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आरक्षण राज्य की इच्छा से नहीं, संवैधानिक प्रावधानों से निर्देशित है : उर्मिलेश

7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने उत्तराखंड में सरकारी पदों पर प्रमोशन से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 16(4-A)ये राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ते हैं कि वो ज़रूरत पड़ने पर आरक्षण देने की सोचें।

7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने उत्तराखंड में सरकारी पदों पर प्रमोशन से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 16(4-A)ये राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ते हैं कि वो ज़रूरत पड़ने पर आरक्षण देने की सोचें। ये स्थापित कानून है कि किसी राज्य सरकार को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए निर्देश जारी नहीं किए जा सकते। इसी तरह राज्य सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए भी बाध्य नहीं है। संविधान ऐसे किसी मूलभूत अधिकार की बात नहीं करता है जिसके तहत कोई व्यक्ति पदोन्नति में आरक्षण की मांग कर सके।” सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अपनी राय रख रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश।

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