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वार्ताकारों ने किया शाहीन बाग़ का दौरा, कोर्ट का आदेश सुनाकर आंदोलनकारियों की बात सुनी

धरना स्थल पर वार्ताकारों ने कहा, "हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं। हम सबकी बात सुनेंगे", जिसके बाद कई महिला प्रदर्शनकारियों ने उनके सामने अपनी बात रखी। 
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शाहीन बाग़ (दिल्ली) : सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त दो वार्ताकारों ने बुधवार को आंदोलनकारियों से बातचीत शुरू करने के लिये बुधवार को शाहीन बाग़ का दौरा किया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के उनके अधिकार को बरकरार रखा है, लेकिन इससे अन्य नागरिकों के अधिकारों पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिये।

उच्चतम न्यायालय ने अधिवक्ता साधना रामचंद्रन और वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को वार्ताकार नियुक्त किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे वजाहत हबीबुल्लाह और चंद्रशेखर आज़ाद को इस दौरान वार्ताकारों की मदद के लिए नियुक्त किया है। हालांकि हबीबुल्लाह वार्ताकारों के जाने के बाद धरना स्थल पर पहुंचे।

साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है। लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिये।''
उन्होंने कहा, ''हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं। हम सबकी बात सुनेंगे।''

इससे पहले हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बारे में बताया। रामचंद्रन ने उसका हिंदी में अनुवाद किया।

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प्रदर्शनकारी नये संशोधित नागरिकता कानून को लेकर बीते दो महीने से धरने पर बैठे हैं।

धरना स्थल पर कोर्ट का आदेश सुनाने के बाद दोनों वार्ताकारों ने कहा कि आज हम आपको सुनना चाहते हैं, जिसके बाद कई महिला प्रदर्शनकारियों ने उनके सामने अपनी बात रखी। धरने में शामिल कई बुजर्ग महिलाओं, जिन्हें अब सब दादी कहकर पुकारते हैं, उनमें से एक ने वार्ताकारों से कहा कि पहले ये कानून ख़त्म होगा, उसी के बाद उनका धरना हटेगा। इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि अगर हम एक तरफ़ की रोड भी खोल दें तो फिर सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा, जबकि यहां गोलीबारी तक हो चुकी है। 

एक अन्य प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि वे यहां शांतिपूर्ण धरना आंदोलन पर बैठी हैं, लेकिन उनके बारे में मीडिया और सरकार में शामिल लोगों द्वारा तरह-तरह की सांप्रदायिक और बेहूदा बातें की जा रही हैं। 

आपको बता दें कि सीएए के ख़िलाफ़ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शनों के कारण सड़कें अवरूद्ध होने को लेकर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए 17 फरवरी को न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें ऐसे वैकल्पिक स्थल पर जाने के लिए राजी करने को कहा था, जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध न हो। 

अदालत ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार से प्रदर्शनकारियों को हटाने के ऑप्शन पर चर्चा करने और उनसे बात करने को कहा है।

पीठ ने कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का बुनियादी अधिकार है लेकिन जो बात हमें परेशान कर रही है, वह सार्वजनिक सड़कों का अवरूद्ध होना है।

उधर, कई प्रदर्शनकारियों ने इस दावे का विरोध किया है कि उनके धरने से बड़ी संख्या में मुसाफिरों को परेशानी हो रही है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि दक्षिण पूर्वी दिल्ली स्थित शाहीन बाग-कालिंदी कुंज मार्ग का इस्तेमाल सिर्फ कुछ यात्री ही करते हैं, उनमें भी ज्यादातर लोग जामिया नगर और ओखला के होते हैं। वे प्रदर्शन के लिए इस स्थल का इस्तेमाल करने के लिए सहमत हैं।

शाहीन बाग प्रदर्शन में नियमित तौर पर हिस्सा लेने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिक हफीज सईद ने कहा, ‘‘दिसंबर में जब शाहीन बाग में प्रदर्शन शुरू हुआ, तो निवासियों ने सबसे पहले इसके लिए जगह पर चर्चा की। जब महिलाओं के बैठने और विरोध करने के लिए शेड लगाया गया, तो पूरे इलाके के दुकानदार उस जगह को देने के लिए तैयार हो गए।’’

उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मी भी कई बार प्रदर्शन स्थल आए और कोई आपत्ति नहीं जताई और कहा कि ‘यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन है।’

सईद ने दावा किया, ‘‘जब केंद्र सरकार ने आरोप लगाया कि इन प्रदर्शनों को कांग्रेस और ‘आप’ प्रायोजित कर रहे हैं तो पुलिस ने इसे अवरोध के तौर पर देखना शुरू किया।’’

प्रदर्शनकारी शाहीदा शेख ने कहा, ‘‘हम 30 साल से शाहीन बाग में रह रहे हैं। कालिंदी कुंज की सड़क का इस्तेमाल मुख्यत: शाहीन बाग, जामिया नगर, अबू फजल एन्क्लेव और ओखला के लोग करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि नोएडा जाने वाले यात्री साथ लगे दूसरे हाईवे का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि जब साथ में लगी दूसरा हाईवे है और साथ ही इस सड़क को छोड़कर शाहीन बाग की सभी लेन खुली हैं, तो फिर आवेदनकर्ता इसी लेन सड़क से क्यों जाना चाहते हैं?

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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