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हरियाणा: हड़ताली आंगनवाड़ी कार्यकार्ताओं के आंदोलन में अब किसान और छात्र भी जुड़ेंगे 

आने वाले दिनों में सभी महिला कार्यबलों से सम्बद्ध यूनियनों की आस ‘संयुक्त महापंचायत’ पर लगी हुई है; इस संबंध में 10 मार्च को रोहतक में एक बैठक आहूत की गई है।
Anganwadi workers
चित्र साभार – सीटू हरियाणा/फेसबुक।

नई दिल्ली: अब जबकि उनकी राज्यव्यापी हड़ताल की कार्यवाई अपने तीसरे महीने में प्रवेश कर रही है, वहीँ आंदोलनरत आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता और सहायिकाओं ने हरियाणा में अब राज्य में किसानों, छात्रों एवं अन्य महिला संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त कार्यक्रमों को आयोजित करने की योजना बनाई है।

सोमवार को न्यूज़क्लिक को इस बात की जानकारी प्राप्त हुई है कि, इस संबंध में एक बैठक इस महीने की शुरुआत में निर्धारित की गई है, जिसमें इस “संघर्ष को और तीज करने के लिए आगे की रणनीति” तय की जायेगी।

सीटू समर्थित हरियाणा आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन (एचएडब्ल्यूएचयू) और एआईयूटीयूसी समर्थित आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिका यूनियन (एकेएसयू) के के नेतृत्त्व में सर्व-महिला कार्यबल 8 दिसंबर से हड़ताल पर हैं। उनकी मुख्य मांगों में उनके मासिक मानदेय में बढ़ोत्तरी किये जाने मांग शामिल है, जिस वेतन वृद्धि का वादा केंद्र सरकार ने 2018 में किया था।

एचएडब्ल्यूएचयू की अध्यक्षा शकुंतला ने सोमवार को एक टेलीफोन साक्षात्कार में न्यूज़क्लिक को बताया कि देखभाल प्रदाताओं की योजना अब राज्य में किसानों, छात्रों और महिलाओं के सहयोग से एक “संयुक्त महापंचायत” करने की है। उनका कहना था, “इन तबकों ने पहले ही हमारी हड़ताल के प्रति अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया है, लेकिन अब हम आने वाले दिनों में संयुक्त लामबंदी के लिए योजना बना रहे हैं।” शकुंतला आगे कहती हैं, “इस बारे में हम रोहतक में और अधिक विस्तार से फैसला लेंगे, जहाँ हम 10 मार्च को बैठक करने जा रहे हैं। हमने इसके लिए एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) सहित कई समूहों को आमंत्रित किया है।”

एसकेएम देश भर के किसान संगठनों का एक छतरी निकाय है जिसने पिछले वर्ष के आरंभ में राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर किसानों के धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व किया था, जिसने अंततः नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार को अपने तीन सुधार की दिशा वाले कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था।

हरियाणा में, एसकेएम का राज्य घटक राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की गठबंधन सरकार के द्वारा विवादस्पद कृषि सुधारों के उनके समर्थन के खिलाफ आंदोलन के मामले में सबसे आगे था। 

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की हरियाणा ईकाई के इंदरजीत सिंह ने इस बात की पुष्टि की है कि एसकेएम का एक प्रतिनिधिमंडल रोहतक में बैठक में भाग लेगा। उन्होंने कहा, “हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि किसानों का विरोध सिर्फ तीन कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसे लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी तैयार किया गया था।” 

सिंह ने दावा किया कि मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्ववाली हरियाणा सरकार “महिलाओं को विरोध करने के लिए दंडित” कर रही है। इससे पूर्व पिछले हफ्ते की शुरुआत में, सैकड़ों की संख्या में आंगनवाड़ी सेवा कर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया था, जबकि कम से कम एक यूनियन सदस्य को अस्पताल तक में भर्ती कराना पड़ा था, क्योंकि राज्य पुलिस के द्वारा राज्य विधानसभा के समक्ष प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन से पहले ही महिलाओं के पैदल मार्च को चंडीगढ़ पहुँचने से रोक दिया था। 

न्यूज़क्लिक ने पूर्व में भी अपनी रिपोर्ट में सूचित किया था कि किस तरह अभी हाल ही में, हरियाणा के कई जिलों के 300 से अधिक हड़ताली कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को काम से बर्खास्त कर दिया गया था। यूनियनें इसे हड़ताल पर जाने पर “सजा” दिए जाने के तौर पर देखती हैं।

सोमवार को एआईकेएस के सिंह ने कहा, “इन्हीं सब बातों को देखते हुए किसान भी अब साथ आ रहे हैं और महिलाओं को उनके संघर्ष में अपना पूर्ण समर्थन देंगे।”

इस बीच, 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की दोनों हड़ताली यूनियनों ने प्रदेश भर के सभी जिला मुख्यालयों के सामने प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। एचएडब्ल्यूएचयू की शकुंतला ने कहा, “हम हर प्रदर्शन स्थल पर भारी संख्या में गोलबंदी की तैयारी कर रही हैं।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Haryana: Farmers, Students to Join Striking Anganwadi Workers

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