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हरियाणा चुनाव : बीजेपी के घमंड को चुनौती देने के लिए प्रदर्शन कर रहे झज्जर में मेडिकल कॉलेज के छात्र

न्यूज़क्लिक की यह ग्राउंड रिपोर्ट झज्जर के वर्ल्ड कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च हॉस्पिटल की स्थिति, हरियाणा के स्वास्थ्य ढांचे में भारी गिरावट और राज्य में खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की विफलताओ के बारे में बताती है।
हरियाणा चुनाव
झज्जर के मेडिकल कॉलेज में छात्रों की भूख हड़ताल

हरियाणा के झज्जर में मेडिकल के छात्रों ने कहा, "उन सभी बीजेपी नेताओं के नाम पूछिए, जिनसे हम पिछले साल मिले थे। लेकिन किसी ने भी हमारी समस्याओं का हल नहीं किया।"

भाजपा के इन सभी नेताओं में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओम प्रकाश धनखड़ और अनिल विज शामिल हैं, धनकड़ और विज दोनों भारतीय जनता पार्टी के मंत्रिमंडल में हरियाणा सरकार चलाते हैं। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे शामिल हैं। छात्रों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी संपर्क किया है, लेकिन इस सबके बावजूद झज्जर के इस निजी मेडिकल कॉलेज जिसकी स्थिति बदतर है, उसका मुद्दा अभी भी अनसुलझा है। जिसको लेकर वहां के छात्र महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र यहाँ भारी भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक ने प्रदर्शनकारी छात्रों से यह समझने के लिए संपर्क किया कि हरियाणा के निजी कॉलेजों के आसपास का भ्रष्टाचार आने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनने में कैसे विफल हो रहा है।

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मेडिकल छात्र इंडिया गेट पर एक मार्च ले कर आए, उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के निवास के बाहर प्रदर्शन किया

लेकिन पहले समझ लेते हैं कि मामला क्या है। निजी कॉलेज, वर्ल्ड कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च हॉस्पिटल (WCMSRH) ने पिछले महीने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया, जब लगभग 80 एमबीबीएस छात्रों ने राज्य की भाजपा सरकार से राज्य में किसी अन्य चिकित्सा संस्थान में अपना दाख़िला स्थानांतरित करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। छात्रों के अनुसार, मेडिकल कॉलेज भारत मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के मानदंडों के अनुसार बुनियादी ढाँचा बनाने में विफल रहा है। न्यूज़क्लिक द्वारा देखे गए दस्तावेज़ दावे की पुष्टि करते हैं।

22 वर्षीय अमित ढांढी 2016-17 में डबल्यूसीएमएसआरएच में प्रवेश लेने वाले 148 छात्रों में से एक हैं। ये संस्थान में पहला और एकमात्र बैच है। अमित कहते हैं, "क्या आप सोच सकते हैं कि कॉलेज में आपातकालीन वार्ड दो साल से बंद है! साथ ही पूरे रेडियोलॉजी विभाग को सील कर दिया गया है।"

इसी तरह की आशंकाएं, कॉलेज के अपने पहले वर्ष में एक बैच टॉपर 22 वर्षीय निवेदिता द्वारा साझा की गईं, जो अब इस शिकायत के तहत विरोध कर रही हैं कि कॉलेज में छात्रों को चिकित्सा सिखाने के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। उनके अनुसार, पाठ्यक्रम के पहले दो साल ज़्यादातर सैद्धांतिक(थ्योरी) विषयों पर आधारित थे, जबकि पाठ्यक्रम के तीसरे और चौथे वर्ष में व्यावहारिक विषय शामिल हैं।

उन्होंने कहा, "हम तीसरे वर्ष के छात्र हैं और हमें यह नहीं सिखाया गया है कि मरीज़ों की पल्स रेट को कैसे नापा जाए।"

एमसीआई ने वर्ष 2016 में पहली बार स्थिति का जायज़ा लिया था। निर्माणाधीन इमारत और लगभग 90 प्रतिशत संकाय की कमी के कारण, नियामक संस्था ने कॉलेज को अगले शैक्षणिक सत्रों के लिए प्रवेश लेने से रोक दिया। "फ़ैकल्टी ", "नकली रोगी", और "अस्पताल की ग़ैर-कार्यात्मक स्थिति" यह डब्ल्यूसीएमएसआरएच कॉलेज से संबंधित एमसीआई जाँच दाल की कुछ अंतिम टिप्पणियां थीं।

इसके बाद, कॉलेज को अन्य 32 निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2017 में 2 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस तरह के मामले में, कॉलेज को दी गई अनिवार्यता प्रमाण पत्र के अनुसार, “राज्य सरकार यह ज़िम्मेदारी होती है कि छात्रों की ज़िम्मेदारी वो लें। छात्रों ने केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा NEET पास करने के बाद ही कॉलेज में प्रवेश लिया है।” वर्तमान में दोनों सरकारें भाजपा द्वारा शासित हैं।

झज्जर में डब्ल्यूसीएमएसआरएच की स्थिति और हरियाणा के स्वास्थ्य ढांचे में भारी गिरावट राज्य में खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की विफलताओ के बारे में बताती है।

2018  नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल के अनुसार, हरियाणा में प्रत्येक 2496 लोगों के लिए केवल एक सरकारी अस्पताल का बिस्तर है और इससे भी बदतर, हर 42001 व्यक्तियों के लिए केवल एक राज्य द्वारा संचालित अस्पताल है। रिपोर्ट ने हरियाणा में प्रत्येक 10189 रोगियों के लिए एक सरकारी एलोपैथिक डॉक्टर होने की बात कही है। जो किसी भी राज्य के लिए ख़तरनाक है। डब्ल्यूएचओ की सिफ़ारिश से यह आंकड़ा लगभग दस गुना अधिक है, यानी प्रत्येक 1000 व्यक्तियों के लिए एक डॉक्टर है।

न्यूज़क्लिक द्वारा देखे गए दस्तावेज़ों के अनुसार, राज्य में 7 मेडिकल कॉलेज हैं और एमबीबीएस की 850 सीटें उपलब्ध थीं, जब 2014 में भाजपा सत्ता में आई थी। हालांकि, 2014 के अपने घोषणापत्र में, भाजपा ने राज्य में एम्स की तर्ज पर संस्थानों की स्थापना का वादा किया था, लेकिन राज्य में पहले 2018 एनएचपी के अनुसार सरकार के 5 साल के कार्यकाल के बाद, राज्य में अब केवल 1000 छात्रों की प्रवेश क्षमता के साथ ग्यारह मेडिकल कॉलेज (सरकारी और निजी) हैं। दिलचस्प रूप से इसमें से एक झज्जर का वर्ल्ड कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च भी है, जिसके छात्र वर्तमान में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

झज्जर में निजी मेडिकल कॉलेज का मामला भी राज्य की भाजपा सरकार की आम जनता की चिंताओं के प्रति उदासीनता दर्शाता है।

विरोध प्रदर्शन कर रहे एक छात्र की माँ उर्मिला सोनवणे जो 50 वर्षीय हैं। वो कहती हैं, "विरोध के रूप में, छात्र कुछ दिनों से कुछ नहीं खा रहे हैं, लेकिन पूरे राज्य का प्रशासन एक निजी मेडिकल कॉलेज को बचाने की कोशिश कर रहा है।"

उर्मिला आगे कहती हैं, "बीजेपी वाले कहते है 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' लेकिन कैसे? बेटियां पिछले कई दिनों से सड़क पर हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। वो ग़ुस्से में कहती हैं कि जो बीजेपी को वोट देगा, उसकी बेटी सड़क पर बैठेगी, जैसे हमारी बैठी है,  हमने भी बीजेपी को ही वोट दिया था।"

न्यूज़क्लिक ने इस पूरे घटनाक्रम पर कॉलेज का पक्ष जानने लिए कॉलेज के चेयरमैन डॉ नरेंद्र सिंह से संपर्क किया। डॉ सिंह ने सीधे जवाब देने से परहेज किया और बेपरवाह टिप्पणी के साथ फ़ोन काट दिया। यह कहते हुए कि "प्रदर्शनकारी छात्र राजनीति से प्रेरित हैं और केवल परीक्षा में पास होने और फ़ीस न भरनी पड़े इसके लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।"

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कई छात्रों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है

उनके अनुसार, मेडिकल जांच के लिए कॉलेज में रोज़ाना पर्याप्त मरीज़ आ रहे हैं और वो उनके साथ काम कर रहे है। हालांकि, जब न्यूज़क्लिक ने कॉलेज और अस्पताल में अंदर जाकर देखने की कोशिश की, तो हमे अंदर जाने से साफ़ मना कर दिया गया। इस पर उनसे सवाल किये तो उन्होंने इसपर कोई जवाब नहीं दिया।

अगर सबकुछ ठीक है तो किसी को कॉलेज में जाने अनुमति क्यों नहीं है?

राज्य में विधानसभा चुनाव का माहौल है लेकिन यह झज्जर निर्वाचन क्षेत्र में कोई ज्वलंत मुद्दा नहीं है, जबकि यह सीट 2005 से कांग्रेस के पास है। कांग्रेस की गीता भुक्कल, वर्तमान विधायक है। इस बार भी झज्जर सीट के लिए उम्मीदवार हैं और उन्होंने एमबीबीएस छात्रों के संघर्ष में अपना समर्थन दिया है। कांग्रेस ने अपने हालिया जारी घोषणापत्र में राज्य में सभी ज़िलों में एक-एक विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज बनाने की प्रतिबद्धता जताई है।

जबकि बीजेपी ने यहाँ से डॉ. राकेश कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है।

हालांकि, राज्य के अन्य हिस्सों की तरह, चुनाव के नतीजे कांग्रेस द्वारा किए गए वादों से नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा के ख़िलाफ़ हरियाणा के नागरिकों में प्रचलित असंतोष से तय होंगे।

विरोध करने वाले छात्रों में से एक कहते हैं, "इस चुनाव में उनका [बीजेपी] घमंड टूटना चाहिए! देखते हैं कि वो कैसे जीतेंगे... हम भी अपनी ज़िद पर हैं।"

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