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"हुक्मरान को सत्ता का नशा नहीं होना चाहिए, वह बदलती रहती है"

संदीप पांडेय ने इसी पृष्ठभूमि में हमसे यह साझा किया कि विरोध करना क्यों ज़रूरी है, ख़ासतौर से ऐसे समय में जहाँ राज्य हर जगह 'सहमति' गढ़ रही है और संस्थान, लोगों के मौलिक अधिकारों को महफ़ूज़ रखने में असफल हो रहे हैंI वे कहते हैं कि कश्मीर में विरोध करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि घाटी में लोगों से बोलने की आज़ादी छीन ली गयी हैI

गाँधीवादी, सामाजिक कार्यकर्ता और 2002 के उभरते नेताओं की श्रेणी में मेगसेसे पुरस्कार प्राप्त संदीप पांडेय ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के अधिकार को छीने जाने के ख़िलाफ़ लखनऊ में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित कियाI उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने इस विरोध प्रदर्शन को नाकाम करने की हर संभव कोशिश कीI संदीप पांडेय ने इसी पृष्ठभूमि में हमसे यह साझा किया कि विरोध करना क्यों ज़रूरी है, ख़ासतौर से ऐसे समय में जहाँ राज्य हर जगह 'सहमति' गढ़ रही है और संस्थान, लोगों के मौलिक अधिकारों को महफ़ूज़ रखने में असफल हो रहे हैंI वे कहते हैं कि कश्मीर में विरोध करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि घाटी में लोगों से बोलने की आज़ादी छीन ली गयी हैI संदीप का कहना है कि विरोध का राजनीतिक मूल्य इसलिए है क्योंकि विरोध से वह ज़ाहिर होता है जो कि नागरिक चाहते हैं ना कि जो राज्य चाहता हैI

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