फ़ारस की खाड़ी में जंगी-तूफ़ान का साया
ईरान की एलिट फोर्स कुद के प्रमुख जनरल कासिम सोलेमानी, की हत्या की पहली बरसी पर कुछ न कुछ तो होना ही था। सोलेमानी की 3 जनवरी 2020 को एक अमरीकी ड्रोन हमले में हत्या कर दी गई थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी बाद में तस्दीक भी की थी। ईरान तभी से लगातार कहता रहा है कि सोलेमानी की हत्या का बदला अभी बाकी है।
और उस घटना के बाद, खास कर अमेरिकी अधिकारी घबराए हुए दिख रहे हैं। दिसम्बर में अमेरिका के युद्धक बमबर्षक विमान फारस की खाड़ी के ऊपर पर दो बार उड़ान भर चुके हैं, जिसका मतलब ईरान को अमेरिकी या उसके सहयोगियों पर मध्य-पूर्व में किसी भी संभावित हमले से रोकना है।
अमेरिकी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि पिछले बुधवार को वायुसेना के दो बी-52 ‘स्ट्रेटफोर्स’ बमवर्षक विमानों ने दूसरी बार उड़ान भरी थी। ये उड़ान इस आशय के संकेत मिलने के बाद भरी गई थी कि ईरान आने वाले दिनों में इराक या इसी क्षेत्र में कहीं भी अमेरिका व उसके सहयोगियों पर हमले की योजना बना सकता है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी खुफ़िया एजेंसियों ने हाल ही में ईरान के “स्पष्टत: वास्तविक धमकी” के एक संदेश को पकड़ा था।
हालांकि, यह मालूम होता है कि अमेरिका ग़लतफहमी में है। ईरान के अधिकारी हाल के दिनों में यह लगातार कहते रहे हैं कि तेहरान की मंशा जंग छेड़ने की नहीं है, लेकिन यह चेतावनी है कि उसके पास इतनी कूव्वत है कि वह अपने ऊपर किए गए किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दे सके।
दरअसल, इस क्षेत्र में बहुत ही अमंगलकारी घटनाएँ हो रही हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) ने गत शुक्रवार को वियना में एक बयान जारी कर खुलासा किया कि “ईरान ने एजेंसी को सूचित किया है कि उसकी संसद में हालिया पारित प्रस्ताव के कानूनी अधिनयम के पालन के क्रम में वह कम-समृद्ध यूरेनियम का 20 प्रतिशत उत्पादन अपने फोरदो ईंधन संवर्द्धन संयंत्र में करना चाहता है।” बयान में कहा गया है कि ईरान से यह संदेश 31 दिसम्बर को मिला है, लेकिन “उसने (तेहरान ने) यह नहीं बताया कि परमाणु संवर्द्धन का उसका काम कब से शुरू होगा।”
तेहरान ने सूचित किया है कि उसकी योजना यूरेनियम को 20 फीसद की परिशुद्धता की हद तक संवर्द्धन करना है। वास्तव में, इस स्तर को वह 2015 के समझौते के पहले ही फोरदो संयंत्र पर हासिल कर चुका है। दरअसल, यह कदम ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के विरोध में पिछले महीने संसद द्वारा पारित किए गए कानून में कई बार जिक्र किए गए कदमों से एक है। तेहरान ने इस हत्या के लिए इसराइल को दोषी करार दिया है।
2015 में हुआ समझौता ईरान को फोरदो में यूरेनियम संवर्द्धन की इजाज़त नहीं देता। ईरान ने अपने इस संयंत्र को किसी हवाई हमले से बचाने के लिए पहाड़ों में बनाया हुआ है। अभी तक ईरान मात्र 4.5 प्रतिशत की परिशुद्धता के स्तर को ही पा सका है, जो 2015 में समझौते के पहले हासिल की गई उसकी क्षमता की तुलना में काफी कम है।
किसी गफलत में न रहिए, यह मुकम्मल तूफान है। सच पूछिए तो, ईरान की योजना 2015 के समझौते के प्रावधानों के तहत दिए अपने अधिकारों पर प्रतिक्रिया देना है, जब जेसीपीओए पर दस्तख़त करने वाले—इस मामले में वाशिंगटन—अपनी जवाबदेहियों को पूरी करने में विफल रह गया है। दूसरे, तेहरान ने अपनी योजना को अधिसूचित कर दिया है, लेकिन उसके परमाणु मामले के प्रमुख अली अकबर सलेही ने शनिवार को यह साफ किया कि इस बारे में आगे कदम बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति हसन रूहानी के अपेक्षित आदेश का अभी इंतजार हो रहा है।
तीसरे, जैसे और जब राष्ट्रपति रूहानी का निर्देश मिल जाएगा, ईऱान आइएईए की निगरानी में यूरेनियम गैस कैप्सुल को बदल देगा। सलेही ने इस काम में लगे वैज्ञानिकों की अपनी टीम को “इस्लामी पद्धति का सैनिक” बताया।
संक्षेप में, भविष्य के लिए निश्चित ही यहाँ एक गंभीर परिस्थिति की संभावना बन रही है। क्रमिक रूप से 2015 का समझौता कमज़ोर होता गया है और ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की इसराइल द्वारा की गई हत्या ने तेहरान के लिए “ब्रेकआउट टाइम” से अपने पांव खींच कर बम बनाने के लिए पर्याप्त विखंडनीय सामग्री को उत्पादित करने का मार्ग खोल दिया है। अगर इन्होंने बम बनाने का फैसला कर लिया तो दो से तीन महीने से लेकर एक साल में वह बना लेंगे।
आइएईए का अब तक आकलन रहा है कि ईरान परमाणु कार्यक्रम में इतना आगे नहीं बढ़ रहा है, जितना वह बढ़ सकता था। लेकिन यह स्थिति अब बदल सकती है।
हालांकि, ईरान ने 2015 के समझौते के तहत लगाए गए अनेक प्रतिबंधों की अवहेलना की है, लेकिन वह आइएईए को अब भी सहयोग कर रहा है और जो किसी भी देश की सत्ता के परमाणु कार्यक्रम की सबसे ज्यादा दखलकारी जांच-पड़ताल के तहत निरीक्षकों को अपने यहाँ आने और उन्हें निरीक्षण की इजाज़त दे रहा है।
कहा गया है कि, आइएईए का यह बयान भी रिकॉर्ड पर है कि ईरान ने 2019 से ही तीन कॉसकेड अथवा क्लस्टर्स के ज़रिए उन्नत अपकेंद्रण के साथ संवर्द्धन के कार्यक्रम को फोरदो के अपने भूमिगत संयंत्र पर शुरू कर दिया है। नवम्बर में, आइएईए ने कहा था कि ईरान ने यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड गैस का कच्चा माल उन भूमिगत कॉसकेड में पहले ही फीड कर दिया है।
फोरदो के संयंत्र पर 2015 के समझौते में यूरेनियम संवर्द्धन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस संयंत्र को ईरान ने पहाड़ों के भीतर गोपनीय तरीके से विकसित किया है। वहां अपकेंद्रण को केवल स्थिर समस्थानिक (isotopes) के उत्पादन की ही इजाज़त दी गई है, जबकि ईरान ने वहां 1,044 आइआर-1 अपकेंद्रण का संवर्द्धन कर लिया है। “जाने-अनजाने” यहाँ विखंडनीय पदार्थ के संचय को हथियारों के विकास में व्यापक तौर पर एक बड़ी बाधा के रूप में देखा जा रहा है। स्पष्ट रूप से, यहां एक अस्थिर स्थिति की संभावना बन रही है।
लेकिन ईरान ने अमेरिका या इसराइल से किसी भी हमले होने की स्थिति में उन्हें “कुचल देने” की चेतावनी दी है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खातिबजादेह ने कल शनिवार को कहा, “यरूशलम की सत्ता को यह अच्छी तरह मालूम है कि अगर किसी ने ईरान की सीमा उल्लंघन की जुर्रत की तो ईरान अपने जवाबी हमले में उसे पीस डालेगा। हम राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर न समझौता करते हैं और न मेल-मिलाप करते हैं।”
प्रवक्ता खातिबजादेह ने आगे कहा, “लेकिन अमेरिका के इस मामले में आगे बढ़ने की स्थिति में, हम निश्चित ही कुछ शरारत होते देखते हैं और यह पर्याप्त इशारा हैं कि ये गतिविधियाँ शरारतपूर्ण हैं। हमने बिना किसी लाग-लपेट के कहा है कि ऐसे किसी भी दुस्साहस के दुष्परिणामों के लिए सीधे-सीधे अमेरिका को ही ज़िम्मेदार माना जाएगा। हम निश्चित रूप से तनाव नहीं देख रहे हैं, लेकिन इसी तरह हम अपने हितों की हिफाज़त को लेकर भी बहुत संजीदा हैं।”
खातिबजादेह ने बताया, “हम पहले किसी चीज़ की शुरुआत नहीं करेंगे। लेकिन हमारा जवाब फैसलाकुन, सटीक और करारा होगा। हम उम्मीद करते हैं कि वे अपनी अमंगलकारी विरासत में कोई और गुनाह नहीं जोड़ेंगे। हम यही उम्मीद करते हैं कि वह व्हाइट हाउस से सम्मानजनक तरीके से अपनी विदाई के दिन पूरे कर रवाना हो जाएंगे। यह अपशकुनी विरासत ही अमेरिका के समूचे इतिहास के लिए काफी है।”
खातिबजादेह ने ज़ोर दिया कि तेहरान ने क्षेत्रीय देशों को भी अगाह कर दिया है कि वे सतर्क रहें और ईरान के विरुद्ध किसी “साजिश और शैतानी हरकतों” के बहकावे में न आएँ।
वास्तव में, पेंटागन कोई चांस नहीं ले रहा है। बृहस्पतिवार को जब उसके बी-52 बमबर्षक विमानों ने दूसरी उड़ान भरी, पेंटागन ने फारस की खाड़ी में तैनात नौसैनिक विमानवाहक पोत यूएसएस ‘निमित्ज’ को स्वदेश बुलाने का फैसला किया।
ट्रंप के व्हाइट हाउस को छोड़कर जाने में एक पखवाड़े के लगभग समय ही रह गया है। इतने कम समय में ट्रंप अगर कुछ नहीं करते हैं तो इससे उनकी छवि को बड़ा नुकसान होगा। लेकिन अगर वह अमेरिकी कांग्रेस की इजाज़त लिए बगैर जंग छेड़ते हैं तो यह न केवल राजद्रोह होगा बल्कि अमेरिकियों के जीवन पर भी इसके भयानक दुष्परिणाम होने की आशंका है। इसके अलावा, यह कदम फारस की खाड़ी में इसराइल और अमेरिका के सहयोगियों के विखंडन का कारण भी बनेगा।
जैसा कि ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार और पूर्व रक्षा मंत्री हुसैन देहकन ने कहा, अमेरिकी बदला (ईरान के) लेने के भय से खौफ में हैं और उन्होंने दिखावे के लिए फारस की खाड़ी के ऊपर बी-52 विमान उड़ाए हैं। इस क्षेत्र में उनके सभी सैनिक अड्डे हमारी मिसाइलों की मारक जद में हैं। ट्रंप का ईरान के खिलाफ बहु प्रचारित “अत्यधिक दबाव” अप्रत्याशित रूप से उन्हीं की ओर मुड़ गया है।
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