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तिरछी नज़र : लीजिए, मैं भी बन गया मोदी भक्त!

जब से राइट साइड का विजन ठीक हो गया है तब से मुझे मोदी जी से मोहब्बत हो गई है। मुझे लगता है कि मैं मोदी भक्त बन गया हूं…।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : CNBC TV18

दायीं आंख का आपरेशन हो गया। दायीं आंख पर छाया जाला हट गया है और अब बिल्कुल साफ साफ दिखने लगा है। राइट आंख का विज़न अब राइट हो गया है और और अब बस राइट ओर ही देख पा रहा हूं क्योंकि लेफ्ट आंख अभी भी मोतियाबिंद की शिकार है। 

जब से राइट साइड का विजन ठीक हो गया है तब से मुझे मोदी जी से मोहब्बत हो गई है। मुझे लगता है कि मैं मोदी भक्त बन गया हूं।  ऐसा नहीं है कि मोदी जी से मोह सिर्फ मुझे ही हुआ है। मुझे तो मोह इसलिये हुआ है क्योंकि मेरी राइट आंख का आपरेशन हुआ है। पर और भी बहुत सारे लोगों को मोदी जी से मोह हो गया है और उन्हें मोदी जी से मोह इसलिये हुआ क्योंकि उनका कहीं से मोहभंग हो गया। हाल ही में तेलुगु देशम के चार राज्यसभा सदस्यों का अपने दल से मोहभंग हो गया। कर्नाटक के और गोवा के बहुत सारे एमएलए का अपनी पार्टी से मोहभंग हो गया। हाल ही में नीरज शेखर का समाजवादी पार्टी से मोहभंग हो गया। अपने दल से मोहभंग होकर सभी को मोदी जी से मोह हो गया और सभी भाजपा में शामिल हो गये। पर मेरे मोदी जी से मोह का कारण किसी से मोहभंग होना नहीं है। मुझे तो दायीं आंख के मोतियाबिंद के ठीक होने के कारण ही मोदी जी से मोह हुआ है।

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जबसे मुझे मोदी जी से मोह हुआ है तबसे मुझे लगता है कि देश ने मोदी जी को उतना नहीं दिया जितना कि देश को उन्हें देना चाहिए था। मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री बनने चाहिए थे। पर ऐसा न हो पाया क्योंकि देश मोदी जी के पैदा होने से पहले ही स्वतंत्र हो गया। अंग्रेजों को भी न जाने क्यों जाने की इतनी जल्दी पडी़ थी। कोई साठ सत्तर साल और रुक जाते तो मोदी जी ही देश के पहले प्रधानमंत्री बनते। और ये कांग्रेस ने भी, देश की आजादी के लिए पता नहीं क्यों इतनी जल्दी मचानी शुरू कर दी। देश के लिए प्रधानमंत्री अभी तैयार ही नहीं था कि देश स्वतंत्र हो गया। आरएसएस और हिन्दू महासभा को पता था कि अभी प्रधानमंत्री जी देश का भार वहन करने के लिए तैयार नहीं हैं । इसीलिए आरएसएस ने, हिन्दू महासभा ने कोई कोशिश ही नहीं की, देश की आजादी के लिए। बल्कि वे चाहते रहे कि अंग्रेज अभी और राज करते रहें। 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का आरएसएस और हिन्दू महासभा ने विरोध भी किया।

पर अब जब देश 2014 से पहले ही 1947 में आजाद हो गया था तो किसी न किसी को तो प्रधानमंत्री बनाना ही था। लोगों ने जवाहर लाल नेहरू को बना दिया। और उन्होंने क्या किया? देश का बेडा़ गर्क कर दिया! एम्स बनाया, आईआईटी बनाईं, आईआईएम बनाए। इसरो भी बनाया और एटोमिक रिसर्च सेंटर भी बनाया। बड़े बड़े बांध बनाए। और कहा कि ये बांध, ये आईआईटी, ये कारखाने, ये अनुसंधान संस्थान, ये ही आधुनिक भारत के मंदिर हैं। हम सब समझते हैं, राम मंदिर नहीं बनवा सकते थे इसीलिए इन सब चीजों को ही मंदिर कह दिया। मोदी जी इसीलिए सबसे ज्यादा बुराई नेहरू की ही करते हैं। नेहरू सत्रह साल देश के प्रधानमंत्री रहे पर एक भी ढंग के मंदिर का निर्माण नहीं करा सके। कहा देश के लोगों में साइंटिफिक टैंपरामेंट बनाना है। क्या हमारे देश में साइंटिफिक टैंपरामेंट नहीं था। ये जो हजारों लाखों साल से इतनी सारी वैज्ञानिक उन्नति देश ने की थी, जो कि महाभारत, रामायण और बाकी सारे ग्रंथों मे वर्णित है, क्या सब बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण के थी। नेहरू ने सचमुच ही देश को बर्बाद कर दिया, देश की सोच को बर्बाद कर दिया। व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी से तो मुझे यह भी पता चला है कि नेहरू मुसलमान थे, उनके मां-बाप, दादा-परदादा सब मुसलमान थे। व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी की नई खोज यह है कि ये जो ममता है न, ममता बनर्जी, ये भी मुसलमान है। ये जो व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी है न, यह भाजपा की है और इसे मोदी जी भी लाईक करते हैं। बिल्कुल ही सच्ची और अच्छी है, व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी।

नेहरू ही नहीं, नेहरू के बाद भी कोई भी प्रधानमंत्री काम का नहीं निकला, सिवाय शास्त्री जी के और बाजपेयी जी के। लेकिन वे भी बस ठीक ठाक, कामचलाऊ प्रधानमंत्री थे। इतना भी मैं, मजबूरी में सिर्फ इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मोदी जी करीब करीब बाकी सब की बुराई करते रहते हैं सिवाय इन दोनों के। वैसे अच्छे ये दोनों भी नहीं थे क्योंकि मोदी जी ने दिल खोल कर तारीफ इन दोनों की भी कभी नहीं की। अब मैं ठहरा मोदी भक्तराइट आंख के मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद तो मैं मोदी भक्त बन ही गया हूँ। मुझे पता है मोदी जी हमेशा सच ही बोलते हैं। सच कि सिवाय कुछ नहीं बोलते हैं। और अगर गलती से कुछ मुंह से झूठ निकल भी जाये तो वह, हम भक्तों के लिए तो, सच ही बन जाता है। अब मोदी जी जिसकी बुराई करें, वह गंदा। मोदी जी जिसकी बढाई करें वह अच्छा। अब मोदी जी ने, जहां तक मुझे याद आता है, सरदार पटेल को छोड़ कर किसी और की बढाई कभी की नहीं है। यहां तक कि बुराई करने में पिछले सत्तर साल में बनी किसी की भी सरकार को नहीं छोड़ते। जब भी बोलते हैं, बोलते हैं पिछले सत्तर साल में कोई काम नहीं हुआ। जब मोदी जी सत्तर साल का जिक्र करते हैं तो बाजपेयी जी की सरकार को भी नहीं छोड़ते। 

खैर हम बात कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों की ही करते हैं। उन्हीं की वजह से ही, जैसा हमारे मोदी जी बताते हैं, देश की यह दशा हुई है। कांग्रेसियों में से एक इंदिरा थी। हमारे मोदी जी उनकी भी सिर्फ एक ही अच्छाई याद करते हैं, इमरजेंसी की। मोदी जी हर बार 25 जून को, या फिर और अन्य मौकों पर, इमरजेंसी को जरूर याद कर लेते हैं। इंदिरा गांधी ने और भी कुछ बेकार के काम किये थे जैसे बैंकों का राष्ट्रीयकरण, प्रीवीपर्स समाप्त करना, पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर बांग्लादेश बनाना आदि। पर मेरे मोदी जी को बस इमरजेंसी ही याद आती है। मोदी जी जानते हैं, इंदिरा गांधी के राज में इमरजेंसी ही एकमात्र ऐसी घटना हुई, जो अनुकरणीय है। लेकिन मोदी जी का इंदिरा गांधी की आलोचना करना ठीक ही बनता है। इंदिरा गांधी को इमरजेंसी लगाने के लिए घोषणा करने की क्या आवश्यकता थी, बिना घोषणा के भी तो लगाई जा सकती थी।

एक और हुए, राजीव गांधी। लोग कहते हैं कि देश में कम्प्यूटर ये ही लेकर आये थे। पर इसका मतलब यह थोड़ी न है कि आप बोफोर्स घोटाले से बरी हो गये। कोर्ट ने बरी कर दिया हो पर मोदी जी ने तो बरी नहीं किया है न। हम भक्तों के लिए मोदी जी सबसे बड़े कोर्ट हैं। राजीव गांधी को कोर्ट ने बरी कर दिया फिर भी वह सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी है। प्रज्ञा ठाकुर को कोर्ट ने बरी नहीं किया है, फिर भी वह निर्दोष है क्योंकि मोदी जी उसे निर्दोष मानते हैं। हम मोदी जी के पीछे हैं। कोर्ट जो माने वो माने पर हम तो वही मानते हैं जो मोदी जी मानते हैं।

जो लोग थोड़े समय के लिए प्रधानमंत्री रहे, उनकी तो हम बात ही नहीं करते हैं। फिर नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री रहे पर उनके किये को सुलझाने के लिए बाजपेयी जी को आना पडा़। और मौनमोहन सिंह के किये को सुलटाने मोदी जी को। ये दोनों ही इतना चुपचाप रहते थे कि इनके बाद बोलने वाला प्रधानमंत्री चाहिए था और आया भी। मोदी जी बताते हैं, मनमोहन सिंह शावर के नीचे बरसाती पहन कर नहाने की कला जानते थे। हमारे मोदी जी तो बाल्टी लोटा लेकर नहाते हैं। जिस अंग को चाहे भिगोते हैं, और जिस अंग को चाहे सूखा रखते हैं। 

मेरी सलाह अब जबकि हमारा (भाजपा का) संसद में पूर्ण बहुमत है, मेरी सलाह है कि मोदीजी से पहले के सभी प्रधानमंत्रियों को कार्यवाहक प्रधानमंत्री घोषित कर, मोदी जी को देश का पहला प्रधानमंत्री घोषित कर देना चाहिए। इससे देश को पहला काम करने वाला प्रधानमंत्री मिल जायेगा।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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