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क्या दिल्ली सच में डेंगू से लड़ने के लिए तैयार है ?

मिडिया रिपोर्ट के हिसाब से दिल्ली में मलेरिया के मरीजों की संख्या पिछले एक हफ्ते में 18 से बढ़कर 31 हो गई है, तो वहीं इस सीजन में डेंगू के 14 और चिकनगुनिया के 7 मामले अभी तक सामने आ चुके हैं।
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image courtesy- hindustan times

दिल्ली में बारिश का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में दिल्ली में कई बीमारियां  होती है जैसे चिकनगुनिया ,डेंगू और मलेरिया।इसके बचाव के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने व्यापक कार्ययोजना की समीक्षा भी की है। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को विभिन्न विभागों के सीनियर अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की और कहा कि दिल्ली सरकार डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लेकिन क्या सही में दिल्ली इन बीमारियों से लड़ने के लिए  तैयार है ? 

लेकिन ज़मीनी हकीकत तो कुछ और ही कह रही है। मानसून से पहले ही बीमारियों ने एकबार फिर से अपना सर उठान शुरू कर दिया है। मिडिया रिपोर्ट के हिसाब से  दिल्ली में मलेरिया के मरीजों की संख्या पिछले एक हफ्ते में 18 से बढ़कर 31 हो गई है, तो वहीं इस सीजन में डेंगू के 14 और चिकनगुनिया के 7 मामले अभी तक सामने आ चुके हैं।  

वहीं दूसरी ओर नगर निगम के अस्पतालों में जरूरी दवाओं की भरी कमी है। इसके आलावा मलेरिया ,डेंगू और चिकनगुनिया के खिलाफ ज़मीन पर  काम करने वाले घरेलू प्रजनन जांचकर्ताओं (डीबीसी) यानी वो लोगो जो घर-घर जाकर जाँच करते हैं,  उनका कहना है कि डेंगू और मलेरिया के मच्छर पनप नहीं रहे हैं। अगर कहीं पैदा हो रहे हैं तो वे, उनके रोकथाम के लिए भी कार्य करते हैं। इनकी संख्या अभी  3500  है जो कि जरूरत से कम है। जो कर्मचारी काम भी कर रहे हैं, उन्हें कई महीनों तक सैलरी नहीं मिलती है। इसके आलावा भी उनको कई तरह की समस्या है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वो हड़ताल पर जाएंगे।   

पिछले साल भी डीबीसी के 3500 कर्मचारी ने 17 दिनों तक नई दिल्ली स्थित एमसीडी मुख्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे थे। वे सभी अपना वेतन मांग  रहे थे, जिसका कि कई महीनों में भुगतान नहीं किया गया था और मांग कर रहे थे कि उन्हें स्थायी किया जाए।  लेकिन उस समय कर्मचारियों को अश्वशान दिया गया था कि उनकी सभी समस्याओ का हल कर दिया जाएगा लेकिन आज यह कर्मचारी उसी हालात में काम करने को मज़बूर हैं। डीबीसी  टीम जो शहर को डेंगू,मलेरिया और चिकनगुनिया की व्यापक महामारी से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, उनकी यह  स्थिति है कि एमसीडी प्रशासन या दिल्ली सरकार में इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। 
 
एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देवन्द्र शर्मा ने कहा हम डीबीसी कर्मचारियों से उम्मीदी की जाती है कि हम दिल्ली की डेंगू और अन्य जानलेवा बीमारियों से रक्षा करे। वो हम करते भी है लेकिन जब हमारा और हमारे  परिवार का पेट खाली हो तो हम यह कैसे करे ? उन्होंने बतया कि  उन लोगो को  पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं मिली थी। अभी अंदोलन के डर से एमसीडी ने  लोन लेकर केवल एक महीने का वेतन दिया है अभी दो महीने का वेतन वाकया है। 

इसके साथ ही उन्होंने कहा की डीबीसी कर्मचारियों की सबसे बड़ी समस्या यह है की वो लोग लगभग 20-20  साल से काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई पोस्ट (पद ) नहीं है। यानी  जैसे आप किसी भी विभाग में कार्य करते हैं तो आपकी एक पोस्ट होती है, आप फील्डवर्कर हैं या क्लर्क या और कुछ और लेकिन हमरे साथ ऐसा नहीं है। इसके अलावा एमसीडी कहती है कि हम उसके कर्मचारी नहीं है, जबकि हम सारे काम करते हैं, अपने काम के अलावा भी हमसे अन्य काम लिया जाता है जैसे अवैध होडिंग हटना, हाउस टेक्स वसूलना आदि। इसके बजूद भी हमरे साथ सौतेला व्यव्हार किया जाता है। क्यों ? उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों का हल जल्द नहीं किया गया तो वो एकबार फिर अंदोलन के लिए मज़बूर हो जाएंगे। 

ये हालत तो उन कर्मचारियों की है जो डेंगू और अन्य जानलेवा बीमारियों के रोकथाम के लिए कार्य करते हैं। इसके अलावा एमसीडी के सरकारी अस्पतालों के भी हालत गंभीर है। 

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अस्पतालों में फंड की कमी है और उनकी हालत कितनी खराब है ? इसका अंदाज़ इसी से लगता है कि एमसीडी के सबसे बड़े अस्पतालों में शामिल हिंदू राव हॉस्पिटल में जरूरी दवाओं का स्टॉक खत्म हो गया है, जबकि इमरजेंसी की दवाएं अब कुछ दिनों की ही बची हैं। 

 हालत इतनी खरब है अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक  ब्लड टेस्ट करने वाली किट भी नहीं है।   इस  अस्पताल में रोज़ाना 2 से 3 हजार मरीज रोज आते हैं . ऐसे में जब आने वाले दिनों में मॉनसून आएगा और उसके बाद मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ेगी तो अस्पताल को चलाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।  ऐसा नहीं है की ये हालत सिर्फ अभी अभी कुछ दिनों पहले ही अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कई महीनो से वतन न मिलाने को लकेर हड़ताल पर चले गए थे। 

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