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रूस के साथ अमेरिकी टकराव का जोखिम?

रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने 17 दिसंबर को मास्को में अपने सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ निश्चित टिप्पणियां कीं, जिनका मतलब था कि अब तक चली आई अपनी रणनीतिक सहिष्णुता (स्ट्रैटेजिक पेशेंस) के बारे में क्रेमलिन को फिर से सोचना है और वह अपनी सेना को अमेरिकी उकसावों पर प्रतिरोधपूर्ण कार्रवाई की इजाजत दे सकता है।
रूस के साथ अमेरिकी टकराव का जोखिम?
रूस का आरएस 28 सरमट तरल ईधन से परिचालित होने वाला सुपर हेवी अंतर महाद्वीपीय इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल मेकेयेव रॉकेट डिजाइन ब्यूरो द्वारा विकसित किया गया है। (फाइल फोटो)

रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव  ने पिछले हफ्ते कहा कि  मास्को अमेरिका में जो बाइडेन के नेतृत्व में आने वाली नई सरकार के साथ गहरी शत्रुता के अलावा और किसी चीज की उम्मीद नहीं करता है। उन्होंने बुधवार को प्रकाशित इंटरफैक्स  के अपने इंटरव्यू में कहा कि,  “हम बदतर संबंध की तरफ बढ़ रहे हैं। अगले राष्ट्रपति के लिए बहुत खराब विरासत छोड़ी गई है और उन्हें  इससे उबरने में  लंबा समय लगेगा।”

रयाबकोव ने खुलासा किया कि मास्को ने जो बाइडेन के ट्रांजिशन टीम के साथ संपर्क नहीं किया है, “और हम यह करने भी नहीं जा रहे हैं। आखिरकार यह अमेरिका को निर्णय करना है कि हमारे द्विपक्षीय संबंध क्या, कब और कैसे होंगे।” उन्होंने  अमेरिका के नए प्रशासन के साथ  “चुनिंदा संवादों” की संभावना से इनकार नहीं किया, लेकिन यह अनुमान लगाया कि “हम उनसे किसी बेहतर की उम्मीद नहीं करते।”

रयाबकोव ने निष्कर्ष दिया कि “उस व्यक्ति से, जो उन्हें कइयों में से एक है, जिन्होंने रूसीफोबिया के साथ अपना राजनीतिक जीवन बिताया है और हमारे देश पर कीचड़ फेंकता रहा है, उससे बेहतर संबंध की उम्मीद करना आश्चर्यजनक होगा।” रयाबकोव विदेश मंत्रालय में रूस-अमेरिकी संबंधों को देखते हैं, उनके यह कहने का मतलब आगामी जो बाइडेन प्रशासन को यह जताना है कि मास्को उनके आगे सरेंडर के मूड में नहीं है और उसके पास वैसी कार्रवाई करने की क्षमता है, जिसका कि अमेरिकी सुरक्षा पर बहुत खराब असर पड़ सकता है।

दरअसल,  उसी दिन मास्को में,  विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ठोक कर कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों का रूस करारा जवाब देगा और इस तरह से देगा, जो ‘रूस-अमेरिकी संबंधों के तमाम क्षेत्रों को स्पर्शित करेगा।” हालांकि उन्होंने इसका कोई विवरण नहीं दिया। जैसा कि उन्होंने कहा, “ हमारे देश के खिलाफ अमेरिका लंबे समय से शत्रुतापूर्ण नीतियां अपनाता रहा है। निश्चित रूप से इसकी प्रतिक्रिया होगी, न केवल प्रतिदान के अर्थ में बल्कि हम रूस-अमेरिका के बीच तमाम संबंधों को लेकर अतिरिक्त निष्कर्ष निकालेंगे।”

लावरोव सोमवार को रूसी सेना के साथ काम करने वाली देश की कुछ कंपनियों पर अमेरिका द्वारा लादे गए नए प्रतिबंधों पर अपनी टिप्पणी कर रहे थे। लावरोव ने कहा कि वैश्विक बाजार में वाशिंगटन के प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने के “एक रणनीतिक” मकसद से लगाए ये  प्रतिबंध “विश्व व्यापार संगठन के नियमों के खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन हैं।”

रूस ने हाल के हफ्तों में अपनी भाव-भंगिमा उल्लेखनीय रूप से कड़ी कर ली है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा 17 दिसंबर को मास्को में आयोजित सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई कुछ निश्चित टिप्पणियों संकेत मिलता है कि क्रेमलिन “सामरिक  सहिष्णुता” की अब तक जारी नीति पर पुनर्विचार करेगा और वह अपनी सेना को अमेरिकी उकसावों पर कार्रवाई करने की इजाजत दे सकता है।

पुतिन ने जोरदार तरीके से रेखांकित किया कि रूस न केवल हाइपरसोनिक हथियारों के मामले में अमेरिका को मात देने में सक्षम हैं, बल्कि हम अन्य चीजों के अलावा, दूसरे देशों में भविष्य की हाइपरसोनिक हथियारों को निशाना बनाने की तकनीक पर भी काम कर रहे हैं... मुझे विश्वास है कि हम यह करेंगे और हम इसके लिए सही रास्ते पर चल रहे हैं”।

पुतिन ने जोर दिया कि उसकी हाइपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली विश्व की स्थिति को प्रभावित करती है और इस ने उस परिदृश्य को बदल दिया है। उन्होंने संकेत दिया कि अग्रिम श्रेणी के अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल आरएस 28 सरमठ भारी द्रव नोदक से परिचालित होने वाली सीलो प्रणाली पर आधारित है, जो 10 टन वजन की सामग्री फेंक सकती है, का विकास किया गया है। इसके साथ, समुद्र के भीतर चलने वाला मानवरहित पोसिन्डो, किन्श़ॉ और प्रिज्व जैसे लेसर हथियारों, एवानगार्ड हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसकी गति मैक 20 से भी ज्यादा है और ध्वनि की गति से आठ गुनी तेज गति से उड़ान भरने वाली लम्बी दूरी तक मार करने वाली हाइपरसोनिक जहाजरोधी क्रूज मिसाइल सेकोन का भी विकास किया है।

पुतिन ने रेखांकित किया, इसके अलावा, इसे स्थिर वाहकों, सतह और उप सतहों पर चलने वाले जहाजों पर तैनात किया जा सकता है। इसे निष्क्रिय जल में रखा जा सकता है तो इसी से आप उसकी मारक क्षमता और गति का अनुमान लगा सकते हैं और तब सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। क्या यह वैश्विक समीकरण या स्थिति को किसी अर्थ में बदल सकता है या उसे प्रभावित कर सकता है?  निश्चित रूप से,  यह उसे बदल सकता है और उसे प्रभावित कर सकता है।”

इसके बाद, पुतिन ने पुन: 21 दिसंबर को रक्षा मंत्रालय की विस्तारित वार्षिक बैठक में कहा, “दक्षिणी काकेशस, मध्य पूर्व, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष के बढ़ने से काफी खतरा है। नाटो की सैन्य गतिविधियां जारी हैं...इसलिए हमारे परमाणु हथियारों को बड़ी तैयारी के साथ मुस्तैद रहना चाहिए और परमाणु के सभी तीनों घटकों को विकसित करना चाहिए। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने और दुनिया में सामरिक समतुल्यता को संरक्षित करने के लिए एक मौलिक महत्व का काम है।”

पुतिन ने कहा, “ हमें हमारी सीमाओं के नजदीक पश्चिमी देशों द्वारा तैनात की जाने वाली प्रतिपक्षी मिसाइलों का समय पर जवाब देने के लिए अवश्य ही तैयार रहना चाहिए। अगर हमें बाध्य किया गया तो हम हर जवाबी उपाय करेंगे और इसे थोड़े समय में संभव कर दिखाएंगे। ...मैं सामरिक ताकतों के प्रति आदर के साथ यह जोर देना चाहूंगा कि हमने उन उपकरणों के कल-पुर्जे, जिनका विश्व में कोई तो़ड़ नहीं हैं, के लिए जमीनी स्तर गंभीर अनुसंधान और प्रौद्योगिकी पर धरातलीय काम पर काफी पहले ही कर लिया है।”

अमेरिकी नीति विमर्शों में, यह एक खतरनाक धारणा बैठी हुई है कि अमेरिकी प्रभुत्व लगातार असंदिग्ध-अविवादित बना रह सकता है, क्योंकि रूस की अर्थव्यवस्था अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मुकाबिल नहीं है और मास्को अमेरिका या नाटो के साथ टकराव नहीं चाहता है। लेकिन मास्को से अब संकेत आ रहे हैं कि रूस विश्व में दखल रखने की अमेरिकी मर्जी-मंशा के आगे सरेंडर नहीं करेगा। मास्को का निष्कर्ष है कि रूस विरोधी नैरेटिव की जड़ व्यापक रूप से अमेरिकी अभिजात्यों में मजबूती से जमी हुई है,  इस वजह से वाशिंगटन के साथ संबंधों में मामूली सुधार के लिए रूस को कोई रियायत देने का कोई मतलब ही नहीं है।

अमेरिका के पक्ष में इस बात को लेकर पर्याप्त जागरूकता है कि परमाणु टकराव बढ़ रहा है। अमेरिका और रूस के बीच सैन्य तनाव पूरी तरह मुमकिन है। यह टकराव सीरिया में हो सकता था, यूक्रेन में और हाई सी में हो सकता था। रूसी सशस्त्र सेना के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ वालेरी गेरासिमोव ने 24 दिसंबर को मास्को में विदेशी सैन्य अताशों (मिलिट्री अटैचीज) (किसी अन्य देश की राजधानी में राजनयिक  प्रतिनिधि की तरह ही नियुक्त सैन्य अधिकारी, जो तैनाती वाले देश की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखते हैं और इसकी समीक्षा के साथ पूरी सूचना अपने देश को देते हैं।) को खबर देते हुए कहा कि “गैर नाटो देशों के साथ तेजी से जोर पकड़ रहीं” नाटो की प्रशिक्षण-गतिविधियों ने रूस विरोधी लाइन लेने की घोषणा की है और यह रूस की पश्चिमी सीमाओं पर उकसावे की कार्रवाई कर रही हैं।”

गेरासिमोव ने कहा,“ काला सागर,  बाल्टिक और वेरंट्स सागरों में नाटो की जहाजों के दौरे की तादाद में बड़ा इजाफा हुआ है। इसके अलावा अमेरिका के सामरिक विमानों की उड़ानें भी बढ़़ी हैं।”  उन्होंने आरोप लगाया,“परस्पर आदान-प्रदान के आधार पर सैन्य गतिविधियों को सहज करने और इस काम में अधिकतम पारदर्शिता लाने, और हवा में तथा समुद्र में-काला सागर में, बाल्टिक समुद्री क्षेत्रों में खतरनाक सैन्य गतिविधियों को रोकने के रूस के प्रस्ताव पर आज तक कोई (नाटो की) प्रतिक्रिया नहीं आई है।”

वास्तव में, इस पृष्ठभूमि के विपरीत, रूस अभी तक सन्नद्ध नहीं हुआ है। एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में, दुनिया के कुल आधुनिक हथियारों में से 54 फीसद (पूर्व) सोवियत सेना के पास हुआ करते थे और सामरिक एवं परमाणु ताकतों में उसका अधिकार 65 से 70 फीसद तक होता था, जो वैश्विक मानकों के स्तर से काफी ऊंचा था। वहीं, आज आधुनिक हथियारों के मामलों में रूस के पास विश्व के आधुनिक हथियारों और उपकरणों का 70 फीसद है और 86 फीसद परमाणु शक्तियां उसके पास हैं। सैन्य बलों को नए-नए हथियारों से लैस करने की रपटें समय-समय पर आती रही हैं।

इस बीच, अमेरिकी रणनीतिकार रूस और चीन के बीच संभावित गठजोड़ की संभावना और उनसे मिलने वाले नतीजों की तरफ से लगातार आंख मूंदे हुए हैं। वे इस खुशफहमी में हैं कि वे दोनों देशों को रोकने में कामयाब हो जाएंगे और फिर उन पर कारोबार, निवेश, वित्त और प्रौद्योगिकी पर धीरे-धीरे प्रतिबंधों के जरिये उन्हें कुचल देंगे। इसी तरह, रूस-चीन की सत्ता के आंतरिक  विरोधियों को धन मुहैया कर,“पश्चिम-समर्थक” तत्वों वाली मानसिकता से लैस कर और सूचना-युद्ध इत्यादि में सफल हो जाएंगे।

इसी तरह, अनेक मामलों, जैसे, ताइवान में बढ़ते तनाव और यूक्रेन में मुख्य भूमिका निभाने के बारे में बाइडन की विदेश नीति के मसौदे ने रूस और चीन को भावी खतरों से अपना बचाव करने और अपनी साझेदारी गहरी करने के लिए प्रेरित किया है। रूस और चीन की धुरी को धकेल देने या नजरअंदाज करने की बात एक ऐतिहासिक भूल होगी। कुछ मामलों में,  मास्को और बीजिंग अपने इकट्ठे सहयोग से अमेरिका के कद को छोटा करने के काम के अलावा अपने लिए कोई अन्य विकल्प नहीं देखेंगे। इसलिए रूस और चीन के बीच रणनीतिक गठजोड़ की संभावना तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका की तरफ से लगातार उकसाने और उन्हें दबाने की कोशिशों से निरंतर मिल रहीं जैसी एक जैसी चुनौतियां इसको खुराक दे रहा हैं। वह रूस-चीन के आंतरिक मामलों में दखल देता है और शत्रुतापूर्ण गठबंधनों के जरिए उनको घेरने की कोशिश करता है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

US Risks Confrontation with Russia?

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