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झारखंड : तबरेज़ मॉब लिंचिंग के छह आरोपियों को हाईकोर्ट से ज़मानत

तबरेज़ की मॉब लिंचिंग का मामला देशभर में गूंजा था। इस समय झारखंड में चुनाव का दौर जारी है। ऐसे में तबरेज़ के आरोपियों को ज़मानत मिलने पर ये मुद्दा एक बार फिर चुनाव के केंद्र में आ सकता है।
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तबरेज़ अंसारी। फाइल फोटो। साभार : India Today 

रांची : झारखंड के सरायकेला में चोरी के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीट मारे गये तबरेज़ अंसारी की हत्या मामले में छह आरोपियों को मंगलवार को उच्च न्यायालय से जमानत मिल गयी।

झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर मुखोपाध्याय की पीठ ने भीमसेन मंडल, चामू नायक, महेश महली, सत्यनारायण नायक, मदन नायक, विक्रम मंडल को इस मामले में छह माह बाद जमानत दी। सभी आरोपियों ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी।

सुनवाई के दौरान इनके अधिवक्ता ए.के.साहनी ने पीठ को बताया कि तबरेज अंसारी मामले में इनका नाम प्राथमिकी में नहीं है और न ही नामजद आरोपित पप्पू मंडल ने पुलिस को दिए अपने बयान में इनका नाम लिया है। इस सब के बावजूद सभी आरोपी लगभग छह माह से जेल में बंद हैं।

आपको बता दें कि इस मामले में पुलिस ने पहले हत्या की धारा 302 को हटाकर उसे ग़ैर-इरादतन हत्या की धारा 304 में बदल दिया था। लेकिन बाद में देशभर में प्रदर्शन के बाद धारा 302 को बहाल किया गया।

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आरोपियों के वकील ने पीठ को बताया गया कि 18 जून 2019 को चोरी के आरोप में तबरेज अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और सीजेएम कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया। 22 जून को उसकी तबीयत खराब हुई और इलाज के दौरान सरायकेला के सदर अस्पताल में तबरेज की मौत हो गई। ऐसे में यह हिरासत में हुई मौत का मामला है। इसलिए इनको जमानत मिलनी चाहिए।

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इस दौरान प्रतिवादी की ओर से इनकी जमानत का विरोध किया गया और कहा गया कि मारपीट की घटना में सभी लोग शामिल थे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने छह आरोपियों को जमानत दे दी।

भीड़ हिंसा के इस मामले में तबरेज की पत्नी एस परवीन ने प्राथमिकी दर्ज कराई जिसमें आरोप है कि तबरेज को भीड़ ने एक खंभे से बांध कर उसकी पिटाई की थी। इसकी वजह से उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

आपको बता दें कि इस समय झारखंड में चुनाव का दौर जारी है। विपक्ष मॉब लिंचिंग को एक मुद्दा बनाना चाहता है हालांकि वह इसमें कामयाब नहीं हो पा रहा है। बीजेपी के तेज़ अभियान के चलते यहां कई दूसरे मुद्दे हावी हैं। अब ऐसे समय में तबरेज़ के आरोपियों को ज़मानत मिलने पर ये मुद्दा एक बार फिर चुनाव के केंद्र में आ सकता है।

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(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

 

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