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केरल के सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार ने 1000 दिन पूरे कर लिए हैं। सरकार ने इस दौरान राज्य के सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की गई है।
Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार ने 1000 दिन पूरे कर लिए हैं। सरकार ने राज्य के सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। हालांकि केरल को इस दौरान ओखी, निपाह और 2018 में आए बाढ़ सहित कई प्राकृतिक आपदाओं से जूझना पड़ा लेकिन इस कठिन समय से निपटने के लिए सरकार ने जनता के बीच एक सामूहिक विवेक बनाने में सफलता हासिल की।

सामाजिक सुरक्षा पेंशनों का समय पर वितरण, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) का पुनरुद्धार, स्वास्थ्य क्षेत्र और शिक्षा क्षेत्र में सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि, बुनियादी ढांचा विकास, मजदूर वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने के लिए क़दम उठाना, हाशिए पर मौजूद वर्गों और जातियों के लिए ध्यान केंद्रित करना आदि एलडीएफ सरकार की मुख्य विशेषताएं रही हैं।

20 फरवरी को समारोह का उद्घाटन करते हुए सीएम पिनारयी विजयन ने कहा कि एलडीएफ शासन के दौरान राज्य का मूड नकारात्मक से सकारात्मक में बदल गया। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार कम हुआ है, विकास कार्य समय पर पूरे हुए हैं, राज्य अधिक से अधिक निवेशकों के अनुकूल बन गया है और कृषि क्षेत्र में तेज़ी देखी जा रही है।

सरकार की समावेशी नीति ने सभी वर्गों को एक साथ ला दिया है और हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की है। वर्तमान में राज्य के 51 लाख से अधिक लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल रही है। जब सरकार ने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार से सत्ता ली थी तब पेंशन राशि 600 रुपये प्रति माह थी। इसे बढ़ाकर अब 1,200 रुपये प्रति माह कर दी गयी है। इसके साथ ही इस सरकार में 11 लाख नए लाभार्थियों को जोड़ा गया है।

न्यूनतम मज़दूरी 26 विभिन्न क्षेत्रों में लागू की गई है जिसमें सबसे अधिक शोषणकारी क्षेत्रों में से एक नर्सिंग क्षेत्र भी शामिल है। इसके अलावा काम की तलाश में राज्य में आने वाले विस्थापित मज़दूरों के लिए कई विशेष योजनाएं लागू की गई हैं। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा उपायों को सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया है। प्रवासी श्रमिकों के लिए अपना घर योजना, प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिए शिक्षा योजना, श्रमिकों के लिए आवाज़ स्वास्थ्य बीमा आदि भी एलडीएफ शासन के लिए मील के पत्थर बन गए हैं।

पिछली सरकार के विपरीत एलडीएफ सरकार राज्य में सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। राज्य के स्कूलों में पिछले दो वर्षों में 3.42 लाख छात्रों के नए नामांकन से पता चलता है कि ये प्रयास कितने प्रभावी रहे हैं। शिक्षा विभाग ने सभी छात्रों के लिए मुफ्त पाठ्य पुस्तकें और यूनिफॉर्म भी वितरित की हैं। राज्य भर में लगभग 45,000 कक्षाओं को 'हाई-टेक' में अपग्रेड किया गया है। सरकार ने उन चार स्कूलों को भी अधिग्रहण कर लिया था जिन्हें बंद किया जाना था।

राज्य स्वास्थ्य क्षेत्र की उत्कृष्टता और प्रभावशीलता का गवाह रहा है खासकर निपाह के समय। निपाह के प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य की रक्षा की थी। निपाह के चलते काफी नुकसान हुआ। निपाह के प्रकोप के समय एक संस्थान स्थापित करने का फैसला किया गया था और निपाह के आठ महीने बाद राज्य में इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस वाइरोलॉजी (आईएवी) स्थापित किया गया है। आईएवी देश का पहला ऐसा संस्थान होगा जिसे ग्लोबल वायरस नेटवर्क के साथ जोड़ा जाना है।

अब तक 170 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्रों में अपग्रेड किया गया है। क्लिनिकल एस्टैब्लिश्मेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट भी पारित किया गया है। महामारी को रोकने के लिए आरोग्य जागृति परियोजना, जीवनशैली संबंधी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए अमृतम अरोग्यम परियोजना आदि को भी स्वास्थ्य क्षेत्र में लागू किया गया है। राज्य में बाढ़ के बाद के चरण में स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता से लेप्टोस्पायरोसिस और हैजा आदि जैसी घातक बीमारियों को रोकने में मदद मिली है।

हालांकि 2018 की बाढ़ ने राज्य की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया था लेकिन बचाव कार्यों के तौर पर राज्य सरकार की तत्काल कार्रवाई ने पुनर्निर्माण स्थिति को सहारा दिया। यहां तक कि केरल बजट 2019 में बाढ़ के बाद केरल के नवनिर्माण के लिए 25 नई परियोजनाओं को पेश किया।

इस बाढ़ ने कुल 1,664 गांवों में से 1,269 गांवों को प्रभावित किया था और 433 लोगों की मौत हो गई थी। इस समय 14.5 लाख से अधिक लोगों का पुनर्वास किया गया था। हालांकि बीजेपी के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार ने राज्य को मदद देने में देरी की थी लेकिन राज्य सरकार ने विभिन्न जन संगठनों की मदद से बचाव, पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाया। अब तक पुनर्निर्माण में 5,000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

नए आंकड़ों के अनुसार इस बाढ़ से 13,362 घरों को पूरी तरह से नुकसान हुआ था। इनमें से 9,431 परिवारों को सरकार से वित्तीय सहायता का पहला हिस्सा मिला है और निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है। इन मकानों के पुनर्निर्माण के लिए 101 करोड़ रुपए का वितरण किया गया है। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए घरों को अब तक 770 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। कृषि बीमा के रूप में 195 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए 198 करोड़ रुपये ख़र्च किए गए हैं।

समारोह के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताया जिसमें जीएआईएल पाइपलाइन, राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार,राष्ट्रीय जलमार्ग, प्रस्तावित तटीय राजमार्ग और पहाड़ी राजमार्ग, राज्य में निसान जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश और स्टार्ट-अप की संख्या में वृद्धि सहित विभिन्न परियोजनाएं शामिल हैं।

राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के साथ, पारंपरिक उद्योगों जैसे कॉयर, काजू आदि को सरकार के सक्रिय समर्थन से पुनर्जीवित किया जा रहा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास कर रही है जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उन्हें ख़त्म कर रही है।

हालांकि सरकार राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय के ख़िलाफ़ हमलों के लिए आलोचना का शिकार हुई। सरकार ने इस समुदाय की सामाजिक और वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए नीतियां बनाई और लागू कीं। इस राज्य ने हमेशा सामाजिक सुधारों को गति दिया है। इसने राज्य में विशेष स्वास्थ्य योजनाओं और शैक्षिक योजनाओं के साथ ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए को-ऑपरेटिव सोसायटी शुरू की।

जैसा कि वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने बजट भाषण के दौरान कहा, "हम लोग जेंडर की स्थिति के मामले में किसी भी अन्य राज्यों की तरह काफी पीछे हैं, हालांकि हमने कुछ प्रगति हासिल ज़रूर की है।"

लाइफ मिशन योजना केरल का एक अन्य प्रमुख कार्यक्रम है जो केरल को एक ऐसे राज्य में बदलने का प्रयास कर रहा है जहां सभी को आवास उपलब्ध हो। इस योजना ने अपने प्रारंभिक लक्ष्य का लगभग 93 प्रतिशत हासिल कर लिया है। कुल 1,84,255 लाभार्थी जिनके पास ज़मीन है लेकिन वे बेघर हैं उन्हें लाइफ मिशन के दूसरे चरण में आवास उपलब्ध कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

समावेशी नीतियों के साथ सरकार के 1000 दिन पूरे हो गए। इससे "नए केरल, धर्मनिरपेक्ष, भ्रष्टाचार-मुक्त और विकसित" राज्य की ओर जाने का रास्ता स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ये वादा एलडीएफ ने 2016 के चुनावी घोषणा पत्र में किया था।

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