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केरल बजट 2021-22: रोज़गार सृजन और समाज कल्याण पर ज़्यादा ज़ोर

आठ लाख रोज़गार के अवसर सृजित किए जाएंगे, पेंशन 100 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये कर दी गई, आशा वर्कर्स और निर्वाचित स्थानीय निकाय प्रतिनिधियों के लिए मानदेय 1,000 रुपये तक बढ़ा दिया गया है।
केरल बजट 2021-22

COVID-19 महामारी जिसने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है इसके खिलाफ एक सर्वव्यापी लड़ाई की पृष्ठभूमि में केरल के वित्त मंत्री टीएम थॉमस इसाक ने शुक्रवार को वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के 2021-22 बजट को पेश किया जो सामाजिक कल्याण, आठ लाख रोजगार के अवसर के सृजन करने और अत्यधिक गरीबी के उन्मूलन के लिए एक स्पष्ट योजना तैयार करने पर केंद्रित है।

केरल विधानसभा में अपने सबसे लंबे भाषण में इसाक ने कहा, "वामपंथी सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि महामारी के समय कोई भी भूखा न सोए। इससे लोगों के मन में भी विश्वास पैदा हुआ।"

महामारी से लड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित विभिन्न पहलों को सूचीबद्ध करके अपने भाषण की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ये बजट COVID के बाद केरल में विकास और प्राथमिकताओं का एक विज़न डॉक्यूमेंट होगा।

उन्होंने कहा कि एलडीएफ सरकार जिसने लगातार दो बार बाढ़ से और कोरोनवायरस महामारी से प्रभावी ढंग से लड़ा था उसने प्रत्येक चुनौती और संकट को नए अवसरों के रूप में माना किया।

बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती

शिक्षित लोगों की बेरोजगारी केरल के सामने सबसे बड़ी विकासात्मक चुनौती है। इसलिए 2021-22 के राज्य बजट का मुख्य जोर इसके लिए एक कार्य योजना बनाना है।

2021-22 में कुल आठ लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इसमें से तीन लाख रोजगार के अवसर शिक्षितों के लिए और पांच लाख अन्य लोगों के लिए होंगे।

इसाक ने अपने बजट भाषण में कहा, “यद्यपि 15 से 59 आयु वर्ग में राष्ट्रीय स्तर की बेरोजगारी 2018-19 में 5.8% थी वहीं केरल में यह 10.4% थी। इसका मुख्य कारण केरल में महिलाओं की बेरोजगारी है। जहां केरल में पुरुष बेरोजगारी दर 5.8% है, वहीं महिला बेरोजगारी दर 19.1% है। नौकरी पाने में कठिनाइयों को मानते हुए महिलाएं नौकरी तलाशना बंद कर देती हैं और श्रम बल से बाहर चली जाती हैं। यह कहना शर्मनाक है कि पुरुषों की श्रम भागीदारी दर 73.5% है जबकि महिलाओं की केवल 28.5% है।”

इसाक ने ब्लॉक और नगरपालिका स्तर पर कम से कम 5,000 वर्ग फुट वाले भवनों को वर्क-स्टेशनों में परिवर्तित करने के लिए 20 करोड़ रुपये की नई परियोजना का प्रस्ताव दिया। एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म, जिसके माध्यम से कंपनियां सीधे घर से काम करने वालों या घर के पास काम करने वाले मॉडल के लिए नौकरी तलाशने वालों को भर्ती कर सकती हैं, को प्रस्तावित किया गया है। सरकार केएफसी, केएसएफई और केरल बैंक के माध्यम से किफायती ऋण पर कंप्यूटर और तकनीकी उपकरण खरीदने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है। इसाक के अनुसार, डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अगले पांच वर्षों में कम से कम 20 लाख लोग इस योजना के लाभार्थी होंगे।

उन्होंने कहा, “COVID-19 महामारी ने वैश्विक रूप से नौकरी के ढांचे में भारी बदलाव किया है। हमें इसके द्वारा खोले गए मार्गों का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए।” वैश्विक रूप से, लगभग 50 लाख लोग केंद्रीकृत कार्यालयों के बाहर डिजिटल नौकरियां कर रहे थे। COVID महामारी के दौरान यह बढ़कर तीन करोड़ हो गया। यह माना जाता है कि इनकी संख्या अगले पांच वर्षों में 18 करोड़ हो जाएगी।

इसके अलावा, पांच लाख से अधिक महिला पेशेवरों ने अपना काम छोड़ दिया है और घर पर रह रही हैं। अन्य 40 लाख शिक्षित महिलाएं जो श्रम बल से बाहर हैं और घर पर रह रही हैं वह घर या निकट स्थान से काम करने को इच्छित होंगी। इसके अलावा, एम्प्लायमेंट एक्सचेंज में पंजीकृत 16-17 लाख शिक्षित युवा रोजगार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस तरह कुल 60 लाख हो जाती है।

इसलिए, पांच वर्षों के भीतर डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कम से कम 20 लाख का लक्ष्य बनाने की योजना है। वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए पंजीकरण फरवरी में शुरू किया जाएगा। ये बजट कौशल प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देता है।


पिछले वर्षों की तरह स्टार्ट-अप पर विशेष ध्यान दिया गया है। 20,000 लोगों को रोजगार प्रदान करने वाले 2,500 स्टार्ट-अप 2021-22 में शुरू किए जाएंगे।

ज्ञान समाज

इस बजट में केरल को एक ज्ञान समाज में बदलने का भी लक्ष्य रखा गया है जो शिक्षितों को कुशल बनाने और उन्हें वैश्विक बाजार के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ने की परिकल्पना करता है।


इस बजट का उद्देश्य उच्च शिक्षा क्षेत्र को उत्कृष्टता के केंद्र में बदलना है। इसके लिए उच्च शिक्षा क्षेत्र का विस्तार 3-4 लाख और छात्रों को समायोजित करने के लिए किया जाएगा; अन्य 1,000 संकाय; विश्वविद्यालयों के भीतर उत्कृष्टता के 30 केंद्र; और 500 पोस्ट-डॉक्टरल फैलोशिप का उद्देश्य है।

मुख्यमंत्री की नेवा केरल पोस्ट-डॉक्टरल फैलोशिप में एक लाख रुपये तक का मासिक वजीफा होगा। केआईआईएफबी से 2000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता विश्वविद्यालयों के बुनियादी ढांचे के विकास और संबद्ध कॉलेजों के लिए 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के लिए दी जाएगी।

जीवनयापन के लिए रोजगार

वर्तमान में, राज्य में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 13-14 लाख लोग काम कर रहे हैं। वे औसतन 50 से 55 दिन काम करते हैं। 2021-22 के दौरान योजना का कुल परिव्यय 4,057 करोड़ रुपये है।

उन्होंने कहा, "लेकिन हम इस सीमा के भीतर काम के दिनों को नियंत्रित करने का इरादा नहीं कर रहे हैं... 2021-22 के दौरान, श्रमिकों के लिए बजट को कम से कम 75 दिनों के लिए काम प्रदान करने की दृष्टि से व्यवस्थित किया जाएगा।"

शहरी क्षेत्रों के लिए, पिछली एलडीएफ सरकार ने अय्यनकाली रोजगार सुरक्षा योजना शुरू की थी, जिसके लिए 100 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है।

साथ ही, कृषक समूहों और स्वयं सहायता समूहों, सहकारी समितियों आदि के तहत कृषि और संबद्ध क्षेत्र में दो लाख रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाएगा। बजट के अनुसार 2021-22 गैर-कृषि क्षेत्र में तीन लाख कुशल और अकुशल रोजगार के अवसर भी सृजित किए जाएंगे।

कॉयर, शिल्प क्षेत्र, मत्स्य पालन आदि जैसे पारंपरिक नौकरी क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।

अत्यधिक गरीबी को खत्म करना

हालांकि केरल एक ऐसा राज्य है जहां गरीबी तेज गति से कम हो रही है, एलडीएफ सरकार का मिशन गरीबी को पूरी तरह से खत्म करना है। पहले कदम के रूप में, सरकार चार से पांच लाख ’अत्यंत गरीब’ परिवारों की पहचान करेगी और उन्हें सूचीबद्ध करेगी।

उन्होंने कहा, “स्थानीय स्वशासित संस्थानों और कुडुम्बाश्री द्वारा मौजूदा आश्रय लाभार्थियों और नव नामांकित परिवारों के बीच संकट कारकों के आधार पर एक राज्य-स्तरीय सर्वेक्षण आयोजित करके एक प्राथमिकता सूची तैयार की जाएगी। वर्तमान में, 1.5 लाख परिवार आश्रय योजना के लाभार्थी हैं। सभी मौजूदा पात्र परिवारों को मिलाकर 4 से 5 लाख परिवारों को लाभार्थियों के रूप में शामिल करने का लक्ष्य है।"

बजट के अनुसार, प्रत्येक परिवार को 15 लाख रुपये प्रदान करते हुए 4-5 लाख परिवारों के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पांच वर्षों में 6000 - 7,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

'कोई भी न छूटे'

कल्याणकारी योजनाओं और पेंशन पैकेजों को मजबूत करते हुए सामाजिक कल्याण पेंशन को 100 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये कर दिया गया। आशा वर्कर्स और निर्वाचित स्थानीय निकाय प्रतिनिधियों के लिए मानदेय में 1,000 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है, केरल के गैर-निवासी के लिए कल्याण निधि योगदान में 200 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है।

इस बजट में पर्यटन क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक नया सामाजिक कल्याण बोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव है। पत्रकारों और गैर-पत्रकारों के लिए पेंशन में 1,000 रुपये की वृद्धि की गई है।

किसानों के लिए राहत में, रबर का आधार मूल्य 170 रुपये तक बढ़ा दिया गया, जबकि धान का खरीद मूल्य बढ़कर 28 रुपये और नारियल का 32 रुपये हो गया।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Kerala Budget 2021-22: Big Thrust on Job Creation and Social Welfare

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