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नाम हिमा, उम्र 19 साल, हौसला आसमान से भी ऊंचा

इस बारिश में जब हिमा दौड़-दौड़कर दुनिया में अपना डंका बजा रही हैं और देश के लिए सोना इकट्ठा कर रही हैं तो असम में उनका गांव और घर बाढ़ में डूबा हुआ है। खुद बाढ़ में डूबे घर में रहने वाली लड़की ने एक बड़ी रकम असम के बाढ़ राहत कोष में दान कर दी है।
Hima Das gold medalist
Image Courtesy: indian express

नाम- हिमा दासउम्र- 19 साल। आयोजन- अंडर-20 विश्व एथलेटिक्स। असम के एक छोटे से गांव की इस लड़की ने 400 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। हिमा ने 51.46 सेकेंड के रिकॉर्ड समय में अपनी दौड़ पूरी की। यह कारनामा अभी तक भारत के किसी एथलीट ने नहीं किया था। 

दौड़ के दौरान 35वें सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन एथलीटों में नहीं थीं लेकिन इसके बाद उन्होंने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि दौड़ खत्म होने से पहले सबसे आगे पहुंच गईं और इतिहास बना दिया। स्वर्ण पदक लेते समय जब राष्ट्रगान बज रहा था तो उनकी आंखों से गर्व और खुशी के आंसू छलक पड़े।

हिमा दास की सुनहरी दौड़ सिर्फ इतनी ही नहीं हैबल्कि यह पिछले 19 दिन के अंदर हासिल किया अपना पांचवां गोल्ड था। 

हिमा ने साल की अपनी पहली 200 मीटर प्रतिस्पर्धी दौड़ में 23.65 सेकेंड के समय के साथ दो जुलाई को पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रां प्री में स्वर्ण पदक जीता था।

इसके बाद उन्होंने सात जुलाई को पोलैंड में ही कुत्नो एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 23.97 सेकेंड के साथ 200 मीटर में स्वर्ण पदक जीता।

चेक गणराज्य में 13 जुलाई को क्लादनो एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हिमा ने 23.43 सेकेंड से स्वर्ण पदक जीता जबकि बुधवार को इसी देश में उन्होंने ताबोर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में चौथा सोने का तमगा जीता।

गोल्डन गर्ल हिमा दास की यह सफलता इस मायने में ऐतिहासिक कही जा सकती है कि वे विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं। 

सुनहरी दौड़ लगाने वाली हिमा की कहानी भी कम रोचक नहीं है। असम के नगांव जिले के एक छोटे से गांव धींग में जन्मीं हिमा अपने छह भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता रोंजीत दास एक साधारण किसान हैंजो धान की खेती करते हैं। हिमा जिस जगह से आती हैंवह बाढ़ प्रभावित इलाका है।  

इस बारिश में जब हिमा दौड़-दौड़कर दुनिया में अपना डंका बजा रही हैं और देश के लिए सोना इकट्ठा कर रही हैं तो असम में उनका गांव और घर बाढ़ में डूबा हुआ है। खुद बाढ़ में डूबे घर में रहने वाली लड़की ने एक बड़ी रकम असम के बाढ़ राहत कोष में दान कर दी है।

वैसे मच्‍छी-भात खाकर बड़ी हुई लड़की बचपन से फुटबॉल के रंग में रंगी हुई थी। 2016 में हिमा फुटबाल को अलविदा करके एथलेटिक्स की व्यक्तिगत ट्रैक स्पर्धा में हाथ आजमाने लगीं।

हिमा दास अप्रैल में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की अंडर-20 दौड़ में छठवें स्थान पर रही थीं। उन्होंने 400 मीटर की दौड़ 51.32 सेकंड में पूरी की थी। तब से वे अपनी रफ्तार को और बेहतर करने में लगी हुई थीं। हाल में उन्होंने गुवाहाटी में आयोजित नेशनल इंटर-स्टेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। महज तीन साल की प्रैक्टिस में हिमा ने वो कर दिखाया जिसका सिर्फ सपना देखा जा सकता था।

अब हिमा की अगली प्रतियोगिता एशियन गेम्स है जहां सभी को उनसे पदक की उम्मीद है। जानकारों का कहना है कि जिस तरह से हिमा अपने प्रदर्शन में सुधार कर रही है यह बिल्कुल संभव है कि वह इसमें भी जीत हासिल करें। 

हिमा दास के लिए अब बधाइयों का तांता लगा हुआ है।  एक ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, ‘बीते कुछ ही दिनों में हिमा दास ने जो असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं उन पर पूरे देश को गर्व है।’ 

पूर्व क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने उनकी तारीफ करते हुए ट्वीट किया है, ‘बीते 19 दिनों के दौरान यूरोपियन सर्किट में आप जिस तरह से दौड़ रही हैं वह देखकर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। जीत के लिए आपकी भूख और जिजीविषा युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।’

निसंदेह हिमा दास की सफलता युवाओं खासकर लड़कियों के लिए प्रेरणा देने वाला है जो सपने देखती हैं पर कठिनाईयों को देखकर पूरा करने से डर जाती हैं।

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