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रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया

गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते हैं, उन्हें चिढ़ाते हैं।
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16 अप्रैल, हनुमान जयंती के दिन रुड़की के डाडा जलालपुर में हुई हिंसा के दंश ग्रामीण अभी तक झेल रहे हैं। हनुमान जयंती जुलूस के बाद देर रात गाँव के बाहर बसे मुस्लिम परिवार के घरों के बाहर आगज़नी हुई थी, जिसमें उनके ई-रिक्शे, मोटरसाइकल में आग लगा दी गई थी। उस परिवार के लोगों ने कथित तौर पर तंग आकर और परेशान होकर 9 मई को अपने घर के बाहर 'यह मकान बिकाऊ है' लिख दिया, प्रशासन को इसकी जानकारी मिली तो तहसीलदार भगवानपुर वहाँ पहुँचीं और उनसे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात करते हुए इसे मिटाने को कहा।

'यह मकान बिकाऊ है' गाँव के 3 घरों पर लिखा गया है। न्यूज़क्लिक को यह शुरूआती पत्रकार निकिता जैन के माध्यम से मिली, जिसके बाद न्यूज़क्लिक ने इसपर बाक़ी जानकारी जुटाई है।

10 मई की सुबह गाँव में मौजूद पुलिस अधिकारी उनके घर के बाहर पहुंचे और 'यह मकान बिकाऊ है' पर पेंट कर दिया।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए पीड़ित सलीम(बदला हुआ नाम) ने बताया, "हमने इसलिए लिख दिया था कि आते-जाते आम आदमी चिढ़ाते हुए जाते हैं, जय श्री राम के नारे लगाते हुए जाते हैं। हमने यही सोचा कि हमें मज़दूरी ही करनी है, इस घर को बेच के कहीं और ले लेंगे।"

सलीम ने बताया कि 9 मई की शाम को तहसीलदार के साथ पुलिस अधिकारी आए और उनसे कहा कि ऐसा नहीं होगा। सलीम ने कहा, "मैंने कहा जी ऐसा क्यों नहीं होगा, 16 तारीख़ के बाद आज 25-26 दिन हो गए तब तो आप नहीं आए, किसी ने कुछ नहीं पूछा कि मर रहे हो कि जी रहे हो।"

सलीम ने आगे बताया कि 10 मई की सुबह पुलिस आई थी और लिखे पर पेंट कर दिया और कहा कि उन्हें यहीं रहना होगा।

पुलिस की बात करें तो जब न्यूज़क्लिक ने भगवानपुर थाने में संपर्क किया तो दूसरी तरफ़ के पुलिस अधिकारी ने लगभग डांटते हुए कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।

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इसके बाद न्यूज़क्लिक ने थाना मंडावर के शूरवीर चौहान से बात की। उन्होंने घटना का ज़िक्र करते हुए बताया, "हमने उनसे बात की है, उन्हें सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया है। अगर किसी का कार एक्सिडेंट हो जाता है, तो वो गाड़ी में बैठना बंद तो नहीं कर देगा न!"

हालांकि सलीम अभी भी घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा, "पुलिस ने हमसे कहा कि हम तुम्हारी सेवा करेंगे, मैंने कहा तुम काहे की सेवा करोगे? तुम अगर उस दिन सेवा कर लेते तो यह बात ही न होती!"

सलीम के रिक्शे में आग लगा दी गई थी। उन्होंने 16 अप्रैल की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा, "हमारा एक रिक्शा था, वही फूँक दिया। कल को 400-500 लोग घर के बाहर फिर से आ गए तो हम क्या कर लेंगे उनका? उस दिन के बाद से हम जैसे तैसे गुज़ारा कर रहे हैं। हमारी गाय को मारा था, उसका भी इलाज नहीं हुआ अभी तक।"

वहीं तहसीलदार रेखा आर्य ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "गाँव में पुलिस दिन रात मौजूद है, शांति व्यवस्था बनी हुई है। जिन घरों पर यह लिखा था हमने उनसे बात की उनको समझाया तो वे समझ गए। गाँव में सब नॉर्मल है, ईद का त्योहार हुआ, शादियाँ हो रही हैं, लोग अपने खेतों में जा रहे हैं। उन्होंने पता नहीं क्यों ऐसा लिख दिया।"

न्यूज़क्लिक ने इस सिलसिले में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. नय्यर काज़मी से संपर्क किया। उनके दफ़्तर ने भी यही बताया कि गाँव में माहौल अब शांत है।

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16 अप्रैल को हुई हिंसा में कई लोग घायल हुए थे और शुरूआती कार्रवाई में एफ़आईआर दर्ज कर 14 नामज़द और 40 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई थी। गिरफ़्तार किए गए 14 लोगों में सभी मुस्लिम थे जो अभी ज़मानत पर बाहर हैं। इस बीच 9 मई को डीआईजी गढ़वाल रेंज ने एसआईटी का गठन कर नए सिरे से कार्रवाई शुरू की है, हालांकि फ़िलहाल गाँव में किसी से पूछताछ नहीं की गई है। अब इस मामले की जांच एसपी ग्रामीण देहरादून के निर्देशन में होगी। इसके अलावा सीओ मंगलौर और एक निरीक्षक को एसआइटी में शामिल किया गया है।

बता दें कि लंबे समय से कांग्रेस, एआईएमआईएम, भीम आर्मी सहित विपक्षी दल पुलिस पर एकतरफ़ा कार्रवाई का इल्ज़ाम लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे।

हिंसा के बाद हिन्दुत्ववादी नेताओं ने गाँव में डेरा डाल दिया था और 27 अप्रैल को महापंचायत का ऐलान किया था, जिसके बाद प्रशासन ने तेज़ी दिखाते हुए न सिर्फ़ महापंचायत को रोका था बल्कि काली सेना के प्रदेश संयोजक दिनेशानन्द भारती को गिरफ़्तार भी किया था जो अभी भी जेल में है।Image removed.

गाँव में कर्फ़्यू 5 मई तक था मगर हालात संगीन होने के चलते पुलिस बल अभी भी गाँव में तैनात है।

हालांकि पुलिस-प्रशासन ने सलीम और उनके परिवार को सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है, मगर सलीम कहते हैं कि वो इस गाँव से जाना चाहते हैं, ऐसी जगह जाना चाहते हैं कोई लड़ाई हो भी तो उनपर हमला न हो। वह कहते हैं, "फिर कोई लड़ाई हो जाएगी और हमें खेतों में छुपना पड़ेगा, हमारे सामान को घरों से निकाल कर जला दिया था। मेरे बच्चे आज तक घर नहीं आ पाये हैं।"

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