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हरियाणा चुनाव: सीएम खट्टर द्वारा गोद लिए गांव को अब भी 'आदर्श ग्राम' बनने का इंतजार!

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा गोद लिए जाने के चार साल बीत जाने के बाद भी कैथल जिले के क्योड़क गांव में अच्छी सड़कों, बेहतर शिक्षा और सफाई का अभाव है।
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कैथल: एक कहावत है कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। ऊपर लगी तस्वीर यही हकीकत बयां कर रही है। यह तस्वीर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा चार साल पहले गोद लिए गए उत्तरी हरियाणा के कैथल जिले के क्योड़क गांव की है। खट्टर ने इसे विधायक आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य चयनित गांवों में मूलभूत सुविधाओं में सुधार करके बेहतर आजीविका के अवसर प्रदान करना था। साथ ही असमानताओं को कम करके जनता के सभी वर्गों के जीवन स्तर और गुणवत्ता में सुधार करके समग्र विकास की ओर ले जाना था।

इस योजना का मकसद यह भी था कि स्थानीय स्तर पर विकास और प्रशासन का ऐसा मॉडल तैयार किया जाय जो दूसरे ग्राम पंचायतों को सीखने और अपनाने के लिए प्रेरित कर सके।
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हालांकि मुख्यमंत्री द्वारा गोद लिए गए 'महाग्राम' की स्थिति इसके बिल्कुल उलट नजर आई।

इस गांव में चार स्कूल- दो प्राथमिक स्कूल और दो उच्चतर माध्यमिक स्कूल हैं जो लड़कों और लड़कियों के लिए हैं। पिछले कई महीनों से न तो प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक हैं, न ही उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य हैं। माध्यमिक विद्यालयों में से एक में एक प्राचार्य की नियुक्ति की गई है, लेकिन उन्होंने अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है। पिछले छह-सात महीनों से एक उच्चतर माध्यमिक स्कूल में गणित और भौतिकी शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं।

भ्रष्टाचार का भी आरोप

इस गांव की सड़कें और सीवेज नेटवर्क विकास और स्वच्छ भारत अभियान का पोल खोलते नजर आते हैं। इनके बनने के समय भ्रष्टाचार किए जाने की खबरें भी आईं। जिले के गुणवत्ता नियंत्रण और सतर्कता विभाग की दो नवंबर 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में किए गए निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार होने की बात सामने आई है।  

आपको बता दें कि लगभग 11,000 मतदाताओं वाले इस गांव में विभिन्न ढांचागत विकास कार्यों के लिए कुल 17 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। गांव में होने वाले विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का पता आरटीआई के जरिए चला।

आरटीआई कार्यकर्ता सेतपाल ने न्यूज़क्लिक से बताया, 'मास्टर रोल, कैशबुक और पंचायत प्रस्ताव की प्रतियां मांगने के बाद भ्रष्टाचार सामने आया। जानकारी से पता चला कि गाँवों की गलियों को फिर से बिछाने पर 2.26 करोड़ रुपये खर्च किए गए और खेतों की ओर जाने वाले ईंट के रास्ते बिछाने पर 90, 06, 672 रुपये खर्च किए गए, लेकिन एक स्पॉट इंस्पेक्शन से पता चला कि पंचायत ने सही हिसाब से काम नहीं किया था।'
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उन्होंने कहा कि बिलों में 25,000 सीमेंटेड टाइल वाले ब्लॉकों का इस्तेमाल करने का दावा किया गया था, लेकिन केवल 500 ब्लॉकों का इस्तेमाल किया गया था। खेतों के विभिन्न भूखंडों तक पहुँचने के लिए बनी गलियों में इस्तेमाल की गई ईंटें भी घटिया किस्म की हैं।

उन्होंने पिछले साल मार्च में सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद जांच का आदेश दिया गया था। हालांकि अभी तक जांच दल ने केवल एक गांव की सड़क पर एक रिपोर्ट तैयार की है। सेतपाल ने बताया कि अन्य गलियों में किए गए कार्यों की जांच अभी भी डीसी (डिप्टी कमिश्नर) कैथल के पास लंबित है।

सेतपाल के मुताबिक, गांव के सरपंच बलकार आर्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और बलकार ने एक रिकवरी नोटिस जारी होने के बाद कथित तौर पर गबन की गई धनराशि को पंचायत को जमा भी कर दिया।

दिलचस्प बात यह है कि आर्य ने इस आरोप को खारिज कर दिया और दावा किया कि सेतपाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता थे। उन्होंने कहा, 'मैं एक निर्वाचित प्रतिनिधि हूं। सेतपाल जो पहले भाजपा से भी जुड़े थे, अपनी राजनीतिक संबद्धता बदलने के बाद मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।'
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वहीं, सेतपाल किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध होने से इनकार करते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं हूं। मैं एक कार्यकर्ता हूं और समाज की भलाई के लिए काम करता हूं।'

सड़क और नाली भी नहीं बनी

फिलहाल गाँव में सीवेज लाइनें नहीं हैं। अधिकांश नालियों का निर्माण नहीं किया गया है। गाँवों और स्थानीय बाजार क्षेत्रों में सड़कों पर जल जमाव को कई स्थानों पर देखा जा सकता है।

लेकिन गाँव के निवासी साफ तौर पर दो वर्गों में बँटे हुए हैं- एक तो खुले तौर पर दावा करता है कि मुख्यमंत्री द्वारा गोद लिए गए गाँव में पर्याप्त विकास कार्य नहीं हुए हैं, जबकि दूसरा कहता है कि बहुत कुछ किया गया है और किया जा रहा है, लेकिन इसमें समय लगता है।

गांव के 70 वर्षीय भुल्लर राम ने कहा, 'सभी काम बहुत ही धीमी गति से किया जा रहा है। कई गलियों में अभी भी निर्माण या मरम्मत का काम नहीं हुआ है। पिछले तीन वर्षों से सीवेज लाइनों का निर्माण चल रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। अधिकांश नालियां चोक हैं और ओवरफ्लो हो रही हैं। स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की कमी है।'

पेशे से किसान सतेंद्र इस आरोप पर पलटवार करते हुए कहते हैं, 'तालाब की सफाई और सीवेज निर्माण प्रगति पर है। एक पशु चिकित्सालय का निर्माण किया गया है। सिर्फ पांच साल की अवधि में हम और क्या उम्मीद कर सकते हैं? ये सरकारी काम हैं, जिनमें समय लगता है।'

हालांकि फिर सत्येंद्र केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए "साहसिक कदम" के बारे में बात करने लगते हैं- जैसे कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना। यह पूछे जाने पर कि हरियाणा में रहने वालों के लिए इससे क्या फर्क पड़ता है, उन्होंने जवाब दिया, 'भविष्य में, अगर हम कश्मीर में जमीन खरीदना चाहते हैं, तो हम कर सकते हैं। अब, कोई भी निर्भय होकर घाटी जा सकता है।'

फिलहाल गांव में अनाज मंडी के लिए एक बड़ा क्षेत्र आवंटित किया गया है। एक चारदीवारी से घिरे इस जगह पर कचरे के ढेर के अलावा और कुछ नहीं है, जिसमें अपशिष्ट पदार्थ और जल जमाव है।
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अन्य गांवों की तरह यहां ‘इज़्ज़त घर’ नहीं दिखे। पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि ज्यादातर घरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के पहले से ही टॉयलेट हैं।

इसी तरह गुर्जर बहुल इस गाँव में लोगों के एक वर्ग ने तालाब की सफाई और सौंदर्यीकरण परियोजना का दावा किया। यह प्राकृतिक जलाशय में सुधार के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गाँव में शुरू हुआ था लेकिन पिछले दो वर्षों में पूरा नहीं हुआ है। यह काम कोएंडर्स वाटर सॉल्यूशन- 21वीं सेंचुरी वेंचर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

इस कंपनी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गांव के मध्य स्थित तालाब पर काम शुरू करना था ताकि इसकी सफलता की दर के आधार पर इसे महाग्राम योजना के तहत राज्य के अन्य जिलों के तालाबों के लिए दोहराया जा सके।

गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति कमोबेश ठीक है, क्योंकि इसमें सामान्य रोगों के इलाज के लिए एक योग्य डॉक्टर और उनके सहयोगी हैं। क्योड़क गांव का औसत लिंग अनुपात 839 है, जो कि हरियाणा राज्य के औसत 879 से कम है।

राजनीतिक महत्व

राजनीति के जानकारों का दावा है कि 50 फीसदी गुर्जर समुदाय की आबादी वाला यह गांव कैथल विधानसभा की राजनीति को प्रभावित करता है। यही कारण है कि राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कैथल से विधायक न होने के बावजूद क्योड़क गांव का चुनाव आदर्श ग्राम के लिए करते हैं। मुख्यमंत्री खट्टर खुद करनाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

आपको बता दें कि कैथल से कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला उम्मीदवार हैं। उनके सामने भाजपा ने लीला राम गुर्जर को टिकट दिया है, जो इससे पहले इनेलो में शामिल थे।

गांव वालों के मुताबिक गांव के बाकी 50 प्रतिशत मतदाता गुर्जरों के खिलाफ वोट करते हैं। कैथल को कांग्रेस पार्टी के लिए एक सुरक्षित सीट माना जाता है क्योंकि इसने 1967 से अब तक सात बार जीत हासिल हुई है। जानकारों का कहना है कि कैथल का एक गांव गोद लेकर मुख्यमंत्री खट्टर ने कांग्रेस को उसके गढ़ में ही कमजोर करने की कोशिश की है।
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आपको बता दें कि कांग्रेस के ओम प्रभा 1967 और 1968 में लगातार दो विधानसभा चुनावों में चुने गए थे। 1972 के चुनाव में कांग्रेस के चरण दास ने प्रभावशाली जीत दर्ज की थी। इसके बाद जनता पार्टी ने 1977 के चुनाव में जीत दर्ज की। फिर निर्दलीय और लोकदल ने क्रमश: 1982 और 1987 में जीत दर्ज की। बाद में 1991 में फिर से कांग्रेस ने यह सीट जीत ली।

1996 और 2000 के चुनावों में कांग्रेस ने समता पार्टी के चरण दास और इनेलो के लीला राम से क्रमशः हार का सामना किया। 2005 से सुरजेवाला इस सीट से जीतते आ रहे हैं। यह उनका लगातार तीसरा कार्यकाल है। यदि वह इस चुनाव में जीत जाते है तो लगातार चौथी बार इस सीट का प्रतिनिधित्व करेंगे। अगर 21 अक्टूबर को होने वाले मतदान के बाद कांग्रेस बहुमत का आंकड़ा पार कर लेती है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार के रूप में भी देखा जा रहा है।

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