NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
मैक्रों की जीत ‘जोशीली’ नहीं रही, क्योंकि धुर-दक्षिणपंथियों ने की थी मज़बूत मोर्चाबंदी
मरीन ले पेन को 2017 के चुनावों में मिले मतों में तीन मिलियन मत और जुड़ गए हैं, जो  दर्शाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद धुर-दक्षिणपंथी फिर से सत्ता के कितने क़रीब आ गए थे।
अनिंदा डे
28 Apr 2022
Translated by महेश कुमार
Macron
Image courtesy : AP

धुर-दक्षिणपंथ का स्वागत है, फ्रांस बंट गया है - हाँ, फ़्रांस ने फ़ार-राइट यानी धुर-दक्षिणपंथ का स्वागत किया है और मतदाता ध्रुवीकृत हो गए हैं। इमैनुएल मैक्रॉन ने लगातार दूसरी बार चुने जाने वाले पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति होने का इतिहास रचा हो सकता है, लेकिन रविवार की महत्वपूर्ण जीत ने फ्रांस की राष्ट्रीय राजनीति में धुर-दक्षिणपंथ की अशुभ खाई को भी रेखांकित किया है।

रैसेम्बलमेंट नेशनल (यानि नेशनल रैली, जिसे 2018 तक नेशनल फ्रंट के नाम से जाना जाता था) की  संस्थापक मैरियन एनी पेरिन 'मरीन' ले पेन और एरिक ज़ेमोर के नेतृत्व ने मुसलमानों, अप्रवासियों, यूरोपीयन यूनियन और वैश्वीकरण के खिलाफ क्रूर और कटु आलोचना के ज़रिए फ्रांस के बहुसंस्कृतिवाद को एक विनाशकारी झटका दिया गया है।

फ्रांस चुनाव परिणाम धुर-दक्षिणपंथ के अशुभ उछाल को दर्शाते हैं। मैक्रोन ने दूसरे दौर में ले पेन को 41.45 प्रतिशत वोटों के मुकाबले 58.55 प्रतिशत वोट जीतकर हरा दिया है, लेकिन  2017 में ले पेन को मिले 33.9 प्रतिशत मत के मुक़ाबले 66.1 प्रतिशत की भारी जीत की तुलना में काफी कम अंतर है।

हो सकता है कि फ़्रांस ने इस चुनाव में धुर-दक्षिणपंथ को एलिसी यानि फ्रांस के राष्ट्रपति के निवास-स्थान से बाहर रखने के लिए वोट दिया हो, लेकिन ले पेन ने अपने 2017 के मतों में लगभग तीन मिलियन वोट जोड लिए हैं जो यह दर्शाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार धुर-दक्षिणपंथ कैसे खतरनाक रूप से अपनी पकड़ बना रहा है। कुल मिलाकर, 26 जिलों और दो विदेशी क्षेत्रों ने उसे वोट दिया, और न्यू कैलेडोनिया को छोड़कर हर जिले में मैक्रोन की जीत का अंतर कम हो गया है।

 एफिल टॉवर के सामने जीत की घोषणा करते हुए, मैक्रोन ने भी स्वीकार किया कि "हमारा देश संदेह और विभाजन से घिरा हुआ है" और फ्रांसीसी मतदाताओं ने उनके विचारों के प्रति  मतदान नहीं किया है "बल्कि धुर-दक्षिणपंथियों को सत्ता से दूर रखने के लिए वोट दिया है।" फ्रांसीसी दैनिक समाचार पत्रों ने इस क्रूर वास्तविकता को जल्दी पकड़ लिया: ले मोंडे ने इस  जीत को "जोश के बिना की जीत की शाम" करार दिया है और ले फिगारो ने पूछा: "कि भला कौन विश्वास कर सकता है कि यह लोकप्रिय समर्थन की जीत है?"

मैक्रोन के प्रतिद्वंद्वी निर्दयी हैं। इसलिए ले पेन ने हार को "शानदार जीत" घोषित करते हुए अपना जुझारू और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। उनके शब्दों से पता चलता है कि 2002 में उनके दिवंगत पिता और नेशनल फ्रंट के संस्थापक जीन लुइस मैरी ले पेन को जैक्स शिराक ने जब 18 प्रतिशत के मुक़ाबले शानदार 82 प्रतिशत मतों से हरा दिया था, और उस बुरी हार के बाद पेन ने 40 प्रतिशत वोट पाकर इतिहास रच दिया है, जिसने पार्टी को उत्साह दिया और इसके राष्ट्रवादी और ज़ेनोफोबिक एजेंडा को मजबूत किया है। 

पेन ने कहा कि, "जिन विचारों का हम प्रतिनिधित्व करते हैं वे नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं ... यह परिणाम अपने आप में एक शानदार जीत का प्रतिनिधित्व करता है। इस हार में, मैं मदद नहीं कर सकती, लेकिन आशा का एक रूप महसूस कर सकती हूं”, ले पेन ने एक चुनावी रात की पार्टी में अपने समर्थकों से कहा कि "आज शाम से ही, हम विधायी चुनावों (जून में निर्धारित) के लिए महान लड़ाई की शुरूवात करते हैं।"

वास्तव में, पहले दौर ने ही इस बात का एहसास हो गया था कि कैसे ले पेन के 23.2 प्रतिशत की तुलना में मैक्रॉन को मिले केवल 27.8 प्रतिशत वोट जीतने के बाद कट्टरपंथी दक्षिणपंथ ने खुद को मजबूत किया था। परिणामों ने सेंटर-लेफ्ट पार्टी सोशलिस्ट और सेंटर-राइट लेस रिपब्लिकन के दशकों पुराने पारंपरिक प्रभुत्व को भी समाप्त कर दिया है, जिसमें धुर-दक्षिणपंथ का संयुक्त वोट शेयर 30 प्रतिशत पार कर गया है। 

ले पेन ने पहले दौर में तीसरे स्थान पर रहने वाले धुर-वाम उम्मीदवार जीन-ल्यूक मेलेनचॉन को भी धराशायी किया - हालांकि 1.2 प्रतिशत बहुत कम अंतर के साथ-और वह भी ऐतिहासिक रूप से कम मतदान के साथ ऐसा किया। मेलेनचॉन भले ही तीसरे स्थान पर रहे हों, लेकिन उन्होंने लेस रिपब्लिक सहित अन्य दावेदारों का सफाया कर दिया, 2017 में उनकी टैली 19.6 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 22 प्रतिशत हो गई है। 

जीवन की बढ़ती लागत, मैक्रोन के आर्थिक उदारवाद, बढ़ते वैश्वीकरण, यूरोपीयन यूनियन और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन या नाटो के विरोध के अपने अतिव्यापी एजेंडा के कारण ले पेन की धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा ने मेलेनचॉन को हराने में उनकी मदद की। ले पेन के धुर-दक्षिणपंथी रुख ने फ्रांस का नेतृत्व करने के सबसे अच्छे उम्मीदवार होने के उनके दावे में रोड़ा तब अटक गया, जब उन्होंने खुद को धुर-वामपंथी एजेंडे के साथ जोड़ दिया था।

आमतौर पर, पहले दौर में बाहर हुए उम्मीदवारों के समर्थक दूसरे दौर में उन्हे मतदान नहीं करते हैं - वे या तो अंतिम दो उम्मीदवारों के एजेंडे से सहमत नहीं होते हैं या निराश और अनिश्चित होते हैं। यह इस साल अंतिम दौर में ऐतिहासिक कम मतदान इस बात की व्याख्या करता है।

चुनाव में तटस्था की दर रिकॉर्ड 28 प्रतिशत रही या 13,600,000 मतदाता तटस्थ रहे जो 2017 की तुलना में 2.5 प्रतिशत अधिक है और 1969 के बाद से सबसे अधिक है। वास्तव में, पहले दौर के बाद दूसरे दौर के बारे में किए गए एक आईफॉप सर्वेक्षण के अनुसार, मेलेनचॉन समर्थकों के 44 प्रतिशत हिस्से के मतदान नहीं करने की उम्मीद की गई थी। हाल ही में इप्सोस के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि मेलेनचॉन के आधे समर्थक न तो मैक्रॉन और न ही ले पेन को वोट दिया है। पहले दौर में भी, लगभग 26 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान नहीं किया, जो 2017 की तुलना में 4 प्रतिशत कम है।

खतरनाक रूप से, अंतिम दौर में डाले गए लगभग 6.35 प्रतिशत वोट 'रिक्त' और अन्य 2.25 प्रतिशत वोट 'शून्य' थे (जब किसी उम्मीदवार का नाम काट दिया जाता या या मतपत्र अमान्य हो जाता है)। इप्सोस और डेटा विश्लेषण फर्म सोपरा स्टेरिया के अनुसार, 18-24 आयु वर्ग के 41 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान नहीं किया। ले मोंडे के अनुसार, यदि रिक्त मतों को मान्यता दी जाती है, तो मैक्रोन को डाले गए मत 54.7 प्रतिशत होते न कि 58.5 प्रतिशत, जिनसे उन्होने ये चुना जाता है।

1997 में पेन के पिता के राष्ट्रपति पद की प्रतियोगिता के बाद से, ले पेन की पार्टी में फ्रेंच लोगों की बढ़ती संख्या ने जड़ें जमा ली हैं। अपनी अभियान रणनीति को बदलने और आम आदमी की घटती क्रय शक्ति, नौकरियों और "सामाजिक असमानताओं" पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और मजदूर वर्ग के पक्ष में बोल कर, ले पेन ने चुनाव से पहले अपना समर्थन आधार मजबूत कर लिया था – उसने, अप्रवासियों, इस्लाम और यूरोपीयन यूनियन और रूस समर्थक रुख के खिलाफ अपने हार्ड-कोर एजेंडे को छोड़े बिना ऐसा किया था।

धुर-दक्षिणपंथ के बढ़ते समर्थन में शिक्षा एक निर्णायक तथ्य बन गई है। 1950 और 60 के दशक के विपरीत, कम शिक्षित मतदाता, विशेष रूप से ग्रामीण फ्रांस में, धीरे-धीरे दक्षिणपंथी दलों के साथ गठबंधन कर रहे हैं, क्योंकि धुर दक्षिणपंथ का प्रचार है कि अप्रवासियों उनकी नौकरियों पर कब्जा कर रहे हैं और अंततः उनकी दुर्दशा के लिए सरकार की अनदेखी के जिम्मेदार है जो आप्रवासियों को उनकी क़ीमत पर आत्मसात कर रही हैं।

राजनीतिक सर्वेक्षणों के अनुसार, सबसे कम पढ़े-लिखे शहर से सबसे अधिक शिक्षित लोगों का नेशनल रैली में वोट शेयर 1995 में 4 प्रतिशत अंक से बढ़कर 2022 में 24 हो गया है, जिसमें नगरपालिकाओं में विश्वविद्यालय के स्नातकों की कम हिस्सेदारी थी, जिनसे पेन को वोट देने की संभावना बढ़ रही थी। इसी तरह, ले पेन का समर्थन करने वाले प्राथमिक-शिक्षित मतदाताओं की हिस्सेदारी 1986 और 2017 के बीच 10 प्रतिशत से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गई है।

यहां तक कि गरीब शहरों में, जहां शिक्षा का स्तर कम है, ले पेन का समर्थन बढ़ा है। 1995 की तुलना में, नेशनल रैली के समर्थन में 2022 में सबसे छोटे से सबसे बड़े शहर की ओर बढ़ते हुए 22 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में, ले पेन ने मजदूर वर्ग, विशेष रूप से गोरों से अधिक समर्थन प्राप्त किया है - जिन्होंने महसूस कराया गया कि मैक्रॉन ने उन्हे धोखा दिया क्योंकि कारखाने बंद हो गए या विदेशों में स्थानांतरित हो गए हैं - उनके क्रोध और परित्याग की भावना को भुनाया गया। उदाहरण के लिए, ब्यूकैम्प्स-ले-विएक्स में, जो कभी पेरिस के उत्तर में एक औद्योगिक केंद्र था, पेन ने पहले दौर में मैक्रोन द्वारा हासिल किए गए वोटों की संख्या से दोगुना और सुदूर-वाम उम्मीदवार जीन-ल्यूक मेलेनचॉन से चार गुना जीत हासिल की है। हैरानी की बात यह है कि कुछ मतदाता धुर-वाम से धुर-दक्षिण में स्थानांतरित हो गए थे।

जो बात ले पेन की पैठ को और खतरनाक बनाती है, वह यह है कि उसका ध्रुवीकरण के एजेंडे की घातक मनगढ़ंत कहानी चली और मजदूर वर्ग का उसे स्पष्ट समर्थन मिला। जबकि ज़ेमौर ने अभियान के दौरान मुसलमानों और आप्रवासन के खिलाफ अपने शैतानी अत्याचार को जारी रखा, ले पेन ने तेल, गैस और बिजली पर बिक्री कर को कम करने, कई युवा फ्रांसीसी श्रमिकों के लिए आयकर को रद्द करने और न्यूनतम वेतन में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने का वादा किया था।

ले पेन ने फ्रांसीसियों को नौकरी, आवास और कल्याण संबंधी प्राथमिकताएं देने का भी वादा किया, लगभग आव्रजन को रोकने और हलाल मांस और सार्वजनिक तौर पर मुस्लिम टोपी पर भी प्रतिबंध लगाने का भी वादा किया - अपने विभाजनकारी लक्ष्य से विचलित हुए बिना, लेकिन सभी को चतुराई से ऐसे वादों के तहत जोड़ दिया जैसे कि ज़ेमोर सचमुच उसके हाथों में खेल गया था को एक तरह से पेन के ही गहरे एजेंडे को आगे बढ़ा रहा था।  

पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रपति पद के दावेदार बनने के धुर-दाक्षिणपंथ पोलिमिस्ट और पूर्व पत्रकार ज़ेमोर का इतना ऊंचा उठना, जिन्होंने इस्लाम की तुलना नाज़ीवाद से की, यह दर्शाता है कि कितने मतदाता कट्टरवाद की ओर बढ़ रहे हैं।

नफ़रत की बयानबाजी और आग लगाने वाली टिप्पणियों के बारे में बार-बार दोषी ठहराए जाने पर, नवंबर 2021 में नस्लीय घृणा को उकसाने के लिए ज़ेमोर पर मुकदमा चला गया, जब उन्होंने नवंबर 2021 में कहा था कि बेहिसाब विदेशी नाबालिग "चोर, हत्यारे और बलात्कारी" हैं और उन्हें वापस भेजा जाना चाहिए।

केवल 7 प्रतिशत वोट हासिल करने और पहले दौर में चौथे स्थान पर रहने के बावजूद, ज़ेमौर को शुरू में ओपिनियन पोल में ले पेन के लिए भी खतरा माना जा रहा था और एक बुनियादी उम्मीदवार जो मैक्रोन को चुनौती दे सकता था। यहां तक ​​कि ले पेन की भतीजी मैरियन मारेचल भी ज़ेमोर की क्षमता में विश्वास करती थी और मार्च में उनके उसके साथ जुड़ गई थी, जिसे उन्होने "दक्षिणपंथ की महान यूनियन" के रूप में वर्णित किया था।

ले पेन के विपरीत सबसे अमीर शहरों में ज़ेमौर का समर्थन बहुत अधिक खतरनाक है। इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि उन्हें संभ्रांत वर्ग द्वारा समर्थन हासिल था जो उनसे भी अधिक पागल जीन लुई मैरी के लिए वोट करते थे और ले पेन की बदली हुई और उदारवादी बयानबाजी से उनका मोहभंग हो गया था। ज़ेमोर को अपने व्यापक मीडिया अनुभव और लाइमलाइट में रहने से भी लाभ हुआ है। मीडिया ऑब्जर्वेटरी एक्रिम्ड के अनुसार, वह 2021 के पहले नौ महीनों में पांच बार रूढ़िवादी पत्रिका वेलेर्स एक्चुएल्स के कवर पर दिखाई दिए और फ्रांसीसी मीडिया आउटलेट्स में 4,167 बार – यानि दिन में 139 बार इसका उल्लेख किया गया है।

सामान्य धारणा कि फ्रांसीसी धुर-दक्षिणपंथी केवल एक गौण खतरा है के उस वक़्त परछकके उड़  गए जब दिखा कि सीनेट और यूरोपीय संसद, स्थानीय और क्षेत्रीय स्तरों पर सीटों वाली नेशनल रैली का सेना में समर्थन बढ़ रहा है। 

दरअसल, देश में बढ़ती इस्लाम विरोधी भावनाओं से वाकिफ मैक्रोन की पार्टी ने भी मुसलमानों के प्रति कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। फरवरी 2021 में ले पेन के साथ एक बहस के दौरान, गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन, जिन्होंने स्ट्रासबर्ग में एक मस्जिद के निर्माण पर रोक लगा दी थी, ने इस्लाम पर "काफी सख्त नहीं होने" के लिए उन्हें फटकार लगाई थी।

धुर-दक्षिणपंथ के उदय को भी विभाजित फ्रांस से सहायता मिली है। राष्ट्रपति चुनाव से कुछ दिन पहले बर्टेल्समैन फाउंडेशन द्वारा मार्च 2017 के एक सर्वेक्षण से पता चला कि यूरोपीयन यूनियन में फ्रांसीसी मतदाता सबसे अधिक ध्रुवीकृत थे।

पांच में से एक ने खुद को "कट्टर" और केवल एक तिहाई ने "मध्यमार्गी" के रूप में वर्णित किया है। पूरे यूरोपीयन यूनियन में 11,021 लोगों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर सर्वेक्षण से पता चला है कि व्यापक यूरोपीयन यूनियन में केवल 7 प्रतिशत की तुलना में 20 प्रतिशत फ्रांसीसी मतदाताओं ने खुद को या तो धुर-वाम या धुर-दक्षिणपंथी बताया है – व्यापक यूरोपीयन यूनियन में अन्य 14 प्रतिशत फ्रेंच में से 62 प्रतिशत ने खुद को धुर-दक्षिणपंथी वर्णित किया और केवल 36 प्रतिशत ने खुद को मध्यमार्गी बताया है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
Macron Wins ‘Without Triumph’ as Far-Right Entrenches Itself in France

French presidential elections
Emmanuel Macron
Marine Le Pen
Far right
Right wing
National Rally
Eiffel Tower
Elysee Palace
Rassemblement National
National Front
Eric Zemmour
Reconquete
Muslims
immigrants
European Union
EU
Globalisation
Jean Louis Marie Le Pen
Jacques Chirac
Paris
Jean-Luc Mélenchon
Parti Socialiste
Les Republicains
Gerald Darmanin
Le monde
Le Figaro

Related Stories

हिंदू महिलाओं की अपेक्षा मुस्लिम महिलाओं को कम मिलते हैं नौकरी के अवसर

हेट वॉच: भारतीयों ने #Boycott Muslims के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आह्वान को खारिज किया

जिनेवा में WTO का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन : जहां मौत ने ज़िंदगी को मात दे दी

मुद्दा: नामुमकिन की हद तक मुश्किल बनती संसद में मुस्लिमों की भागीदारी की राह

मैक्रों का गठबंधन संसदीय चुनावों में बहुमत से दूर

गैलरी से खेलकर गोल्ड नहीं जीता जा सकता

वैश्विक खाद्य संकट : घरेलू आत्मनिर्भरता ही एकमात्र रास्ता

...और सब्र का पैमाना छलक गया

यूपी: मुस्लिम फ़कीरों से बर्बरता... लगवाए गए ‘जय श्री राम’ के नारे, पुलिस ने लिया एक्शन

नफ़रती एजेंट नूपुर शर्मा को बचाने वाला कौन?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    देश में व्यापार घाटा बढ़कर रिकॉर्ड स्तर 25.6 अरब डॉलर पर पंहुचा
    05 Jul 2022
    वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार जून के महीने में 63.6 अरब डॉलर का आयात किया गया है, जबकि इस बीच निर्यात 37.9 अरब डॉलर का हुआ है, यानी जून के माह के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर अपने रिकार्ड…
  • भाषा
    शरजील इमाम ने कहा जेल में है उन्हें जान का ख़तरा  
    05 Jul 2022
    शरजील इमाम ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में गुहार लगाते हुए दावा किया कि उसके जीवन को जेल में खतरा है। वह वर्ष 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे के मामले में कथित तौर पर साजिश रचने का आरोपी…
  • भाषा
    भाजपा अपने खोखले राष्ट्रवाद से देश को खोखला कर रही : कांग्रेस
    05 Jul 2022
    खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, "पिछले एक सप्ताह में घटी दो घटनाओं ने भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे को बेनकाब कर दिया है। पहले उदयपुर हत्याकांड में शामिल एक आरोपी भाजपा का कार्यकर्ता निकला। उसके बाद…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    तीस्ता सेतलवाड़, आरबी श्री कुमार और मोहम्मद जुबैर की रिहाई के लिए प्रतिवाद सभा का आयोजन 
    05 Jul 2022
    सिटीजंस फोरम, पटना ने कारगिल चौक पर इन अन्यायपूर्ण गिरफ्तारियों के खिलाफ प्रतिरोध सभा का आयोजन किया
  • एपी
    अमेरिका के शिकागो में स्वतंत्रता दिवस परेड के दौरान गोलीबारी, छह लोगों की मौत
    05 Jul 2022
    पुलिस संदिग्ध हमलावर की तलाश में जुटी हुई है। बताया जा रहा है कि उसने किसी इमारत की छत पर से गोलीबारी की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें