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क्या निजीकरण का नया नाम पीपीपी नहीं है रेल मंत्री जी?

लोकसभा में वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर जवाब देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सफाई दी कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा, बल्कि सिर्फ़ पीपीपी मॉडल अपनाया जा रहा है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल

रेल मंत्री, रेल कर्मचारियों से लेकर विपक्ष तक सबकी आशंकाओं और शिकायतों को सिर्फ़ यह कहकर ख़ारिज कर रहे हैं कि सरकार रेलवे का निजीकरण नहीं कर रही बल्कि सिर्फ़ पीपीपी मॉडल अपना रही रही है। लेकिन वो ये बताना भूल गए कि अब निजीकरण का एक नया नाम पीपीपी यानी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप ही है। जिसमें धीरे-धीरे सारी ताकत सरकार के हाथों से निकलकर निजी हाथों में चली जाती है।

लोकसभा में वर्ष 2019..20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर बृहस्पतिवार को देर रात तक चली चर्चा का शुक्रवार को जवाब देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘मैं बार-बार कह चुका हूं कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि लेकिन कोई सुविधा बढ़ाने की बात करे, प्रौद्योगिकी लाने की बात करे, कोई नया स्टेशन बनाने की बात करे, कोई हाई स्पीड, सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की बात करे, स्टेशन पर सुविधा बढ़ाने की बात करें तो इसके लिये निवेश आमंत्रित किया जाना चाहिए।

पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में सुविधा बढ़ाने, गांवों और देश के विभिन्न हिस्सों को रेल सम्पर्क से जोड़ने के लिये बड़े निवेश की जरूरत है। अच्छी सुविधा, सुरक्षा, हाई स्पीड आदि के लिये निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) को प्रोत्साहित करने का सरकार ने निर्णय किया है।

रेल मंत्रालय के अनुदान की मांग पर चर्चा के दौरान बृहस्पतिवार को कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी),  निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है।

विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए।

इस पर गोयल ने कहा, ‘‘ रेलवे बजट पहले जनता को गुमराह करने के लिए होते थे, राजनीतिक लाभ के लिए नयी ट्रेनों के सपने दिखाए जाते थे।’’

रेलवे के निजीकरण करने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में बाहर से निवेश आमंत्रित करने के लिये ‘‘कारपोरेटाइजेशन’’ की बात कही गई है। इसका भी फैसला पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान हुआ था, अब इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि रेल की बेहतरी और सुविधाएं बढ़ाने के लिये अगले 10..12 साल में 50 लाख करोड़ रूपये के निवेश का इरादा किया गया है। हम नयी सोच और नयी दिशा के साथ काम कर रहे हैं। क्षमता उन्नयन के लिये छह लाख करोड़ रुपये, माल ढुलाई क्षमता को बेहतर बनाने के लिये 4.5 लाख करोड़ रूपये, स्वर्ण चतुर्भुज क्षेत्र में गति बढ़ाने के लिये 1.5 लाख करोड़ रूपये खर्च करने का इरादा किया गया है।

विपक्ष खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए रेल मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार की व्यवस्था हमें 2014 में मिली, वह जर्जर थी। पिछले 64 वर्षो में 12 हजार रनिंग किलोमीटर रेलमार्ग का विस्तार किया गया और पिछले पांच वर्ष में मोदी सरकार के दौरान 7 हजार रनिंग किलोमीटर मार्ग बढ़ा।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षो में तेज गति से रेलवे में दोहरीकरण, तिहरीकरण और विद्युतीकरण का कार्य किया गया । रेलवे में दोहरीकरण और तिहरीकरण के कार्य में 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई । पिछले पांच वर्षो में 13687 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया गया ।

उन्होंने कहा कि रेलवे में सुविधा बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष ढाई गुणा निवेश बढ़ा है।

रेल मंत्री ने कहा कि जहां तक ‘‘फ्रेट कारिडोर’’ की बात है, 2007 से 2014 तक सात वर्षो में 9000 करोड़ रूपये खर्च हुए लेकिन एक किलोमीटर ट्रैक लिंकिंग भी नहीं हुई जबकि 2014 से 2019 तक पांच वर्षो में 39,000 करोड़ रूपये का निवेश हुआ और 1900 किलोमीटर ट्रैंक लिंकिंग हुई।

रेल मंत्री ने सुरक्षा, दुर्घटना जैसे विषयों पर विपक्ष के आरोपों का आंकड़ों के माध्यम से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि रेलवे में साफ सफाई, सुरक्षा और संरक्षा को बेहतर बनाने के लिये हम लगातार प्रयासरत है। ट्रेनों में सुविधाएं बढ़ी है और पहले की तुलना में दुर्घटनाएं कम हुई हैं।

उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग से जुड़ा लाभ रेल कर्मचारियों को पहुंचाने के लिये 22 हजार करोड़ रूपये दिये गये हैं, इसके बावजूद रेलवे को लाभ की स्थिति में रखा गया है।

उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षो में पूरे ब्रॉड गेज का शत प्रतिशत विद्युतीकरण किया जायेगा। अगले 12 महीने में सभी ट्रेनों में बायो टायलेट लगा दिये जायेंगे।

रेल मंत्री ने कहा कि अगर 11 जुलाई, 2006 को हुई मुंबई ट्रेन विस्फोट की घटना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई होती तो प्रधानमंत्री मोदी ने मुंहतोड़ जवाब दिया होता।

संसद में जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रायबरेली मॉर्डन कोच फैक्ट्री को 2007..08 को मंजूरी दी गई थी और 2014 में हमारी सरकार बनने तक वहां एक भी कोच नहीं बना। कपूरथला और चेन्नई से लाकर वहां पेंट किया जाता था और कहते थे कि प्रोडक्शन हो गया। पीयूष गोयल ने कहा कि मॉर्डन कोच फैक्ट्री में अगस्त 2014 में पहला कोच बनकर निकला था।

रेल मंत्री ने कहा कि इस कोच फैक्ट्री की क्षमता प्रति वर्ष 1000 कोच बनाने की थी और 2018..19 में 1425 कोच बने।

पिछले सप्ताह लोकसभा में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार पर रेलवे की ‘‘बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने’’ का आरोप लगाया था और इस बात पर अफसोस जताया था कि सरकार ने निगमीकरण के प्रयोग के लिए रायबरेली के मॉडर्न कोच कारखाने जैसी एक बेहद कामायाब परियोजना को चुना है। उन्होंने निगमीकरण को निजीकरण की शुरुआत करार दिया था।

बुलेट ट्रेन के काम में देरी

इसके अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि महाराष्ट्र के पालघर में भूमि अधिग्रहण से जुड़े कुछ मुद्दों की वजह से मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के काम में थोड़ा विलंब हुआ है, लेकिन इस परियोजना को तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में कुछ रेलवे परियोजनाओं का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जमीन मुहैया नहीं कराने के कारण इन परियोजनाओं में देरी हो रही है।

उन्होंने कहा कि पुराने रेलवे पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इनका नियमित ऑडिट कराया जा रहा है।

गोयल ने कहा कि उनके मंत्रालय ने ‘रेल दृष्टि’ नाम ऐप तैयार किया है जिससे लोग सभी रेलगाड़ियों के आगमन-प्रस्थान के समय और उनकी लोकेशन के बारे में पता कर सकते हैं।

टीडीपी के जयदेव गल्ला के एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।

मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के कटौती प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए सदन ने रेल मंत्रालय संबंधी अनुदान की मांग को मंजूरी दे दी ।

(भाषा के इनपुट के साथ)

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