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साक्षी-अजितेश मामला: प्रेम विवाह में सियासत, मीडिया और जाति का जिन्न

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिथरी चैनपुर के बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी मिश्रा और दलित युवक अजितेश की शादी को वैध बताया है, लेकिन इस प्रेम विवाह में हुई सियासत, मीडिया की भूमिका और जाति के जिन्न ने हमारे समाज की दोहरी सोच को बेपरदा कर दिया।  
साक्षी और अजितेश (फाइल फोटो)
(फोटो साभार: आज तक )

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साक्षी मिश्रा व अजितेश कुमार को बड़ी राहत दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकी शादी को वैध माना है। इसके साथ ही सरकार को इनको सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। इस बीच कहा जा रहा है कि कोर्ट परिसर में पेशी के दौरान अजितेश के साथ मारपीट हुई है। हालांकि जिले के एसएसपी अतुल शर्मा ने मारपीट की किसी घटना से इनकार किया है। 

बता दें कि साक्षी ने अपने पिता पर दलित युवक अजितेश से शादी करने पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी। 

बीते गुरुवार को साक्षी के कोर्ट में पेश न हो पाने वजह से सुनवाई 15 जुलाई तक के लिए टाल दी गई थी। याचिका में साक्षी ने राज्य सरकार, एसएसपी (बरेली), एसओ कैंट (बरेली) और पिता विधायक राजेश मिश्रा को पक्षकार बनाया। 

याचिका में साक्षी मिश्रा ने पिता, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों से जान का खतरा बताया। इसके साथ ही सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की। साक्षी के विधायक पिता राजेश मिश्रा ने कहा था कि उन्हें साक्षी और अजितेश की शादी से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन साक्षी को अपने पिता की बात पर भरोसा नहीं हो रहा है।

साक्षी का वीडियो हुआ वायरल 

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले साक्षी ने एक वीडियो जारी किया था। उसने कहा था क‍ि उन्‍होंने अपनी मर्जी से शादी की है, जिसके बाद परिवार के लोग उनके पीछे पड़े हैं। अगर हम उनके हाथ आ गए तो हमें पक्का मार दिया जाएगा। 

दूसरे वीडियो में साक्षी अपने पिता से कह रही हैं, 'मैंने सिंदूर फैशन में नहीं लगा रखा है। मैंने सच में शादी की है। मेरे पति के परिवार को परेशान करना बंद करें। आप राजनीति करें, अपनी सोच बदलें और मुझे आजाद रहने दें। बरेली के सांसद-विधायक और मंत्री जो मेरे पिता का सहयोग कर रहे हैं, वह बंद करें।'

क्या है पूरा मामला?

दरअसल उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की बिथरी चैनपुर सीट से बीजेपी के विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी मिश्रा तीन जुलाई को घर छोड़कर चली गई थीं। चार जुलाई को उन्होंने दलित युवक अजितेश से शादी कर ली। 

10 जुलाई को साक्षी का पहला वीडियो वायरल हुआ। जिसमें उन्होंने अजितेश से शादी करने, दोनों की जान को खतरा होने की बात कही। 11 जुलाई को साक्षी ने दूसरा वीडियो वायरल किया। इसमें उन्होंने पापा विधायक राजेश मिश्रा, भाई विक्की भरतौल और विधायक के करीबी राजीव राणा से अपनी जान को खतरा बताया। 

वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। साक्षी ने परिवार के लोगों से जान का खतरा बताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता के माध्यम से याचिका डालकर सुरक्षा की मांग की। 

खूब हुआ मीडिया ट्रायल 

वीडियो वायरल होने के बाद साक्षी और अजितेश मीडिया के सामने भी आए। कुछेक न्यूज चैनलों ने उनका इंटरव्यू भी किया लेकिन इसके बाद यह पूरा मामला तमाशे में बदल गया। सोशल मीडिया, अखबार, वेबसाइट से लेकर टीवी पर बहुत सारा कवरेज इस पूरे मामले को सनसनी में बदलने वाला रहा। 

बड़े टीवी न्यूज एंकरों से लेकर आम रिपोर्टर तक ने साक्षी और अजितेश के परिवार की निजता और उनकी सुरक्षा तक का ख्याल नहीं रखा। उनके पड़ोसियों से लेकर पूर्व में टूट गई सगाई तक को टीवी पर चटखारे लेकर दिखाया गया। सोशल मीडिया पर भी लोग नसीहतें देते नजर आए।

भागी हुई लड़की के बाप को दुनिया के सबसे निरीह मनुष्य बताने से लेकर जाति के बाहर शादी करने वाले लड़की की हत्या तक कर देने की सीख सोशल मीडिया पर दी जाने लगी। इस पूरे मामले को नितांत व्यक्तिगत न मानकर मान-मर्यादा, इज़्ज़त, प्रतिष्ठा, सम्मान जैसे भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल इस प्रेमी जोड़े को ‘ज्ञान’ देने के लिए किया जाने लगा। 

क्या यही है हमारे समाज का चरित्र?

इस पूरे मामले ने हमारे समाज के दोहरे चरित्र को भी बेपरदा करने का काम किया। जहां मीडिया ने टीआरपी के लिए समाज में ज़हर बोने का काम किया तो वहीं बड़ी संख्या में ऐसे लोग सोशल मीडिया पर सामने आए जो लड़कियों को घर की चारदीवारी में कैद कर देने की वकालत करते नजर आए। 

हालांकि ये लोग अपने इस कृत्य से बहुत सारे सवाल खड़े कर रहे हैं। क्या 21वीं सदी में भी कोई लड़की अपनी मर्जी से शादी कर ले तो परिवार की इज़्ज़त चली जाती है? क्या इस लड़की ने अगर अपना वीडियो न बनाया होता तो वह जिंदा भी होती? क्या हम ऐसे समाज में जी रहे हैं जहां बेटी को मार देने से बाप की इज़्ज़त बच जाती है? क्या इस लड़की का गुनाह इतना है कि उसने अपने से नीची कही जाने वाली जाति के लड़के से शादी की है?

क्या हमारा समाज ऐसा है जहां बेटी की हत्या करने से इज़्ज़त नहीं जाती, बेटी को पेट में मार देने से भी नहीं जाती, लेकिन बेटी अपनी मर्जी से दूसरी जाति में शादी कर ले तो इज़्ज़त चली जाती है? हम ऐसे समाज में जी रहे हैं जहां बाप बेटी के पीछे गुंडे भेज दे तो इज़्ज़त नहीं जाती, बेटी सरेआम बोल दे कि बाप ने मेरे पीछे गुंडे भेजे तो इज़्ज़त चली जाती है? मां-बाप का खोजा पति लड़की के साथ मारपीट करे, दहेज के लिए प्रताड़ित करे या सातवीं मंजिल से फेंक दे तो नहीं जाती इज़्ज़त, लड़की अपनी मर्जी का लड़का खोज ले तो इज़्ज़त चली जाती है?

दरअसल सवाल बहुत सारे हैं और जवाब भी हमें ही ढूढ़ना है। क्या हम एक ऐसा समाज बनाना चाह रहे हैं जहां पर आधी आबादी को चारदीवारी और जाति की बेड़ियों में कैद करके हम अपने को सभ्य घोषित कर लेते। और क्या जाति की मजबूत बेड़ियों वाला समाज बेहतर होता है। 

दरअसल हमें इसमें बदलाव की जरूरत है। हमें इन तमाम बुराइयों और कुरीतियों का खुलकर सामना करना होगा। इसके लिए हमें भीड़ बनने की जरूरत भी नहीं हैं बस हमें हमारे घरों मे लड़कों को सिखाना होगा कि वह औरतों और उनकी मर्जी की इज़्ज़त करें। 

उन्हें ये बचपन से ही यह सिखाना होगा कि वे लड़कियों के कपड़े, उनके चरित्र पर सवाल नहीं उठाएंगे। उन्हें अपने बराबर ही बुद्धिमान माने और उनकी रिस्पेक्ट करें। 

वैसे भी समाज बचाने वाले इतने ही फिक्रमंद हैं तो उन्हें औरतों के लिए आवाज उठाना चाहिए। उन्हें घरों में क़ैद करने से न तो आपका समाज सुरक्षित रहेगा और न ही आपकी इज़्ज़त बचेगी। 

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