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तिरछी नज़र: ‘विपक्ष हटाओ, देश बचाओ...’

‘सरकार जी’ के होते हुए देश पर कोई ख़तरा नहीं है। जब कोई ख़तरा ही नहीं है तो सरकार जी को हटाने और देश को बचाने की बात कहां से आई।
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दिल्ली में कई जगह पर ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ के पोस्टर दिखाई दिए थे। जिन्हें अब हटा दिया गया है। फोटो साभार: Economic Times

आज सुबह सुबह गुप्ता जी पार्क में मिल गए। बहुत खुश दिख रहे थे और लड्डू बांट रहे थे। मेरे हाथ में भी लड्डू देते हुए बोले, "लो तुम भी खाओ"। मैंने भी दोनों हाथों में लड्डू लेते हुए पूछा, "बड़े खुश लग रहे हो। बेटे की नौकरी लग गई है क्या"?

"अरे कहां, नौकरियां हैं ही कहां। एक निकलती है तो तीन सौ लोग पहुंचते हैं इंटरव्यू के लिए। उसके बाद भी मिलती किसी को नहीं है"। 

"तो फिर ये लड्डू किस खुशी में खिला रहे हो"।

"वह राहुल गांधी को सजा हो गई है ना, इसीलिए। और अब तो वह एमपी भी नहीं रहा। देखा ना सरकार कितनी जल्दी कार्य करती है। एक दिन सजा, अगले दिन एमपी शिप खतम। इसे कहते हैं काम करने का तरीका। पहले की तरह से नहीं है कि सजा मिल गई फिर भी एमपी शिप चली जा रही है, चली जा रही है। किसी को उसे खत्म करने की फ़िक्र ही नहीं है"।

"लेकिन हमारी दिल्ली में तो अभी पांच दिन पहले पोस्टर बैनर लग रहे थे, 'मोदी हटाओ देश बचाओ'। जगह जगह लगे थे"। 

"हटा दिए ना, सारे के सारे। यह सब तो ना, विरोधियों के चोंचले हैं। मोदी जी के रहते देश को कोई खतरा नहीं है। मोदी जी अकेले ही सब पर भारी हैं। अकेले ही देश को बचाने में लगे हैं। देख लेना, थोड़े दिनों में ही कानून आ जाएगा। इस तरह की सारी पोस्टर बाजी बंद हो जाएगी। बच्चू, देख लेना, चुनाव में भी इस तरह के पोस्टर नहीं लगा पाओगे। सब गैरकानूनी होगा, गैरकानूनी। मोदी जी के रहते देश पूरी तरह सुरक्षित है"।

"हां, हां", मैंने भी व्यंग्य किया। "सरकार जी के राज में सब सुरक्षित हैं सिवाय हिन्दुओं के। देश सुरक्षित है। महिलाएं सुरक्षित हैं। अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं। दलित और आदिवासी भी सुरक्षित हैं। बस खतरे में हैं तो हिन्दू खतरे में हैं। क्यों, ठीक है ना। यही तो कहते हो ना तुम लोग कि हिन्दू खतरे में हैं"।

अब देखो, देश के लिए खतरा बन रहे, बड़े बड़े घोटालेबाजों को, माल्या को, एक मोदी को, दूसरे मोदी को, चौकसी को, सभी घोटाला करने वालों को सरकार जी ने देश से बाहर भेज दिया है। देश से तड़ीपार कर दिया है। देश में रहते तो ना जाने और क्या क्या घोटाले करते। ना जाने कितने बैंकों का कितना पैसा मारते और डकार भी नहीं लेते। कितना सुकून है कि ये सब देश से बाहर हैं। देश इनसे सुरक्षित है। फिर भी लोग पोस्टर लगाते हैं 'मोदी हटाओ, देश बचाओ'।

सरकार जी ने देश के लिए ही तो अपने अभिन्न मित्र का नाम तक लेना तक छोड़ दिया है। जिस मित्र के साथ देश विदेश घूमे, जिसका बिज़नेस बढ़वाया, जिसको लोन दिलवाया, देश विदेश में ठेके दिलवाए। जिसको सबकुछ बेचा। उसका नाम तक लेना छोड़ दिया है। जब से हिंडेनबर्ग रिपोर्ट आई है, जांच तक नहीं करवाई है पर उसको पूरा त्याग त्याग दिया है। केवल अपने आप ही नहीं त्यागा है, अपने आप ही नाम लेना नहीं छोड़ा है, अपनी पार्टी के लोगों तक को कह दिया है कि कोई भी उसका नाम नहीं लेगा। ना उसका नाम लेगा और ना किसी और को उसका नाम लेने देगा। सरकार जी के अलावा कोई और है ऐसा जो देश को बचाने के लिए इतना बड़ा त्याग कर दे, अपने सबसे प्रिय मित्र को छोड़ दे। और लोग हैं कि पोस्टर लगा रहे हैं 'मोदी हटाओ, देश बचाओ'।

सरकार जी के होते हुए देश पर कोई खतरा नहीं है। जब कोई खतरा ही नहीं है तो सरकार जी को हटाने और देश को बचाने की बात कहां से आई। असल ख़तरा तो विपक्ष से है, इसलिए नारा होना चाहिए- विपक्ष हटाओ, देश बचाओ। सरकार जी तो अपने कार्यकाल के शुरू से ही देश की सुरक्षा को लेकर इतने कटिबद्ध हैं कि पठानकोट की सुरक्षा की जांच पाकिस्तान की आईएसआई तक से करवा दी। दुश्मन तक से दिखवा दिया कि सुरक्षा पुख्ता है या नहीं। सुरक्षा के प्रति इतने गंभीर सरकार जी को हटाने की बात करते हो, पोस्टर लगाते हो। शर्म आनी चाहिए तुम्हें।

चलो, पुरानी बात तो छोड़ो। देश में सबसे सेंसटिव एरिया, सबसे संवेदनशील क्षेत्र कौन सा है? जम्मू कश्मीर ही ना। सरकार जी ने वहां के बारे में सबकुछ ठीक ठीक जानने के लिए अपना आदमी भेजा। अपनी पार्टी का आदमी। अपने खुद के ऑफिस से, पीएमओ से। अपना खुद का जासूस। उसे जेड प्लस सुरक्षा दी कि वह वहां का पूरा जायजा ले सके, पूरी सुरक्षा समीक्षा कर सके। ऐसा कोई और करता है भला। किसी ने भी, किसी भी और ने पिछले सत्तर सालों में ऐसा किया है तो बताओ? देश की सुरक्षा को लेकर इतने गंभीर जो सरकार जी हैं, उनको हटा कर आप देश बचाना चाहते हो। क्या हो गया है आपको?

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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