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विकास दुबे के ऊपर 5 लाख का इनाम, लेकिन अब भी पुलिस के हाथ खाली क्यों हैं?

उत्तर प्रदेश पुलिस की लगभग 40 टीमें और लखनऊ एसटीएफ़ विकास दुबे की तलाश में लगातार लगी हुई हैं। बावजूद इसके कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की मौत का कथित ज़िम्मेदार विकास दुबे पांच दिन बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर है।
विकास दुबे के ऊपर 5 लाख का इनाम, लेकिन अब भी पुलिस के हाथ खाली क्यों हैं?

तीन जुलाई से फरार चल रहा कानपुर का मशहूर हिस्ट्रीशीटर और आठ पुलिसकर्मियों की मौत का मुख्य अभियुक्त विकास दुबे अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार पुलिस की 40 से ज्यादा टीमें उसकी तलाश में लगी हैं, जगह-जगह छापेमारी की जा रही है, इनाम राशि को भी बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है बावजूद इसके अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं।

पुलिस के मुताबिक हमीरपुर ज़िले के मदौहा में बुधवार, 8 जुलाई यानी आज सुबह हुए एक एनकाउंटर में विकास दुबे का राइट हैंड कहलाने वाला अमर दुबे मारा गया है। पुलिस को उसके पास से ऑटोमैटिक हथियार भी मिला है।

राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने मीडिया को बताया कि इस मामले में तीन अन्य लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है।

प्रशांत कुमार के अनुसार, "विकास दुबे के साथ अमर दुबे की सोशल मीडिया पर बहुत सारी तस्वीरें हैं। अमर दुबे के पास से एक अवैध पिस्टल और कारतूस भी बरामद हुआ है। इसके साथ ही अन्य अपराधी श्यामू बाजपेयी, जहान यादव, संजू दुबे को कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है।"

बता दें कि कानपुर के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की रात विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हुए हमले में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। जिसके बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया था। जगह-जगह विकास दुबे की तलाश में पुलिस की दर्जनों टीमें लगाई गईं, सैकड़ों फ़ोन नंबर्स को सर्विलांस पर लगाया गया है और कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया है लेकिन विकास दुबे का सुराग पुलिस को अभी तक नहीं मिल सका है।

इसे भी पढ़ें कानपुर: घेरे में क़ानून व्यवस्थाअपराध और राजनीति का गठजोड़

मामले में नया अपडेट क्या हैं?

-    लखनऊ एसटीएफ जो इस पूरे मामले की जांच कर रही है, उसके डीआईजी अनंत देव का ट्रांसफर कर दिया गया है। सुधीर कुमार लखनऊ एसटीएफ के एसएसपी बनाए गए हैं।

बताया जा रहा है कि इस तबादले के पीछे अनंत देव का कानपुर कनेक्शन है। बता दें कि अनंत देव पहले कानपुर के एसएसपी थे। उस दौरान 3 जुलाई की घटना में शहीद हुए डीएसपी देवेंद्र मिश्र ने चौबेपुर के स्टेशन अफसर विनय तिवारी और विकास दुबे के बीच रिश्ते को लेकर शिकायत की थी। लेकिन तब अनंत देव ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।

–    6 जुलाई को विकास के फरीदाबाद के एक होटल में छिपे होने के खबर सामने आई लेकिन इससे पहले की पुलिस वहां छापेमारी करने पहुंचती, विकास दुबे फरार हो चुका था। हालांकि पुलिस इस मामले में कुछ भी स्पष्ट तौर पर कहने से बच रही है।

 –    कानपुर पुलिस ने विकास की बहू, पड़ोसी और डोमेस्टिक हेल्पर को गिरफ्तार कर लिया है। तीनों के ऊपर एनकाउंटर वाली रात को विकास का साथ देने का आरोप है।

 –    इस मामले में चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी समेत चार पुलिसकर्मियों को अब तक निलंबित किया जा चुका है और रडार पर सिर्फ़ चौबेपुर थाने के पुलिसकर्मी ही नहीं बल्कि बड़े अफ़सर भी आ गए हैं। चौबेपुर के अलावा बिल्हौर, ककवन और शिवराजपुर थाने समेत करीब 200 पुलिसवाले शक के दायरे में हैं। इन सभी पुलिसवालों के मोबाइल CDR (कॉल डीटेल रिकॉर्ड) खंगाले जा रहे हैं।

 मालूम हो कि इससे पहले शनिवार, 4 जुलाई को पुलिस ने जेसीबी मशीन का इस्तेमाल करते हुए विकास दुबे का किलानुमा घर, बाहर खड़ी कई महंगी गाड़ियों को ध्वस्त कर दिया था। हालांकि सोशल मीडिया पर इसे लेकर कई लोगों ने सवाल भी उठाए गए कि आखिर किस कानून के तहत पुलिस प्रशासन ने इस घर को नष्ट किया है।

विकास को पकड़ने गई पुलिस कितनी तैयार थी?

गौरतलब है कि इस मामले में पुलिसवालों की संलिप्तता, विकास दुबे के राजनीतिक गठजोड़ के अलावा भी कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं। जैसे मीडिया रिपोट्स में कहा जा रहा है कि बिल्हौर के क्षेत्राधिकारी (सीओ/डीएसपी) देवेंद्र मिश्र और चौबेपुर के थाना प्रभारी विनय तिवारी के बीच पहले से ही अनबन थी, दोनों में किसी तरह का तालमेल नहीं था। फिर ऐसी स्थिति में किस अधिकारी की मांग पर, किस अधिकारी ने आनन-फ़ानन में दबिश डालने की अनुमति दी, इस सवाल का जवाब फ़िलहाल किसी के पास नहीं है।

दूसरा सवाल और महत्वपूर्ण है कि इस दबिश से पहले पुलिस ने क्या ज़रूरी तैयारी की गई थी? जब विकास दुबे का तीन दशकों से अपराध की दुनिया में बोलबाला रहा है तो आखिर पुलिसबल बिना बुलेटप्रूफ जैकेट, प्रोटेक्टर और हेलमेट के वहां दबिश डालने क्यों गए? खबरों के मुताबिक ज़्यादातर लोगों के सिर में और सीने में गोलियां लगी हैं, जिससे शायद बचा जा सकता था।

3 जुलाई की घटना के बाद भले ही विकास दुबे राज्य के टॉप अपराधियों की लिस्ट में शामिल हो गया हो लेकिन इससे पहले सिर्फ एक थाने में 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद उसका नाम कानपुर ज़िले के टॉप टेन क्रिमिनल्स या मोस्ट वांटेड की लिस्ट में नहीं था।

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