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उत्तराखंड में राहत और बचाव कार्य जारी, यमुना का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली और मथुरा पर ख़तरा

दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के बाद अब देश के उत्तरी राज्य बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में हैं।
uttrakhand flood
Image Courtesy: India Today

देश के एक हिस्से में बारिश और बाढ़ का प्रकोप कुछ कम हुआ तो दूसरे हिस्से में बढ़ गया है। दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के बाद अब देश के उत्तरी राज्य बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में हैं।

उत्तराखंड एक और शव मिला

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक में दो दिन पहले बादल फटने और भूस्खलन से मची तबाही वाले क्षेत्रों में बचाव और राहत कार्य मंगलवार को भी जारी रहा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।

इस बीच, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की बचाव और राहत टीमों ने माकुडी गांव से एक और शव बरामद किया है। मृतक का नाम लाल बहादुर (60) है और वह नेपाल का मूल निवासी बताया जा रहा है। इसके साथ ही आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मरने वालों की संख्या 13 हो गयी । चार अन्य लोग अभी भी लापता है ।

अभी तक माकुडी से सात, आराकोट से चार और टिकोची और सनेल से एकएक शव मिले हैं ।  

18 अगस्त को तड़के बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में आराकोट, माकुडी, मोल्डा, सनेल, टिकोची और द्विचाणु में कई मकान ढह गये थे। 

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री रावत ने आज आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर वहां स्थिति का जायजा लिया। वह उन क्षेत्रों में भी गये जहां प्रभावित लोगों को ठहराया गया है। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि संकट की इस घड़ी में सरकार उनकी हरसंभव मदद करेगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से खाने के पैकेट, कंबल, दवाइयां और पीने का स्वच्छ पानी आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचाया गया । मौसम साफ होने के साथ ही बचाव दल आराकोट से टिकोच, डोचांग, माकुडी एवं चीवा के लिये रवाना हो गये हैं जबकि हेलीकाप्टर से प्रभावित क्षेत्रों के लिये एक मेडिकल टीम भी भेजी गयी है ।

एसडीआरएफ द्वारा आराकोट तथा अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भोजन शिविर लगाये जा रहे हैं। जिन स्थानों के मार्ग अवरूद्ध हैं, उन स्थानों से संपर्क स्थापित करने के लिये वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था की जा रही है ।

चीवा क्षेत्र में एक वैकल्पिक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है जिसके लिए एसडीआरएफ के जवान मुस्तैदी से काम कर रहे हैं ।

सोमवार देर शाम प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मोरी में अतिवृष्टि से हुए जान-माल के नुकसान के संबंध में बैठक की तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में रोड कनेक्टिविटी तेजी से बहाल करने तथा क्षेत्र में ट्रॉली स्थापित करने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने पेयजल विभाग को क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति शीघ्र सुचारू करने को कहा। उन्होंने कहा ‘‘समय बर्बाद नहीं होने देना है और जहां तक संभव हो, सामान पहुंचा देना है ताकि पुलों अथवा ट्रॉली की व्यवस्था होते ही आगे के राहत कार्य में अधिक समय न लगे।”

उन्होंने सभी विभागों को पूरी योजना एवं आपसी तालमेल के साथ राहत कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने मृतकों के दाह संस्कार हेतु उनके परिजनों की भावनाओं के अनुरूप व्यवस्था करने को भी कहा ।

दिल्ली में यमुना में जलस्तर और बढ़ा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ता जा रहा है और मंगलवार को भी यह नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

एक अधिकारी ने बताया कि दोपहर एक बजे यमुना में जलस्तर 206.8 मीटर पर था।

दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली सरकार द्वारा हाथी घाट और कंचन कॉलोनी में लगाए गए राहत शिविरों का निरीक्षण किया।

गहलोत ने ट्वीट किया, "दिल्ली सरकार द्वारा हाथी घाट और कंचन कॉलोनी में लगाए गए राहत शिविरों का निरीक्षण किया। उन लोगों से बात की जिन्हें खतरे वाली जगहों से हटा कर राहत शिविरों में रखागया है। इलाके के जिलाधिकारियों को सभी राहत सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।"           

सोमवार को नदी का जल स्तर 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया था जिसके बाद सरकारी एजेंसियों ने निचले इलाकों में रहने वाले 10 हजार से अधिक लोगों को वहां से हटाया।

1978 में नदी का जलस्तर अब तक के सर्वाधिक स्तर 207.49 मीटर तक पहुंच गया थाजिससे राष्ट्रीय राजधानी में भीषण बाढ़  गई थी।

जलस्तर बढ़ने के मद्देनजर यमुना नदी पर बने लोहे के पुराने पुल को सड़क और रेल यातायात के लिए बंद कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा था कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से और पानी छोड़े जाने के कारण नदी में जल स्तर और बढ़ सकता है।

नदी के डूबक्षेत्र में रह रहे लोगों को दिल्ली सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा बनाए गए 22,000 से अधिक तंबुओं में भेजा गया है।

मथुरा में बाढ़ का ख़तरा

हरियाणा के हथिनीकुण्ड बैराज से एक ही दिन में आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृन्दावन में यमुना नदी में बाढ़ आने का खतरा पैदा हो गयाजिसके चलते जिले के 175गांव खतरे की जद में हैं।

जिला प्रशासन ने आसन्न संकट से निपटने के लिए सभी ऐहतियाती इंतजामात करना शुरु कर दिए हैं।

गौरतलब है कि पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बरसात के बाद सोमवार को हथिनी कुण्ड बैराज से 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया जिससे यमुना किनारे बसे कम से कम 67 गांव इसकी चपेट में  सकते हैं।इनके बाद भी कम से कम 100 से अधिक गांव ऐसे हैं जहां पानी तबाही मचा सकता है।

जिला प्रशासन ने बाढ़ की आशंका वाले सभी 175 गांवों में बचाव एवं राहत कार्यों की तैयारियां पहले से ही शुरु कर दी हैं तथा इनमें से 67 गांवों के लोगों को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंचनेसे पूर्व ही अपने मवेशी एवं कीमती सामान लेकर ऊॅंचाई वाले स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।

 जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने बताया, ‘‘ यमुना किनारे बसे मथुरा के सभी 67 गांवों में मुनादी पिटवाने का काम शुरू करा दिया है। लोगों को गांव छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए तैयार रहने केलिए कहा जा रहा है। इनमें मांट और महावन तहसील के 21-21, सदर तहसील के 20 और छाता के पांच गांव शामिल हैं। जबकि गोवर्धन तहसील इस संकट से दूर है।

आपदा एवं राहत कार्यों के प्रभारी अधिकारीअपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्वब्रजेश कुमार ने बताया कि पशुपालन अधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी को अभी से सभी प्रकार की तैयारियांकरने के निर्देश दिए गए हैं। तहसील कर्मी और क्षेत्रीय पुलिस बल लोगों को सतर्क करने में जुट गए हैं। यमुना किनारे की सभी 31 बाढ़ चैकियों को भी सक्रिय कर दिया गया है। यहां तैनात कर्मचारी यमुनापर नजर रखे हुए हैं।

इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा भी बाढ़ से जूझ रहे हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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