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मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?

मुंडका स्थित इमारत में लगी आग तो बुझ गई है। लेकिन सवाल बरकरार है कि इन बढ़ती घटनाओं की ज़िम्मेदारी कब तय होगी? दिल्ली में बीते दिनों कई फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में आग लग रही है, जिसमें कई मज़दूरों ने अपनी जान भी गंवा दी है। ये घटनाएं सरकारी तंत्र पर सवाल खड़ा करती हैं।
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नयी दिल्ली:  राष्ट्रीय राजधानी के पश्चिमी इलाके में मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास स्थित चार मंजिला व्यावसायिक इमारत में शुक्रवार शाम आग लगने से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य झुलस गए।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि आग इमारत की पहली मंजिल से लगनी शुरू हुई जहां सीसीटीवी कैमरा और राउटर निर्माता कंपनी का कार्यालय था।

उन्होंने कहा कि आग बुझाने के काम में 30 से अधिक दमकल वाहनों को लगाया गया। लेकिन एक बड़ा दिल्ली में  बार बार आग लगने की घटना घट रही है जो कई बड़े सवाल खड़े करती है । 

पुलिस ने बताया कि कंपनी के मालिकों-हरीश गोयल और वरुण गोयल को हिरासत में ले लिया गया है और इमारत के मालिक की पहचान मनीष लाकरा के रूप में हुई है। इसने कहा कि वह इमारत के सबसे ऊपर वाले तल पर रहता था और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है।

दिल्ली दमकल सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि इस अभियान में कोई दमकलकर्मी घायल नहीं हुआ। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि छह दमकल वाहन अब भी घटनास्थल पर हैं और तीन-चार लोगों के फंसे होने की आशंका है।

पुलिस के अनुसार, आग लगने की सूचना शाम 4.45 बजे मिली जिसके बाद 30 से अधिक दमकल गाड़ियों को मौके पर भेजा गया। यह आग मुंडका मेट्रो स्टेशन के पिलर नंबर 544 के निकट लगी।

शुरुआती पूछताछ में पुलिस को पता चला कि चार मंजिला इमारत में कंपनियों को ऑफिस स्पेस मुहैया कराया जाता था। उन्होंने बताया कि पहली मंजिल में एक कंपनी का कार्यालय था और उसके 50 से अधिक कर्मचारियों को सुरक्षित निकाल लिया गया, वहीं 27 लोगों के शव बरामद किए गए हैं।

बचाए गए लोगों को तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए कुछ एम्बुलेंस भी मौके पर मौजूद थीं। दमकल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रात करीब 11 बजे आग पर काबू पा लिया गया लेकिन प्रशीतन अभियान जारी है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आग लगने से हुई लोगों की मौत पर शोक जताया।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वह इमारत में आग लगने से कई लोगों की मौत से अत्यंत दुखी हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’

कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘ दिल्ली में मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास एक इमारत में आग लगने की घटना से अत्यंत दुखी हूं। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली में भीषण आग की घटना में लोगों की मौत से बेहद दुखी हूं। शोकाकुल परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं। मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से इस हादसे में जाने गंवाने वालों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये तथा घायलों को पचास-पचास हजार रुपये की राशि दी जाएगी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हादसे पर शोक व्यक्त किया और कहा कि वह लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं।

केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी घटना पर दुख व्यक्त किया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में आग लगने की घटना में कई लोगों की मौत पर शुक्रवार को दुख जताया और झुलसे हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

उन्होंने ट्वीट किया, "दिल्ली में मुंडका के निकट हुई अग्नि दुर्घटना में कई लोगों की मौत से दुखी हूं। पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।"

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा, "मुंडका आग हादसे की खबर सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा। मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि घायलों को जल्द स्वास्थ्य लाभ मिले।"

वाम दल मकापा ने भी इस घटना पर दुःख जताया और संवेदना प्रकट किया । माकपा ने इस घटना के कारणों को जांच करने की भी मांग की है । 

दिल्ली में आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन सवाल यह है की ये आग लग क्यों रही है?

दिल्ली में बीते दिनों कई फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में आग लग रही है, जिसमें कई मज़दूरों ने अपनी जान भी गँवा दी है। ये घटनाए सरकारी तंत्र पर सवाल खड़ा करती है, इन घटनाओं का कौन जिम्मेदार? अब तक इन सभी घटनाओं में किस पर कठोर करवाई हुई?  शायद किसी पर नहीं कुछ लोगों पर कार्रवाई हुई तो उसे बस खानापूर्ति कह सकते हैं।

पिछले कुछ सालो में बड़ी आग की घटनाओं पर नजर डाले तो दिखता है । सरकार मजदूरों के सुरक्षा को लेकर कितनी उदासीन है ।

8 दिसंबर 2019को करोलबाग के रानी झांसी रॉड अनाज मंडी में फैक्ट्री में आग लगने से 43 लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे में 50 लोग घायल भी हुए थे। 

इसी तरह 12 फरवरी 2019 करोलबाग के ही अर्पित होटल में आग लगने से 17 लोगों की जान चली गई थी. साथ ही इस हादसे में 35 लोग भी घायल हुए थे।

जबकि 21 जनवरी 2018 ml बवाना में पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 17 लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में 10 महिलाएं भी थीं। साथ ही हादसे में 2 लोग झुलस गए थे।

इसके अलावा कई ऐसी घटनाएं हुई है जिनमे श्रमिक वर्ग के लोगो ने अपनी जान गंवाई है । लेकिन सरकारों ने कुछ मुआवजा देकर अपना पल्ला छाड़ लिया । कभी भी दोषी अधिकारियों और भ्रष्ट नेताओ पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है ।

इस तरह की घटनाएं प्रशासन और  मालिकों के मिलीभगत से होती हैं। चंद पैसे बचने के लिए  मालिक मज़दूरों की जान से खेलते हैं। दिल्ली की अधिकतर फैक्ट्रियों और ऑफिस में मज़दूरों की सुरक्षा के नाम पर बड़ा शून्य होता है।

मज़दूर संगठनों ने समय समय पर कई बार इस बातों के लेकर कहा है कि “ऐसी घटनाएं प्रशासन कि लापरवाही से होती हैं। भ्रष्ट अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी है कि वो फैक्ट्री का दौरा करें और नियमों का लागू कराएं लेकिन अधिकारी भ्रष्ट हैं और अक्सर नियमों के उल्लंघन को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।”

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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