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मोदी जी की साढ़े 4 साल की उपलब्धि! रेड कारपेट से काले झंडों तक का सफ़र

मोदी की रैलियों में किसी भी तरह के काला कपड़ा पहनने यहां तक कि काला पर्स-बेल्ट भी रखने की सख्त मनाही है, इसके बावजूद यह काला रंग मोदी और भाजपा का पीछा नहीं छोड़ रहा है।
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चार साल पहले जहाँ भी मोदी जाते थे उनके लिए रेड कारपेट बिछाए जाते थे लेकिन आज वे जहाँ जा रहे हैं उनका काले झंडों से स्वागत किया जा रहा है। साथ ही कहीं मोदी गो बैक, कहीं मोदी नहीं दोबाराके नारे लग रहे हैं और कहीं मोदी नो एंट्री के झंडे-बैनर लगाए जा रहे हैं। इससे भाजपा और मोदी बुरी तरह से डर गए हैं। इसलिए मोदी की रैलियों में किसी भी तरह के काला कपड़ा पहनने यहां तक कि काला पर्स-बेल्ट भी रखने की सख्त मनाही है, इसके बावजूद यह काला रंग मोदी और भाजपा का पीछा नहीं छोड़ रहा है।

मोदी रविवार को दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश गए थे, वहाँ भी उनका स्वागत इसी उल्टे अंदाज़ में हुआ। उनके पहुंचने से पहले ही शनिवार को राज्य में जगह-जगह मोदी विरोधी पोस्टर्स लगाए गए। इन पोस्टर्स पर 'नो मोर मोदी', 'मोदी इज अ मिस्टेक' और 'मोदी नेवर अगेन' जैसे नारे लिखे हुए थे।

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यहाँ तक कि प्रधानमंत्री मोदी जिस गन्नावरम एयरपोर्ट पर लैंड करने वाले थे, उसके सामने भी बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए थे। पीएम को गुंटूर में एक रैली में शामिल होना था। उन्हें येताकुर बाइपास पर कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी करना था, जिसके बाद उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया।

भाजपा इसी रैली को सफल बनाने के लिए अपने एड़ी-चोटी का दम  लगा रही थी, क्योंकि भाजपा की पिछली श्रीकाकुलम रैली जिसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने  संबोधित किया था, वह बुरी तरह से  फ्लॉप रही थी। उस रैली में बहुत कम लोग आये थे और अधिकतर कुर्सी खाली पड़ीं थी।

गुंटूर में एक तरफ जहाँ मोदी जनसभा कर रहे थे तो दूसरी ओर रविवार को राज्य में कई जगह उनके आने के खिलाफ  विरोध प्रदर्शन किये जा रहे  थे। इन सबसे बौखलाई भाजपा और उसके नेताओं ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और होर्डिंग लगाने वालों पर पुलिस कार्रवाई करने  की मांग की।

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पीएम मोदी के इस दौरे पर विरोध में सत्तारूढ़ टीडीपी ने अपने कार्यकर्ताओं को आसमान में काले-पीले गुब्बारे छोड़ने और काले-पीले रंग की शर्ट पहनकर अपना विरोध जताने का आह्वान किया था।

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इसके साथ ही मोदी और भाजपा की केंद्र कि सरकार के वादाखिलाफी के खिलाफ़ विरोध जताने के लिए टीडीपी कार्यकर्ता, टीडीपी यूथ विंग, कांग्रेस, वामपंथी पार्टियों के नेता-कार्यकर्ता भी सड़क पर उतरे। कई जगह प्रदर्शनाकारियों ने अर्ध नग्न होकर विरोध जताया।

आक्रमकता के साथ मोदी और भाजपा का विरोध क्यों ?

ये कोई मोदी के साथ पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले पिछले साल अप्रैल में मोदी के चेन्नई दौरे के दौरान ट्वीटर पर #ModiGoBack और #GoBackModi ट्रेंड करता रहा था लेकिन हाल के समय में और आक्रमकता के साथ मोदी और भाजपा का विरोध हो रहा है | पिछले दिनों जब मोदी असम के दौर पर गए थे तो वहाँ भी उनका स्वागत छात्रों और नौजवनों ने काले झंडे और मोदी वापस जाओ के नारे के साथ किया।

जब से केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिक संशोधन विधेयक 2016 को लोकसभा में पारित किया है, उसके बाद से उत्तर पूर्व में आजकल भाजपा के सभी नेताओं का स्वागत काले झंडो से हो रहा है। असम के  मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अन्य भाजपा मंत्रियों और नेताओं का भी काले झंडे के साथ स्वागत किया जा रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काले झंडे से बच नहीं सके। 8 फरवरी को  जब मोदी गुवाहाटी पहुंचे, तो सोनोवाल सहित भाजपा के मंत्रियों और नेताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया लेकिन उनकी यात्रा बिल्कुल भी सहज नहीं रही। पीएम का काफिला हवाई अड्डे से गुवाहाटी शहर की ओर बढ़ा और इसी रास्ते पर गुवाहाटी विश्वविद्यालय परिसर पड़ता है। पीएम का काफिला गुवाहाटी विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के आगे से जैसे ही गुजरा, वहाँ पहले से ही मौजूद सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने उनका काला झंडा दिखाकर विरोध किया। इसी के साथ "नरेंद्र मोदी गो बैक, बीजेपी सरकार डाउन डाउन" जैसे नारे लगाए, और उनका पुतला भी जलाया। ये सिलसिला आगे भी जारी रहा।

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हवाई अड्डे से राजभवन की ओर जाते समय भी पीएम को कई स्थानों पर काले झंडे दिखाए गए। भाजपा के पूर्व सहयोगी, असम गण परिषद (एजीपी) ने मोदी की यात्रा और नागरिकता विधेयक का विरोध करते हुए एक विशाल मशाल जुलूस निकाला।

जब मोदी असम के चंगसारी में एम्स का भूमिपूजन कर रहे थे, तो पूरे राज्य में काला दिवस मनाया जा रहा था। आसमान में काले झंडे और काले गुब्बारे उड़ाए जा रहे थे। पीएम तीन पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर थे।

पूर्वोत्तर में इस समय भाजपा का कोई भी मंत्री या नेता यात्रा करता है, तो उनका स्वागत काले झंडे और नारे के साथ किया जा रहा  है और नागरिकता बिल का विरोध हो रहा है। कथित तौर पर लोगों के गुस्से से बचने के लिए सोनोवाल को कई बैठकें रद्द करनी पड़ीं। जिन कुछ बैठकों में वह शामिल होने में कामयाब रहे, उन में भी वो हेलीकॉप्टरों के सहारे ही पहुँचे यहां उन्हें 40 किलोमीटर से भी कम दूरी के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लेना पड़ा।

असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को उनके गृहनगर नलबाड़ी जिले में एक सरकारी अस्पताल का उद्घाटन करने जाते समय विरोध का सामना करना पड़ा। AASU (ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन) के कार्यकर्ताओं और RSS, BJP के कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी।

भाजपा काले रंग से इस हद तक डरी हुई  है कि ऐसी घटनाएं भी सामने आई हैं जहां पुलिस को काले कपड़े खरीदने वाले लोगों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए थे।  यहां तक कि महिलाओं से उनके काले ब्लाउज के बारे में भी सवाल किया गया थे, जो वे इस तरह की बैठकों के दौरान पहनकर आईं थी।

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ऊपर एक महिला के साथ  एक बच्चे की  तस्वीर है जिसमें बच्चे की काली जैकेट उतारी जा रही है, यह भाजपा के डर और  निगरानी की हद को दर्शाता है। यह घटना ऊपरी असम के सोनितपुर जिले के बिहाली में हुई, जहां सोनोवाल एक बैठक में भाग लेने वाले थे। फोटो वायरल होने के बाद, बच्चे की मां को कथित तौर पर बिहाली के भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा यह कहने के लिए कहा गया कि सुरक्षा बलों पर उसके बच्चे की काली जैकेट को हटाने का कोई दबाव नहीं था। ऐसा कहते हुए मां ने मीडिया में बयान दिया। लेकिन, बाद में, एक वीडियो में माँ को दिखाया गया है कि भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उसे कैसे डराया गया था, और कथित तौर पर ऐसा कहने के लिए मजबूर किया गया था।

काला रंग भाजपा को बुरी  तरह सता रहा है और उनकी समझ में नहीं आ रहा कि वो क्या करे और क्या नहीं।

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