दक्षिण कोरिया: महाभियोग हुआ विफल—अब आगे क्या होगा?
महाभियोग पर मतदान की उम्मीद में शुक्रवार, 6 दिसंबर की रात को विरोध प्रदर्शन। फोटो: इंटरनेशनल स्ट्रैटेजी सेंटर (@go_isc)
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सेक येओल के खिलाफ संसद में महाभियोग पर होने वाले मतदान को सत्तारूढ़ पीपल्स पावर पार्टी (पीपीपी) के बहिष्कार करने के कारण विफल हो गाय और वे अभी भी सत्ता में बने हुए हैं। हालाँकि, पीपीपी के कुछ सांसदों ने अंततः महाभियोग का समर्थन करने के लिए अपनी पार्टी छोड़ दी, लेकिन इसे पारित करने के लिए पर्याप्त बहुमत हासिल नहीं किया जा सका। यूं द्वारा देश में मार्शल लॉ लगाने के असफल प्रयास के कुछ दिनों बाद महाभियोग पर मतदान हुआ।
विपक्षी सांसदों ने यून के कार्यकाल के समाप्त होने तक महाभियोग के प्रयास जारी रखने का संकल्प लिया है। राजनीतिक नतीजों को देखते हुए, पीपीपी पार्टी के नेता हान डोंग-हून ने घोषणा की है कि राष्ट्रपति की अब देश के मामलों में कोई भूमिका नहीं होगी, और यून के जल्दी इस्तीफे का वादा किया है। संसद में बहुमत रखने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस चाल को "दूसरा तख्तापलट" करार दिया है, और राष्ट्रपति के अधिकार को हान को हस्तांतरित करने के कानूनी आधार पर सवाल उठाया है।
महाभियोग पर मतदान की उम्मीद में शनिवार को लाखों दक्षिण कोरियाई लोग सड़कों पर उतर आए, और प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। दस लाख से अधिक श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले कोरियाई ट्रेड यूनियन के माहसंघ ने भी यून को पद से हटाए जाने तक अनिश्चितकालीन आम हड़ताल का आह्वान किया है। चूंकि कानून निर्माता, सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सड़कों पर स्थिति अस्थिर बनी हुई है, इसलिए दक्षिण कोरिया के भविष्य के लिए एक अधिक लंबा संघर्ष शुरू होता दिख रहा है। यह समझने के लिए कि चीजें किस ओर जा सकती हैं, वर्तमान संकट की उत्पत्ति की जांच की जानी चाहिए।
कोरिया: नए शीत युद्ध की अग्रिम पंक्ति
यून के कार्यकाल के प्रति, व्यापक असंतोष और बढ़ती घरेलू और क्षेत्रीय अस्थिरता देखी जा रही है। कोरियाई इतिहास में सबसे कम अंतर से 2022 में चुने गए यून के ध्रुवीकरण अभियान ने घरेलू स्तर पर संगठित श्रम और नारीवादी आंदोलन को निशाना बनाया और नए शीत युद्ध में वाशिंगटन के प्रति निष्ठा और उत्तर कोरिया के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का संकल्प लिया। सिर्फ़ दो साल से ज़्यादा समय में, उनके प्रशासन ने कोरियाई प्रायद्वीप को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है, पूर्वोत्तर एशिया को विरोधी सैन्य गुटों में विभाजित करने में मदद की है और दक्षिण कोरिया में कई आर्थिक संकट पैदा किए हैं, जिसने श्रमिकों पर कहर बरपाया है।
यूं की लोकतंत्र विरोधी प्रवृत्तियाँ शुरू से ही स्पष्ट थीं, लेकिन राष्ट्रपति बाइडेन और अमेरिकी मीडिया तंत्र ने उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में पेश किया। यह वाशिंगटन द्वारा किसी रणनीतिक सहयोगी की अनुचित प्रवृत्तियों को बर्दाश्त करने का मामला नहीं था: यूं की विदेश और घरेलू नीति वाशिंगटन के नए शीत युद्ध और मानवता के अंतर्राष्ट्रीय पदानुक्रम में दक्षिण कोरिया के स्थान के लिए उसके दृष्टिकोण का अभिन्न अंग थी।
यून के ट्रेड यूनियनों के खिलाफ लड़े जा रहे युद्ध को विशेष रूप से दक्षिण कोरिया को चीन से अलग करने और प्रशांत क्षेत्र में एक नव-व्यापारिक क्षेत्र स्थापित करने के अमेरिकी प्रयासों के साथ सामंजस्य स्थापित करने के नजरिए दे देखना चाहिए। इसने दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को दर्दनाक रूप से पुनर्संरेखित करने पर मजबूर किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई वर्षों तक व्यापार घाटा हुआ है, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों (जो 75 फीसदी से अधिक श्रमिकों को रोजगार देते हैं) में बड़े पैमाने पर दिवालियापन हुआ है, और कोरियाई वॉन के मूल्य में गिरावट (2020 से डॉलर के सापेक्ष मूल्य में 27 फीसदी की गिरावट) और जीवन की लागत में उछाल के कारण क्रय शक्ति में तेज गिरावट आई है। इसके समानांतर, यून ने कई तरह के झूठे आरोपों में हज़ारों यूनियन नेताओं की जाँच की और उन पर मुकदमा चलाया, यहाँ तक कि कुछ को आत्महत्या करने पर मजबूर किया। नए शीत युद्ध ने दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को वाशिंगटन की साम्राज्यवादी रणनीति का बलि का बकरा बना दिया है, और यून का श्रम पर युद्ध अमेरिकी उद्देश्यों की पूर्ति और श्रमिकों के विरोध को खत्म करने का मुख्य हमला था।
सैन्य मोर्चे पर, यून और भी बड़े हमलावर बन कर उभरे हैं। उत्तर कोरिया के खिलाफ उनकी बेलगाम आक्रामकता ने पिछले मून जे-इन प्रशासन के तहत किए गए सीमित लाभों को सफलतापूर्वक उलट दिया, यहां तक कि प्योंगयांग को शांतिपूर्ण पुनर्मिलन की दीर्घकालिक नीति को त्यागने पर मजबूर कर दिया। प्रति वर्ष सैकड़ों की संख्या में मापे जाने वाले लगातार अमेरिकी युद्ध अभ्यास और कोरिया में परमाणु पनडुब्बियों और विमान वाहक जैसे अमेरिकी रणनीतिक परिसंपत्तियों की चौंकाने वाली तैनाती आदर्श बन गई है। शायद सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यून ने वाशिंगटन को जापान और दक्षिण कोरिया के साथ एक आम अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन में शामिल होने की अनुमति दी, जिसे जेएकेयूएस के रूप में जाना जाता है। इस दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्य को हमेशा दक्षिण कोरियाई जनमत और न्याय, मान्यता और क्षतिपूर्ति के लिए औपनिवेशिक अपराधों के जीवित बचे लोगों की मांगों द्वारा बाधित किया गया था। दक्षिण कोरिया के ट्रेड यूनियनवादियों की तरह, उपनिवेशवाद के कोरियाई बचे लोग वाशिंगटन के डिजाइनों के लिए एक और बाधा थे, और यून पर उन्हें कुचलने के लिए भरोसा किया जा सकता था। इसके लिए, वरिष्ठ बाइडेन अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने यून और पूर्व जापानी प्रधानमंत्री फुइमियो किशिदा को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने की वकालत की थी।
लोकतंत्र की जीत?
शनिवार के मतदान के परिणाम ने लाखों लोगों को क्रोधित कर दिया, लेकिन महाभियोग शायद शुरू से ही विफल होने के लिए अभिशप्त था। डेमोक्रेट और अन्य विपक्षी दलों के पास संसद में हमेशा आवश्यक बहुमत की कमी थी। इसके अलावा, संविधान के अनुसार महाभियोग वोट की पुष्टि करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के छह से अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता होती है, और राजनीतिक गतिरोध के वर्षों के कारण न्यायालय में यह कोरम नहीं है, जिसका अर्थ है कि एक सफल मतदान भी रुका हुआ है। मार्शल लॉ की हार को कई लोगों ने उदार लोकतंत्र की जीत के रूप में मनाया, और फिर भी उदार लोकतंत्र खुद का सबसे बड़ा दुश्मन साबित हो सकता है।
7 दिसंबर को महाभियोग मतदान के दिन नेशनल असेंबली के बाहर विरोध प्रदर्शन। फोटो: इंटरनेशनल स्ट्रैटेजी सेंटर (@go_isc)
सियोल में सत्ता के गलियारे में कई तरह की चालें चल रही हैं, लेकिन यूं के इस्तीफे तक पीपीपी द्वारा राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालने के बारे में हान डोंग-हून का बयान बहुत कुछ उजागर करता है। जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह भरोसा दिलाते हुए कि सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण होगा, हान ने यह भी घोषणा की, "दक्षिण कोरिया-अमेरिका गठबंधन और अमेरिका और जापान के साथ त्रिपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मजबूती से बनाए रखना एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण कार्य है।"
लाखों दक्षिण कोरियाई लोगों की लामबंदी के ज़रिए मार्शल लॉ की हार ने शासक वर्ग की प्रतिक्रिया के लिए मंच तैयार कर दिया है। दक्षिण कोरिया एक क्रांतिकारी हालात से जूझ रहा है - शासक वर्ग पुराने तरीके से शासन नहीं कर सकता, और मज़दूर वर्ग पुराने तरीके से रह नहीं सकता। ख़ास तौर पर केसीटीयू की आम हड़ताल का ख़तरा स्थिति पर भारी पड़ रहा है, जैसा कि सड़कों पर लोगों की भीड़ की मौजूदगी से नज़र आ रहा है। महाभियोग के विरोध के बावजूद यून को हटाने के लिए पीपीपी की जल्दबाजी पार्टी और उसके बाद वाशिंगटन के एजेंडे को नियंत्रण में रखने के लिए उसे हटाने की इच्छा को दर्शाती है।
हर क्रांतिकारी स्थिति क्रांति में समाप्त नहीं होती, और यह मामला भी अलग नहीं है। आगे क्या होता है यह दक्षिण कोरिया की जनता, प्रगतिशील संगठनों और वामपंथी राजनीतिक दलों के हाथों में है। अगर आंदोलन को केवल इस्तीफे से शांत किया जाता है, तो यून के तहत दक्षिण कोरिया की परेशानियाँ और बढ़ेंगी। अगर बड़ा उद्देश्य सामने रखा जाता है और जन संघर्ष को सफलतापूर्वक विस्तारित किया जाता है, तो दमन का जोखिम बढ़ जाएगा, लेकिन वास्तविक बदलाव लाने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
दक्षिण कोरियाई जनता ने कई बार लोकतंत्र विरोधी नेताओं को हटाया है, लेकिन समाज और राजनीतिक व्यवस्था में स्थायी, क्रांतिकारी बदलाव हासिल नहीं हुआ है। अपने देश के भविष्य के लिए लड़ने में जनता के बलिदान ने हमेशा डेमोक्रेट्स को लाभ पहुंचाया है, जिन्होंने अपने जनादेश को बर्बाद कर दिया है और अंततः उन आंदोलनों को धोखा दिया है जो उन्हें सत्ता में लाए थे। नतीजतन, प्रत्येक अपदस्थ नेता के बाद अंततः शासक वर्ग के सबसे प्रतिक्रियावादी गुटों के नए प्रतिनिधि आए हैं। एक दशक से भी कम समय पहले, बड़े पैमाने पर कैंडललाइट आंदोलन ने पार्क ग्यून-हे की सरकार को गिरा दिया था। सत्ता संभालने के लिए तैयार वामपंथियों की एक संगठित राजनीतिक ताकत की अनुपस्थिति में, मून जे-इन प्रशासन का उदय हुआ। पाँच साल बाद, मून की विफलताओं और विश्वासघात से पैदा हुए संकीर्ण अवसरों के ज़रिए यून को चुना गया था। जैसा कि पीपीपी को सत्ता से चिपके रहने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं, कोरियाई वामपंथियों को भी डेमोक्रेट्स के विकल्प के निर्माण की आवश्यकता को पहचानना चाहिए ताकि कामकाजी बहुमत की सेवा करने और सत्तावादी पतन और सामूहिक विद्रोह के चक्र को समाप्त करने में सक्षम राजनीतिक मक़सद और योजना को स्थापित किया जा सके।
जू-ह्यून पार्क द रियल न्यूज़ में एंगेजमेंट एडिटर और नोडुटडोल में आयोजक हैं।
सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच
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