NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की तमन्ना और सातवें नंबर की फिसलन
विश्व बैंक के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 2018 में भारत ने दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा खो दिया है। अब वह दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Aug 2019
economy of india

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019-20 का बजट भाषण देते हुए कई बार देश को अगले पांच साल में 'फाइव ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी' यानी 5लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही। इसके अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भी इसी को देश का बड़ा लक्ष्य बताया। 

अगर मोदी के पांच ट्रिलियन डॉलर का सपना पूरा हो जाता है तो भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाएगा लेकिन यह इतना आसान नहीं है। अभी अर्थव्यवस्था की जो हालत है उसे देखकर लगता है कि मोदी सरकार के दौर में अर्थव्यवस्था सिर्फ ख्वाब ही दिखाते रह गई। 

आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए लगातार निराशाजनक खबरें ही सामने आ रही हैं। विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2018 में भारत ने दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा खो दिया है और एक बार फिर ब्रिटेन और फ्रांस उससे आगे हो गए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक 2018 में भारत2.73 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था रहा।

जबकि इससे पहले 2017 के जो शुरुआती आंकड़े आए थे उनसे पता चला था कि भारत फ्रांस को पीछे छोड़कर दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था। फिर उसी साल के ही सबसे नए आंकड़े आए और स्पष्ट हुआ कि असल में भारत ने ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ दिया था और वह पांचवें स्थान पर था। 2017 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2.65 ट्रिलियन डॉलर का था और उसके बाद 2.64 ट्रिलियन के साथ ब्रिटेन छठवें और 2.59ट्रिलियन डॉलर के साथ फ्रांस सातवें स्थान पर था।

लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था का यह दर्जा ज्यादा दिन तक कायम नहीं रह सका। विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अगले ही साल ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बढ़कर 2.82 ट्रिलियन डॉलर और फ्रांस की अर्थव्यवस्था 2.78 ट्रिलियन डॉलर हो गई। जबकि इनके मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2.73 ट्रिलियन डॉलर पर थम गया।

इसका मतलब है कि इस बीच भारत की अर्थव्यवस्था में महज 3.01 फीसदी की ही बढ़ोत्तरी हुई। वहीं ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 6.81 और फ्रांस की अर्थव्यवस्था में 7.33 फीसदी का विस्तार हुआ। फिलहाल 2018 में 20.49 ट्रिलियन डॉलर के साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले नंबर है और 13.61ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन की अर्थव्यवस्था दूसरे नंबर पर है।

अर्थशास्त्री इस सूची में भारत के पिछड़ने की वजह डॉलर के मुकाबले में रुपये में आई गिरावट को मानते हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत कहते हैं, ‘2017 में रुपये की कीमत तीन प्रतिशत बढ़ी थी लेकिन अगले साल पांच प्रतिशत नीचे चली गई। यही वजह है कि दो साल पहले के मुकाबले बीते साल डॉलर के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धीमी रही।’

इसके अलावा अब भारत की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आई है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्तीय वर्ष (2019-20) में भारत की अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर को घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। इससे पहले यह 7.1 फीसदी था।

नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक एजेंसी ने ऐसा कमजोर मानसून और वैश्विक मंदी के चलते किया है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में कई आर्थिक मोर्चों पर कमजोर नतीजों को देखते हुए भी ऐसा किया गया है। क्रिसिल का कहना है कि चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में देश की वृद्धि दर सुस्त रह सकती है। 

दूसरी ओर, मनी कंट्रोल के मुताबिक जुलाई महीने में शेयर बाजार का प्रदर्शन 2002 के बाद पहली बार इतना खराब रहा है। 17 साल में पहली बार हुआ है जब जुलाई महीने में सेंसेक्स में 5.68 प्रतिशत की गिरावट आई है। सेंसेक्स में 500 कंपनियां दर्ज हैं। 50 फीसदी कंपनियों के शेयर दो अंकों में गिरे हैं।

इसी तरह पिछले साल सितंबर से मांग की कमी और अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के कारण भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग भी संकट का सामना कर रहा है। इसी हफ्ते गुरुवार को निसान के बाद दो और बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी बजाज और मारुति सुज़ुकी ने कहा कि उनकी बिक्री में भारी गिरावट आई है। जहां बजाज ऑटो की बिक्री जुलाई में पांच प्रतिशत गिरकर 3,81,530 वाहन हुई, वही दूसरी तरफ मारुति सुज़ुकी की बिक्री में जुलाई महीने में33 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। इसके चलते लाखों मजदूरों की नौकरियों पर संकट आया हुआ है। 

जून महीने में कोर सेक्टर का ग्रोथ चार साल में सबसे कम रहा है। 0.2 प्रतिशत। मई में इस सेक्टर का ग्रोथ रेट 4.3 प्रतिशत था। एक महीने में 4.3प्रतिशत से 0.2 प्रतिशत आने का मतलब है बिजली की गति से फैक्ट्रियां ठंडी पड़ गई होंगी। 50 महीने में यह सबसे अधिक गिरावट है। कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, खाद, स्टील, सीमेंट और बिजली उद्योग को कोर सेक्टर कहा जाता है।

विदेशी निवेशकों ने जुलाई महीने में भारतीय शेयर बाज़ार से 12,000 करोड़ निकाल लिए हैं। पिछले 9 महीने में यह सबसे अधिक है। अक्टूबर 2018 में28,921 करोड़ निकाल लिया गया था। टैक्स के अलावा यह भी कारण है कि इन निवेशकों को लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार थम रही है। कारपोरेट की कमाई घट गई है। उपभोक्ता कम खरीदारी कर रहा है। तो वहीं, भारत के सरकारी बैंकों का एनपीए इतना बढ़ गया है कि लोन देने से बच रहे हैं।

इसके अलावा दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ट्रेड वार चल रहा है। अमेरिका और चीन में चल रही इस लड़ाई का असर भारत पर भी पड़ रहा है। कुल मिलाकर हमारी अर्थव्यवस्था की हालत बद से बदतर है, लेकिन सरकार सिर्फ पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने बेच रही है। लोगों के पास नौकरियां नहीं है, लेकिन सरकार इसे लेकर चिंतित नहीं दिखाई दे रही है। 

फिलहाल अगर इन सारे तथ्यों को छोड़ भी दें तो 2024 तक पीएम मोदी ने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का जो लक्ष्य रखा है उसे वर्तमान वृद्धि दर के सहारे हासिल करना काफी मुश्किल लगता है।

indian economy
union budget and 5 trillion economy
Union Budget 2019
Finance minister Nirmala Sitharaman
Narendra modi
Modi government
world economic forum

Trending

भूख से होने वाली मौतें झारखंड विधानसभा चुनाव को कितना प्रभावित कर रही हैं?
हैदराबाद : बलात्कार संस्कृति को ख़त्म करने के लिए मौत की सज़ा उचित मार्ग नहीं
झारखंड चुनाव: 20 सीटों पर मतदान, सिसई में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत, दो घायल
#झारखण्ड : क्या मज़दूरों को जीने का अधिकार नहीं?
जिंदगी की जंग हार गई उन्नाव बलात्कार पीड़िता, सफदरजंग अस्पताल में मौत
बलात्कार-हत्या की दहशत और मुठभेड़-हत्या का जश्न!

Related Stories

savarkar
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
'वीर' सावरकर और नया आधुनिक इतिहास
08 December 2019
विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न मिलते मिलते रह गया। महाराष्ट्र में चुनावों में भाजपा की ओर से सावरकर को दांव पर लगा दिया गया था और भाजपा/ शिवसेना
jharkhand elections
न्यूज़क्लिक टीम
#झारखण्ड : क्या मज़दूरों को जीने का अधिकार नहीं?
07 December 2019
#झारखण
ambedkar
सुबोध वर्मा
डॉ अंबेडकर का संविधान और नागरिक संशोधन विधेयक
07 December 2019
यह विडंबना का एक अजीब मोड़ है कि डॉ अंबेडकर की 63वीं पुण्यतिथि पर, देश में संविधान के मूल सिद्धांत को बदलने की सबसे ज़्यादा कोशिश की गई है। भारतीय ज

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • The resignation of prime minister Adel Abdul Mahdi
    पीपल्स डिस्पैच
    इराक़ में जन आंदोलनों की दशा और दिशा 
    09 Dec 2019
    इराक़ में दो महीनों से चलने वाले लोकप्रिय विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री आदेल अब्दुल महदी के इस्तीफ़े ने अमेरिकी क़ब्ज़े के तहत निर्मित राजनैतिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का सुनहरा मौक़ा प्रदान किया…
  • hyderabad case
    प्रणव धवन, भास्कर कुमार
    हैदराबाद एनकाउंटर : पुलिस ख़ुद को निर्दोष क्यों नहीं बता सकती
    09 Dec 2019
    राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी नतीजों से ज़्यादा उन्हें हासिल करने के लिए अपनाया जाने वाला रास्ता मायने रखता है।
  • BSNL
    बी सिवरमन, कुमुदिनी पति
    कितना दुरुस्त है बीएसएनएल रिवाइवल प्लान ?
    09 Dec 2019
    वीआरएस( स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) लेने के लिए मानो भगदड़ सी मच गई है। लेकिन वीआरएस फाॅर्मुला गलत है क्योंकि यह अलग-अलग श्रेणी के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग लाभ देता है, मतलब योजना विषमतापूर्ण है।…
  • delhi fire
    सुनील कुमार
    दिल्ली अनाज मंडी अग्निकांड : मुनाफे की हवस और प्रशासन के गठजोड़ से मरते मजदूर
    09 Dec 2019
    2017-18 में बवाना में आगजनी की 465 घटनाएं हो चुकी हैं। इसी तरह नरेला में 2017-18 में 600 से अधिक आगजनी की घटनाएं हुई। इतने बड़े पैमाने पर इंडस्ट्रीएल एरिया के अन्दर की आगजनी की घटनाएं होने के बावजूद न…
  • labour reforms
    हिरेन गोहेन
    भारत के श्रम ‘सुधार’ कुछ पूंजीवादी देशों से भी बदतर हैं
    09 Dec 2019
    "सुधार" के बहाने भारत में श्रमिकों की सुरक्षा के उपायों को ध्वस्त किया जा रहा है।
  • Load More
सदस्यता लें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें