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गिग वर्करों को नहीं मिलता सामाजिक सुरक्षा योजना फ़ायदा, नीति आयोग ने दिए सुझाव 

वर्ष 2020-21 में गिग कर्मचारियों की संख्या 77 लाख हो गयी है। अनुमान है कि वर्ष 2029-30 में गिग कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 2.30 करोड़ हो जाएगी।  जोकि गैर-कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों का 6.7 फीसदी और कुल कार्य बल का 4.1 फीसदी होगा .
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नीति आयोग ने गिग अर्थव्यवस्था से जुड़े गिग कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा पर सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं। एक बड़ी संख्या में लोग गिग अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं। उनको नौकरी की गारंटी और सामाजिक सुरक्षा जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है।

गिग कर्मचारी परम्परागत कामों से अलग तरीके से काम करते हैं। लगभग सभी क्षेत्र में कुछ ऐसे काम होते हैं, जो स्थाई कर्मचारियों से हटकर गैर-स्थाई कर्मचारियों से कराए जाते हैं। कम्पनियाँ ऐसे कामों के लिए काम के आधार पर ही भुगतान करती हैं, इस श्रेणी के सभी कर्मचारियों को गिग कर्मचारी कहा जाता है।

हालांकि यह कर्मचारी लम्बे समय के लिए भी कंपनियों से जुड़े रह सकते हैं। लेकिन इनके लिए नौकरी पर बने रहने और सामाजिक सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती है। जैसे स्वतंत्र रूप से ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफार्म -जोमेटो, स्विगी, ओला, उबर आदि से जुड़े कर्मचारी, अस्थाई कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफार्म और ऑफलाइन प्लेटफार्म के मध्य से काम करने वाले कर्मचारी शामिल है।


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गिग अर्थव्यवस्था में कर्मचारियों की संख्या

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019-20 में गिग कर्मचारियों की संख्या 68 लाख थी, जो कि गैर-कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों की संख्या का 2.4 फीसदी है और कुल कार्यबल का 1.3 फीसदी है। वर्ष 2020-21 में गिग कर्मचारियों की संख्या 77 लाख हो गयी है। जोकि गैर-कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों की संख्या का 2.6 फीसदी है, जबकि कुल कार्यबल का 1.5 फीसदी है।  

अनुमान है कि वर्ष 2029-30 में गिग कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 2.30 करोड़ हो जाएगी। जोकि गैर-कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों की संख्या का 6.7 फीसदी होगा और कुल कार्य बल का 4.1 फीसदी होगा।

सभी क्षेत्रों में गिग कर्मचारियों का विस्तार

औद्योगिक वर्गीकरण के हिसाब देखें तो लगभग 26.6 लाख गिग कर्मचारी खुदरा व्यापार और बिक्री क्षेत्र से जुड़े हुए थे, जबकि लगभग 13 लाख परिवहन क्षेत्र से जुड़े हुए थे।लगभग 6.2 लाख गिग कर्मचारी विनिर्माण क्षेत्र और अन्य 6.3 लाख गिग कर्मचारी वित्त और बीमा गतिविधियों से जुड़े हुए थे।

वर्ष 2011-12 से 2019-20 के दौरान खुदरा क्षेत्र में 15 लाख श्रमिकों की वृद्धि देखी गई जबकि परिवहन क्षेत्र में 7.8 लाख और विनिर्माण क्षेत्र में 3.9 लाख गिग कर्मचारियों की वृद्धि हुई थी। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में 2019-20 तक 66,000 से एक लाख तक की वृद्धि हुई थी।

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नीति आयोग की गिग कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के लिए सिफ़ारिश

नीति आयोग ने गिग कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कई बिंदुओं पर अपनी बात रखी।  इसमें पहला बिंदु गिग कर्मचारियों को बीमारी की स्थिति में छुट्टी लेने पर उसका भुगतान करने की बात कही गयी। गिग कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए उचित इलाज मुहैया कराया जाए और बिमा की सुविधा भी उपलब्ध होनी चाहिए।

किसी भी व्यवसाय से जुड़े गिग कर्मचारियों को व्यवसाय से किसी तरह की बीमारी के होने पर उचित इलाज और कार्य स्थल पर दुर्घटना होने पर मुआवज़ा मिलना चाहिए। गिग कर्मचारियों को रिटायरमेंट के दौरान फण्ड या पेंशन योजना और अन्य आकस्मिक दुर्घटना पर मुआवजा दिया जाना चाहिए |

किसी कारणवश कार्य में अनियमितता पर कर्मचारियों को सपोर्ट किया जाना चाहिए और प्लेटफार्म से जुड़े कर्मचारियों को व्यवसयों के लिए लघु स्तर पर वित्तीय सहायता आदि का प्रावधान होना चाहिए।

नीति आयोग ने गिग इकॉनमी के आकार का अनुमान लगाने के लिए एक अलग से गणना करने और गिग कर्मचारियों की विशेषताओं की पहचान करना की बात कही।

आधिकारिक गणना के दौरान गिग कर्मचारियों की पहचान करने के लिए जानकारी जुटाई जाए, जिससे कर्मचारियों और नौकरी देने वाले के बीच कॉट्रैक्ट की प्रकृति और काम में प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि प्रश्न शामिल किए जा सके।

गिग अर्थव्यवस्था में वृद्धि के अनुमान को देखते हुए पाया गया है कि कुछ सालो में गिग अर्थव्यवस्था में काफी विकास हुए है।  इस तरह का कल्चर शुरुआती दौर में विकसित देशों से शुरू हुआ था, जिसको धीरे-धीरे अन्य देशों में भी अपनाया जाने लगा है। भारत में भी आने वाले समय में इसमें और विस्तार की बहुत बड़ी संभावनाएं है।  नीति आयोग ने गिग अर्थव्यवस्था में स्पष्टता लाने और गिग कर्मचारियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए यह अध्ययन किया है।  

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