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केरलः भाजपा के ध्रुवीकरण-प्रयासों में सहायक है नारकोटिक जिहाद का बवाल

राज्य में सिरो-मालाबार चर्च का विगत कुछ सालों में भाजपा से गठबंधन बढ़ा है।
Narcotic Jihad’ row Helps BJP’s Bid to Polarise Kerala
चित्र सौजन्य: केरल कौमुदी 

दो हफ्ते से भी अधिक समय पहले बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट ने गैर मुस्लिम आबादी के खिलाफ “लव जिहाद” एवं “नारकोटिक जिहाद” जारी रहने के प्रति अपने जनसाधारण को आगाह किया था। जोसेफ कोट्टायम में कुराविलांगड के पलाई धर्म-प्रदेश मार्थ मरियम पिलग्रिम चर्च में पादरी हैं। उनके इस बयान के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उनकी कड़ी निंदा की है। 

मुख्यमंत्री ने 22 सितम्बर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकारी आंकड़ों के उल्लेख के साथ बिशप के ऐसे दावों की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि निहित स्वार्थों द्वारा ऐसे वक्तव्य का इस्तेमाल समाज को साम्प्रदायिक आधार पर बांटने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी फर्जी कहानियों के जरिए दुष्प्रचार करने वालों और भड़काऊ बयानों के जरिए महौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ राज्य सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। 

राज्य में हुए अपराधों के आंकड़ों के आधार पर बिशप जोसेफ के तमाम आरोपों को खारिज करते हुए विजयन ने कहा कि केरल में विगत वर्ष नारकोटिक्स ड्रग्स एवं साइकोट्रोपिक सबस्टांसेज एक्ट के तहत दर्ज कुल 4,941 मामलों में 5,422 आरोपितों में से 49.80 फीसदी हिंदू थे, 34.47 फीसदी मुस्लिम और 15.73 फीसदी ईसाई थे। इनमें बलात मादक द्रव्यों के दुरुपयोग या धर्मान्तरण के लिए मादक पदार्थों के उपयोग को लेकर कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था और इसका इस्तेमाल करने वाले किसी खास धार्मिक समुदाय के नहीं थे। 

केरल से इस्लामिक स्टेट्स (आइएस) में शामिल हुए लोगों की तादाद का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इनमें से अधिकतर लोग नौकरी करने या अन्य उद्देश्यों से विदेश गए थे। उनमें से केरल के केवल 28 लोगों ने आइएस ज्वाइन किया था। इनमें पांच लोग ही परिवर्तित धर्म के थे-एक ईसाई दंपति, एक हिंदू पत्नी एवं ईसाई पति का जोड़ा, और एक युवा हिंदू। विजयन ने दावा किया कि राज्य में जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन का कोई साक्ष्य नहीं है। इस महीने की शुरुआत में, बिशप के दिए गए वक्तव्य को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विजयन ने कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को बोलने में संयम रखना चाहिए। 

‘नारकोटिक जिहाद’ विवाद 

बिशप जोसेफ के सिरो-मालाबार चर्च में 8 सितम्बर को दिए उनके संबोधन पर यह ताजा विवाद भड़क उठा है। उन्होंने पहले से तैयार अपना भाषण पढ़ते हुए कहा कि “जिहादी” ईसाई महिलाओं और अन्य गैर-मुस्लिम मतावलंबियों को प्रेम के जरिए या मादक द्रव्यों के इस्तेमाल के जरिए उन्हें अपनी जाल में फंसा रहे हैं और फिर बलात उनका धर्म परिवर्तन कर दे रहे हैं।

जोसेफ ने यह भी आरोप लगाया कि ‘कट्टर जिहादी’ आइसक्रीम पार्लर, जूस की दुकानों, बेकरीज एवं रेस्टूरेंट्स में जहां मादक द्रव्य बेचे जाते हैं, वहां गैर मुस्लिमों को लोभ-लालच देते हैं और फिर उन्हें अपनी जाल में फंसा लेते हैं। उन्होंने हालाला भोजन को भी एक ‘कारोबारी नौटंकी’ करार दिया। बिशप का यह लिखित भाषण बाद में चर्च से संचालित होने वाले दीपिका अखबार में भी प्रकाशित हुआ था। 

इसके दो दिन बाद, विभिन्न जातीय मुस्लिम संगठनों के 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम अकिया वेदी के बैनर तले बिशप के घर तक एक विरोध मार्च निकाला था। इसके जवाब में ईसाइयों के कुछ संगठनों एवं बिशप जोसेफ का समर्थन कर रहे कुछ राजनीतिक दलों ने भी जुलूस निकाले। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल ईकाई ने भी बिशप का समर्थन किया। उसके महासचिव जार्ज कुरियन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में हस्तक्षेप करने और बिशप एवं ईसाई समुदाय को सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पीके कृष्णा दास और प्रदेश में पार्टी के उपाध्यक्ष एएन राधाकृष्णन ने आरोप लगाया कि माकपा एवं कांग्रेस “राज्य में अतिवादी ताकतों की गतिविधियों पर लीपापोती” कर रही हैं। 

चीजें तब बद से बदतर हो गईं जब सिरो-मालाबार चर्च के थामारसेरी धर्म प्रदेश ने सचाई और असलियत नाम से 33 प्रश्नों एवं उत्तरों के रूप में ईसाई धर्म के प्राथमिक सिद्धांतों का सारांश प्रस्तुत करने वाली एक पाठ्यपुस्तक प्रकाशित की, जिसमें मुस्लिमों के विरुद्ध कई अपकीर्तिकारक एवं अपमानजनक वक्तव्य शामिल थे। हालांकि, मुस्लिम समुदायों के नेताओं के एवं बिशप रेमिगियोस इनचनियिल और धर्म-प्रदेश के अपने पादरी के साथ बैठक में बिशप में पाठ्य पुस्तक में शामिल आपत्तिजनक सामग्री को वापस लेने की घोषणा की और इससे मुस्लिमों की भावनाओं पर चोट पहुंचने को लेकर खेद व्यक्त किया। 

सिरो-मालाबार चर्च का भाजपा के साथ बढ़ता संबंध 

‘लव जिहाद’ या मुस्लिम इकाइयों द्वारा दूसरे धर्म की महिलाओं के धर्मांतरण के संगठित प्रयास करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। कहा जाता है कि मुस्लिम मर्द उन महिलाओं को लालच दे कर अपने जाल में फंसा देते हैं। ऐसे आरोप हिंदू जनजागृति समिति एवं श्रीराम सेना जैसे साम्प्रदायिक संगठनों द्वारा पहली बार 2009 में केरल एवं कर्नाटक में लगाए गए थे। इस विवाद को केरल के कैथोलिक बिशप कांउसिल और मुट्ठी भर मलयालम मीडिया घरानों ने तुरंत हवा दे दी।

केरल पुलिस एवं राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद भी कि ‘लव जिहाद’ का कोई साक्ष्य नहीं है, संघ परिवार ने इसका हौवा देश के अन्य हिस्सों में भी खड़ा कर दिया है और उसे अपना हथियार बना लिया है, जबकि केंद्र में भाजपा सरकार भी ऐसी घटनाएं होने की बात को संसद में नकार चुकी है। 

सिरो-मालाबार चर्च विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ईस्टर्न कैथोलिक चर्च है, जो परंपरागत रूप से कांग्रेस और उसकी अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के साथ रहा है, लेकिन अब वह पिछले कुछ वर्षों से ‘लव जिहाद’ आरोप लगाने के जरिए भाजपा के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है। 2020 में चर्च की धर्मसभा ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि केरल से आइएस आतंकवादी संगठनों में भर्ती हुए आधे धर्मांतरित ईसाई युवक थे। इस शिकायत में 'लव जिहाद' की तुलना आइएस द्वारा नाइजीरिया में ईसाई बंदियों को फांसी दिए जाने से की गई थी।

इस साल विधानसभा चुनाव में दौरान एक वरिष्ठ पादरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष इस मामले को उठाया था। उनकी यह मुलाकात राज्य भाजपा इकाई ने कराई थी। दो अन्य संप्रदाय के चर्च के नेताओं ने भी  मार्च में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं के साथ मुलाकात की थी। उनके इन कदमों की चर्च के भीतर सुधारवादी धड़ों द्वारा आलोचना की गई थी

केरल में ईसाई पादरियों के एक धड़े ने विशेषकर सिरो-मालाबार चर्च से आने वाले पादरी भाजपा के और समीप होते गए हैं। यद्यपि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार की इकाइयों ने पूरे देश में चर्चों को अपने साथ जोड़ रखा है। यह घटनाक्रम केरल में कांग्रेस के लगातार कमजोर होने और पार्टी के अंदर मचे कोहराम की वजह से हुआ है।

साधारण ईसाइयों के विदेशों में प्रवास करने एवं और अधिकतर ईसाइयों के पौधे लगाने के काम में व्यस्त हो जाने के परिणामस्वरूप चर्च वैश्विक उदारीकरण के बाद के दौर में एक ठहराव का सामना कर रहे हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है, ऐसे में साम्प्रदायिक घृणा को एक उर्वर भूमि मिल गई है। कुछ लोगों ने इशारा किया है कि कुछ सुधारवादी धड़ों के साथ आंतरिक संघर्ष पर पर्दा डालने के लिए चर्च द्वारा घृणा फैलाई जा रही है। 

इसके परिणामस्वरूप मुस्लिम विरोधी स्वर आजकल सोशल मीडिया में बढ़ गए हैं। ईसाइयों के कई सोशल मीडिया हैंडल ने अभी हाल में गाजा में इजराइलियों के आक्रमण के दौरान फिलिस्तीनियों के खिलाफ दुष्टतापूर्ण कई पोस्ट किए हैं, और क्लब हाउस जैसे मंचों पर हाल ही में हुए विचार-विमर्श के दौरान सांप्रदायिक घृणा बढ़ी है। राज्य में अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियों के बंटवारे के मसले पर भी ध्रुवीकरण करने वाले वक्तव्य जारी किए गए थे। 

राज्य में कुछ सांप्रदायिक और कट्टरवादी मुस्लिम संगठनों की कार्रवाईयों ने, जैसे कॉलेज के प्राध्यापक टी जे जोसेफ पर  2010 में किया गया हमला, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन का ऐतिहासिक हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलना और अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का इस्तकबाल ने केवल तनावों को बढ़ाया है। भाजपा ने यह महसूस किया है कि केरल में जनाधार बनाने के लिए उसे कुछ धड़ों के समर्थन की जरूरत है, कम से कम एक अल्पसंख्यक समुदाय ने अपनी जनसांख्यिकीय वास्तविकताओं को देखते हुए इन घटनाक्रमों का स्वागत किया है और प्रोत्साहित किया है।

उम्मीद की वजह

सरकार और नागरिक समाज के व्यापक धड़ों के अलावा, कैथोलिक और गैर-कैथोलिक संप्रदाय के पादरी भी नफरत के दुष्प्रचार के खिलाफ सामने आए हैं, यहां तक कि सिरो-मालाबार चर्च ने आधिकारिक तौर पर अपने बिशप का समर्थन वापस ले लिया है। चार ननों ने जिन्होंने बलात्कार-आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल का विरोध किया था, उन्होंने भी कुराविलंगड के एक अन्य चैपल में प्रार्थना के दौरान पादरी की मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों का विरोध किया है। कुराविलंगड में एक अन्य चैपल के अंदर एक प्रार्थना सेवा।

ऑर्थोडॉक्स चर्च के विषय ने चर्च के नेताओं से “घृणा और भय की राजनीति” के प्रति सतर्क रहने का आह्वान किया है और “फासिस्ट एवं सांप्रदायिक तत्व के चंगुल में न फंसने” का आह्वान किया है,धर्म प्रदेश के मेट्रोपॉलिटन युहानोन मोर मेलेटियसके वक्तव्य में ये स्वर दोहराए गए हैं। जैकोबाइट चर्च के एक बिशप ने ‘घृणा की राजनीति’ के दुष्प्रचार के लिए चर्च के टेबुल का इस्तेमाल करने की निंदा की है, जबकि दक्षिण भारत के अन्य चर्च ने धर्मनिरपेक्षता की वकालत की है। सिरो-मलंकरा कैथोलिक चर्च के प्रमुख आर्चबिशप कार्डिनल बेसिलियोस क्लेमिस ने विभिन्न समुदायों के धार्मिक नेताओं की संयुक्त बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद उन्होंने सभी समुदायों से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का आह्वान किया। इसके साथ, उन्होंने जोर दे कर कहा कि “नारकोटिक्स के मामले को केवल नारकोटिक्स के नजरिए से देखा जाना चाहिए।” 

इन चर्च नेताओं द्वारा जारी किए गए सार्वजनिक वक्तव्य और मतभेद दूर करने के एवं सांप्रदायिक सद्भाव को प्रोत्साहित करने से एक राहत मिली है। केरल के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने ने बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों सांप्रदायिक संगठनों की तरफ से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के  लिए किए जा रहे प्रयासों को रोक दिया है। नागरिक समाज, धर्मनिरपेक्ष मानसिकता-विचारधारा वाले संगठन और राजनीतिक पार्टियों के केंद्रित प्रयास ही राज्य की एकता को बनाए रख सकते हैं। 

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

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