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आपदा: चमोली में ग्लेशियर टूटने से निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड परियोजना का बांध टूटा, हरिद्वार तक अलर्ट

उत्तराखंड एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की ख़बर से सहम गया है। आज, रविवार 7 फ़रवरी की सुबह चमोली में विष्णुप्रयाग-बदरीनाथ से करीब 20 किलोमीटर नीचे तपोवन गांव के पास ग्लेशियर टूटने की सूचना है।
आपदा

उत्तराखंड एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की ख़बर से सहम गया है। आज, रविवार 7 फ़रवरी की सुबह चमोली में विष्णुप्रयाग-बदरीनाथ से करीब 20 किलोमीटर नीचे तपोवन गांव के पास ग्लेशियर टूटने की सूचना मिली। स्थानीय लोगों ने इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किए हैं। ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा पर निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड परियोजना का बांध टूट गया है। धौलीगंगा और उससे आगे अलकनंदा नदी में भयंकर पानी आ रहा है। नदी में पानी का ये रौद्र रुख देख लोगों को वर्ष 2013 की आपदा का डर सताने लगा।

नरेंद्र प्रसाद पोखरियाल चमोली में पीपलकोटी के पास रहते हैं। उन्होंने अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की हुई है। वह बताते हैं कि उनका घर तपोवन से करीब 100 किलोमीटर नीचे है। उन तक पहुंची जानकारी के मुताबिक तपोवन-विष्णुगाड परियोजना के बैराज के पास काफी नुकसान हुआ है। वहां एनटीपीसी का बैराज बन रहा था। उन्होंने बताया कि इस दौरान वहां काम करने वाले काफी लोग भी मौजूद थे। नुकसान की बात स्पष्ट है। दिन में करीब 11 बजकर 45 मिनट पर इस बातचीत के दौरान पीपलकोटी के पास स्थिति सामान्य थी। 

चमोली के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने इस बात की पुष्टि की है कि तपोवन के पास ग्लेशियर टूटा है। जिसके चलते बांध भी टूट गया है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार तक सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है। नदियों के किनारे से लोगों को हटाया जा रहा है।

माटू जन संगठन के विमल भाई ने दोपहर 12.30 बजे बताया कि ग्लेशियर टूटने से उतरा पानी करीब सौ किलोमीटर नीचे पीपलकोटी से आगे निकल गया। उनके मुताबिर बारिश के दौरान नदियों का जो जलस्तर होता है, अलकनंदा का जलस्तर वहीं तक पहुंचा। जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है।

विमल भाई कहते हैं प्रकृति लगातार ये संदेश दे रही है कि हिमालयी क्षेत्र में इस तरह की बड़ी परियोजनाएं बनाना मूखर्ता ही है। जिस तेजी से बांधों की बात फिर से आगे बढ़ रही है, अलकनंदा नदी ने बता दिया है कि ग्लेशियर कभी भी टूट सकते हैं, सबकुछ अस्थायी है। हम प्रकृति पर विजय नहीं प्राप्त कर सकते। विमल भाई कहते हैं कि वहां आपदा के बाद बांधों का निर्माण कार्य रोका गया। कल्पना कीजिए कि वहां सभी बांध बन गए होते तो फिर क्या होता। ग्लेशियर का टूटने का असर नदी की इकोलॉजी पर तो पड़ेगा ही।

श्रीनगर में धारी देवी मंदिर के पास मौजूद प्रदीप कुकरेती बताते हैं कि नदी में पानी बढ़ने की आशंका के चलते श्रीनगर गढ़वाल धारी देवी मंदिर परिसर को पुलिस-प्रशासन ने तत्काल खाली करा दिया। मंदिर के अंदर प्रवेश करने से लोगों को रोक दिया गया और मंदिर के कपाट बंद कर दिये गए हैं। नदी के किनारे मौजूद लोगों को भी पुलिस प्रशासन ने हटा दिया है। वह बताते हैं कि वर्ष 2013 की आपदा का डर लोगों के ज़ेहन में है और लोग भी समझदारी बरत रहे हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है। वह खुद चमोली के लिए रवाना हो गए। चमोली के जोशीमठ स्थित धौलीगंगा नदी में अचानक सैलाब आ गया। जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने के आदेश दिए गए हैं। चमोली और सभी नदियों के किनारे रहने वालों को अलर्ट किया गया है। अलकनंदा और गंगा नदी के किनारे हरिद्वार तक के लोगों को अलर्ट किया गया है।

तपोवन-विष्णुगाड परियोजना का टनल पूरी तरह बंद हो गया। नदियों में बड़े-बड़े पत्थर-बोल्डर तैर रहे थे। टनल के पास कार्य कर रहे लोगों की तलाश के लिए आपदा प्रबंधन की टीमें जुटी हुई हैं। भागीरथी नदी में पानी के प्रवाह को रोक दिया गया है। श्रीनगर बांध और ऋषिकेश तक नदी किनारों को खाली करा दिया गया है।

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