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‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल

वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
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इंडियन नेशनल कांग्रेस के पुराने और भरोसेमंद नेताओं की पार्टी से रुखसती लगातार जारी है। लंबे वक्त से नाराज़ चल रहे कपिल सिब्बल ने भी आख़िरकार ख़ुद को पंजे से छुड़ा ही लिया और अखिलेश यादव का हाथ पकड़कर सपा की साइकिल पर सवार हो लिए। कपिल सिब्बल ने बुधवार यानी 25 मई को समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया। इस दौरान पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ रामगोपाल यादव भी मौजूद रहे।

आपको बता दें कि सिब्बल कांग्रेस हाईकमान खासकर राहुल गांधी पर सवाल उठा चुके हैं, ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें शायद ही राज्यसभा भेजे। इन्ही सब गुत्थियों के बीच ख़ुद का राजनीतिक अस्तित्व खोता देख कपिल सिब्बल ने समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ने का फैसला किया।

नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने कहा कि वे 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। सिब्बल अभी उत्तर प्रदेश से कांग्रेस कोटे से सांसद हैं, लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश  में पार्टी के पास इतने ही विधायक नहीं हैं, जो उन्हें फिर से राज्यसभा भेज सकें। लिहाजा, सिब्बल के फ्यूचर को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, अब समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन दाखिल कर उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया।

सिर्फ समाजवादी पार्टी ही नहीं बल्कि बिहार की आरजेडी और झारखंड की झामुमो की नज़रें भी कपिल सिब्बल पर पिछले कई दिनों से थीं। इसके बावजूद कांग्रेस हाईकमान की ओर से सिब्बल के लिए कोई सकारात्मक बात नहीं किया जाना बताता है कि फिलहाल कांग्रेस कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने के मूड में नहीं थी। ख़ुद की नज़रअंदाज़गी को देखते हुए सिब्बल ने भी सपाके साथ उत्तर प्रदेश में ही रहना चुना जहां से वो फिलहाल राज्यसभा में हैं।

कपिल ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ खोला था मोर्चा

आपको बताते चलें कि UP, पंजाब समेत 5 राज्यों की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। एक इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा कि घर की कांग्रेस नहीं अब सबकी कांग्रेस होगी। उन्होंने कहा- कांग्रेस में अध्यक्ष ना होते हुए भी फैसला राहुल गांधी ले रहे हैं, जबकि हार की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता। राहुल के रहते कांग्रेस कई चुनाव हार चुकी है, ऐसे में नए लोगों को नेतृत्व दिया जाना चाहिए।

सिब्बल उन 23 नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने दो साल पहले सोनिया गांधी को तीखा पत्र लिखा था, जिसमें संगठनात्मक चुनावों और इसके नेतृत्व के पूर्ण परिवर्तन की मांग की गयी थी।

क्योंकि कपिल सिब्बल ऐसे वक्त में राज्य कांग्रेस का साथ छोड़कर गए हैं जब राज्यसभा के लिए नामांकन की शुरुआत हो चुकी है, ऐसे में वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति राज्यसभा में क्या है ये जानना बेहद ज़रूरी है। फिलहाल हम सिर्फ उन 10 सीटों की बात करेंगे जहां कांग्रेस को जीत की उम्मीद है। इसमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ की 2-2 सीटें, झारखंड, मध्यप्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की एक-एक सीट शामिल हैं। हालांकि इन 10 सीटों के लिए भी कांग्रेस में दावेदारों की लंबी लाइन हैं, जिसमें पी चिदंबरम, गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, अविनाश पांडे, अंबिका सोनी, विवेक तन्खा, सुबोध कांत सहाय और रणदीप सुरजेवाला जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं।

इन नामों में एक कपिल सिब्बल भी थे, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश में इतने विधायक ही नहीं है कि वो अपने किसी नेता को राज्यसभा के लिए भेज सके। यानी कपिल सिबब्ल के लिए कांग्रेस को किसी दूसरे राज्य में जगह बनानी पड़ती। जिससे दूसरों नेताओं का पत्ता कटता और वे नाराज़ हो सकते थे। दूसरा ये कि कपिल सिब्बल की बग़ावत ने भी हाईकमान का मन मार दिया। शायद सिब्बल को नज़रअंदाज़ करने का ये भी बड़ा कारण हो सकता है।

कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण थे सिब्बल

कपिल सिब्बल की बात करें तो वो सिर्फ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ही नहीं बल्कि एक वरिष्ठ वकील भी हैं। जो सोनिया और राहुल गांधी पर चल रहे नेशनल हेराल्ड मामले की पैरवी कर रहे हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी समेत पांच नेताओं पर आरोप है कि हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से इस्तेमाल किया गया है। जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। इस मामले में फिलहाल सोनिया और राहुल ज़मानत पर हैं।

कपिल सिब्बल में हमेशा कांग्रेस की भूमिका बेहद अहम रही है। साल 2004 से लेकर 2014 तक चली मनमोहन सरकार में कपिल सिब्बल केंद्रीय मंत्री रहे हैं। सिब्बल वीपी सिंह की सरकार में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। वहीं साल 2016 में कांग्रेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजा था।

फिलहाल कपिल सिब्बल की रुसवाई का ख़ामियाज़ा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि वो सिर्फ एक नेता ही नहीं बल्कि कानूनी मामलों के जानकार और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी हैं।

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