic.twitter.com/NSttCxlAQg

— The Indian Express (@IndianExpress) January 26, 2021

ANI के वीडियो में हम साफ तौर पर देख सकते हैं कि एक शख्स जिस खंभे पर चढ़ने की कोशिश करता दिख रहा है उसपर पहले से कोई भी झंडा मौजूद नहीं था. इसी वीडियो में ये भी दिखता है कि लाल किले पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज लगा हुआ है.

#WATCH A protestor hoists a flag from the ramparts of the Red Fort in Delhi#FarmLaws #RepublicDay pic.twitter.com/Mn6oeGLrxJ

— ANI (@ANI) January 26, 2021

इस तरह के कई वीडियोज़ हैं जिसमें लाल किले पर तिरंगा झंडा देखा जा सकता है.

2. लहराया गया झंडा खालिस्तानी नहीं था

Farmers break police barricades at Tikri, Singhu borders ahead of tractor rally https://t.co/30z0Q1sjrz pic.twitter.com/NSttCxlAQg

— The Indian Express (@IndianExpress) January 26, 2021

किसान आन्दोलनकारियों ने जो झंडा लहराया वो खालिस्तानी नहीं बल्कि सिख धर्म से जुड़ा था.

अमनदीप संधू जो कि ‘पंजाब: जर्नी थ्रू फ़ॉल्ट लाइन्स’ के लेखक हैं, ने हमें बताया, “खाण्डा – दो तलवारों के निशान के साथ पीले या केसरिया, त्रिकोणीय झंडे सिख झंडे हैं. ये खालिस्तान के झंडे नहीं हैं.”

पत्रकार हरतोष सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि आन्दोलनकारियों द्वारा लहराए गए झंडे खालिस्तानी नहीं बल्कि सिख धर्म से जुड़े थे.

with the tiranga visible the right wing ecosystem has picked on the nishan sahib that has also been held aloft.
they have termed the nishan sahib a khalistani flag. if that were so then every gurdwara would be khalistan, every sikh a khalistani.

— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) January 26, 2021

जिस झंडे को खालिस्तानी झंडा कहा जा रहा है, वही झंडे चंद घंटे पहले रिपब्लिक डे की परेड में पंजाब की झांकी में देखने को मिले थे.
2020 की गणतंत्र दिवस की परेड के वीडियो में भी इसे देखा जा सकता है.

2020 की गणतंत्र दिवस की परेड के वीडियो में भी इसे देखा जा सकता है.

इस तरह, ये दावा कि भारतीय ध्वज हटाकर लाल किले पर प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तानी झंडा फहराया, ग़लत साबित होता है. पाकिस्तान की पॉलिटिकल पार्टी और राइट विंग समर्थकों ने जो तस्वीर दिखाने की कोशिश की वो अधूरी थी.

साभार:ऑल्ट न्यूज़

farmers protest
Delhi
lal quila

Trending

चुनाव आयोग आदेश, पेट्रोल पंप से हटवाएं पीएम मोदी का बोर्ड
बीते दशक इस बात के गवाह हैं कि बिजली का निजीकरण ‘सुधार’ नहीं है
असम चुनाव: क्या महज़ आश्वासन और वादों से असंतोष पर काबू पाया जा सकता हैं?
पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?
खुला पत्र: मीलॉर्ड ये तो सरासर ग़लत है, नहीं चलेगा!
आइए, बंगाल के चुनाव से पहले बंगाल की चुनावी ज़मीन के बारे में जानते हैं!

Related Stories

पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?
शिरीष खरे
पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?
04 March 2021
नए कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के मोर्चे पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर किसान और सरकार आमने-सामने हैं। एमएसपी के निर्धारण और
सुस्पष्ट भाजपा विरोधी राजनैतिक दिशा के साथ किसान-आंदोलन अगले चरण में
लाल बहादुर सिंह
सुस्पष्ट भाजपा विरोधी राजनैतिक दिशा के साथ किसान-आंदोलन अगले चरण में
03 March 2021
 राकेश टिकैत
भाषा
सरकार की ‘ख़ामोशी’ किसान आंदोलन के ख़िलाफ़ कदम उठाए जाने का संकेत : राकेश टिकैत
01 March 2021
बिजनौर (उत्तर प्रदेश): भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया है कि पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार की ‘‘ख

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • cartoon
    आज का कार्टून
    चुनाव आयोग आदेश, पेट्रोल पंप से हटवाएं पीएम मोदी का बोर्ड
    04 Mar 2021
    पेट्रोल और डीजल की महंगी कीमतों के बीच बंगाल के लोगों को पेट्रोल पंप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उज्जवला योजना का विज्ञापन दिखाया जा रहा था। चुनाव आयोग ने आदर्श संहिता का उल्लंघन करार देते…
  • असम चुनाव
    विकास वाल्के
    असम चुनाव: क्या महज़ आश्वासन और वादों से असंतोष पर काबू पाया जा सकता हैं?
    04 Mar 2021
    भाजपा लोगों में ज़बरदस्त उम्मीदें जगाकर सत्तासीन हुई थी, लेकिन असम के आदिवासी समुदाय ख़ुद से किए गए वादे के पूरा होने का अब भी इंतज़ार कर रहे हैं।
  • खनन
    सुमेधा पाल
    बंगाल : चुनावों से पहले, ममता बनर्जी की ‘पसंदीदा‘ खनन परियोजनाओं का फिर से विरोध
    04 Mar 2021
    इधर चुनाव की तिथियां नजदीक आ रही हैं, उधर बीरभूम में देओचा-पछामी ब्लॉक जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला खदान माना जाता है, उसमें टीएमसी सरकार खनन शुरू करने की तैयारी कर रही है। बहरहाल, लगभग 70,000…
  • पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?
    शिरीष खरे
    पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?
    04 Mar 2021
    तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने के अलावा किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी मिले इसे लेकर आंदोलन जारी है। इसको लेकर तमाम सवाल और दावे भी हैं। आइए करते हैं इसी की एक पड़ताल
  • बिजली
    वी के गुप्ता
    बीते दशक इस बात के गवाह हैं कि बिजली का निजीकरण ‘सुधार’ नहीं है
    04 Mar 2021
    बिजली संशोधन विधेयक, 2021 को संसद में धकेलने से पहले न सिर्फ़ उपभोक्ता, बल्कि कई शहरों में कारोबार करने वाली फ्रेंचाइज़ी के तजुर्बे को ध्यान में रखना चाहिए था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें