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‘अर्नबगेट’: राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी लीक करना ‘राष्ट्रद्रोह’, निष्पक्ष जांच हो- कांग्रेस

अर्नब वाट्सऐप चैट मामले में कांग्रेस हमलावर हो गई है। वरिष्ठ नेताओं ने इस विषय को लेकर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि इसका पता लगाया जाना चाहिए कि यह संवेदनशील जानकारी कैसे लीक हुई।


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नयी दिल्ली: कांग्रेस ने ‘रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की कथित वाट्सऐप बातचीत के मामले की ‘निष्पक्ष जांच’ की मांग करते हुए बुधवार को कहा कि देश की सेना एवं सुरक्षा से जुड़ी जानकारी लीक करना ‘राष्ट्र विरोधी कृत्य’ एवं ‘राष्ट्रद्रोह’ है और वह इस मुद्दे को संसद के आगामी सत्र में उठाएगी।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे, गुलाम नबी आजाद और सलमान खुर्शीद ने इस विषय को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और यह भी कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे अभियान की जानकारी सरकार में शीर्ष पदों पर बैठे कुछ लोगों को होती है और ऐसे में इसका पता लगाया जाना चाहिए कि यह संवेदनशील जानकारी कैसे लीक हुई।

मुख्य विपक्षी पार्टी के नेताओं ने कहा कि इस पूरे मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ये वाट्सऐप बातचीत पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। हर देशभक्त भारतीय स्तब्ध है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है। यह हमारे सशस्त्र बलों खासकर वायु सेना के जवानों की सुरक्षा से जुड़ा है।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘सरकार में शीर्ष पदों पर बैठे सिर्फ चार-पांच लोगों को इस तरह के अभियान के बारे में पता होता है, ऐसे में बालाकोट एयर स्ट्राइक से कुछ दिनों पहले एक पत्रकार को इस बारे में कैसे पता चला?’’

एंटनी ने कहा, ‘‘गोपनीय जानकारी लीक करना एक आपराधिक कृत्य है। सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी लीक करना राष्ट्र विरोधी कृत्य और राष्ट्रद्रोह है। इस तरह की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की जांच जरूरी है।’’

पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, ‘‘संसद में इस मुद्दे को उठाएंगे। सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत जो करना चाहिए था, वो नहीं किया। मुझे उम्मीद है कि जांच होगी और जो गुनाह हुआ है उसकी सजा मिलेगी।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, ‘‘देश की सुरक्षा से जुड़ी अति गोपनीय बातें एक पत्रकार को बताई गईं। हमारे देश के वीर जवान शहीद हुए। पत्रकार कहता है ‘हमें फायदा होगा’। राष्ट्रवाद का दावा करने वाले राष्ट्रद्रोही कारनामे करते हुए पकड़े गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यह बहुत गम्भीर मामला है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।’

पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने वाट्सऐप बातचीत में न्यायपालिका के संदर्भ में कथित तौर पर उल्लेख होने का हवाला देते हुए कहा, ‘‘न्यायपालिका न्याय का मंदिर है। इस वाट्सऐप बातचीत में जो बातें सामने आई है, वो बहुत दुखद है। गंदी राजनीति से न्यायपालिका को दूर रखा जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के बारे में जो बातें की गई हैं वो बहुत दुखद हैं। ये बातें बहुत विचलित करती हैं।’’

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘इसकी जांच होनी चाहिए कि अर्नब गोस्वामी को सूचनाएं किसने दीं और अर्नब ने कहां-कहां ये सूचनाएं दीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।’’

टीआरपी घोटाला: अदालत ने बार्क के पूर्व सीईओ की जमानत याचिका ख़ारिज की

मुंबई: मुंबई में एक सत्र न्यायालय ने कथित फर्जी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) मामले में रेटिंग एजेंसी बार्क के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी।

मुंबई अपराध शाखा ने दासगुप्ता को पिछले महीने पुणे जिले से गिरफ्तार किया था।

इससे पूर्व एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उन्होंने इस घोटाले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सत्र न्यायालय में दासगुप्ता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा कि मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है लेकिन अभी भी कई चीजें हैं जिनकी जांच की जरूरत है।

उन्होंने दलील दी कि दासगुप्ता एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और पूरी व्यवस्था पर नियंत्रण रखते हैं, इसलिए उनकी रिहाई से अभियोजन पक्ष के वे गवाह प्रभावित हो सकते हैं जो उनके तहत काम करते हैं।

विशेष लोक अभियोजक ने दासगुप्ता और रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी के बीच कथित वाट्सऐप बातचीत की ओर भी अदालत का ध्यान आकर्षित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अदालत को टीआरपी के बारे में वाट्सऐप पर हुई बातचीत दिखाई है जिसमें दासगुप्ता ने कुछ अन्य चैनलों को नीचे लाने और अर्नब के चैनल को ऊंचे स्थान पर लाने का वादा किया था।’’

वहीं दूसरी ओर दासगुप्ता के वकील ने अदालत से कहा कि उनके खिलाफ बिना किसी सबूत के आरोप लगाये गये हैं।

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एम ए भोसले ने दासगुप्ता की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

पुलिस ने आरोप लगाया गया है कि दासगुप्ता ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) में एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी और एआरजी आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक अर्नब गोस्वामी के साथ मिलकर रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत (हिंदी) की टीआरपी में कथित तौर पर हेरफेर किया था।

पुलिस ने दावा किया है कि गोस्वामी ने इसके लिए दासगुप्ता को बदले में लाखों रुपये दिये थे।

रिपब्लिक टीवी और अन्य आरोपियों ने कुछ भी गलत करने और टीआरपी व्यवस्था में हेराफेरी करने से इनकार किया है।

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