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मुखर कश्मीरी वकील बाबर क़ादरी की उनके श्रीनगर निवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई है 

नागरिक अधिकारों एवं क्षेत्रीय राजनीति में वकील के तौर पर अपनी पहलकदमियों के चलते वे सुर्ख़ियों में बने हुए थे और भारतीय समाचार चैनलों में चलने वाली टीवी डिबेट में वे नियमित तौर पर नजर आते थे।
बाबर कादरी के अंतिम संस्कार का दृश्य
श्रीनगर में बाबर कादरी के अंतिम संस्कार का दृश्य | चित्र साभार: कामरान यूसुफ़

श्रीनगर: हथियारबंद हमलावरों ने वकील सैय्यद बाबर क़ादरी को गुरुवार की शाम  श्रीनगर के हवाल इलाके में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इन दोनों हमलावरों ने हत्या को अंजाम देने से पहले इस 40 वर्षीय कश्मीरी वकील के निवास पर पहुँचने पर अपना परिचय एक मुवक्किल के तौर पर दिया था।

आईजीपी कश्मीर विजय कुमार के अनुसार क़ादरी को बेहद नजदीक से चार बार गोलियाँ मारी गई थीं, जिसके चलते उनकी फ़ौरन मौत गई थी। शेरे-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस के डाक्टरों का कहना है कि वे अस्पताल में मृत अवस्था में लाये गए थे। उनके आँख के पास और कंधे वाली जगह पर गोलियां लगी थीं।

आईजीपी कुमार के अनुसार “दोनों हमलावरों ने अपने चेहरों को ढक रखा था और उनके हाथों में फाइलें थीं। वे शाम के वक्त तकरीबन 6:20 पर सलाह-मशविरे के लिए पहुंचे थे और जब क़ादरी उनके समीप पहुंचे तो उन्होंने पिस्तौल निकालकर उनपर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। भागते वक्त उन्होंने हवा में भी गोलियां दागी थीं।”

पुलिस को संदेह है कि इस हमले को आतंकवादियों ने अंजाम दिया है, और इस मसले को “प्राथमिकता पर” लेते हुए एसपी हज़रतबल के नेतृत्वमें एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है। क़ादरी के पीछे उनके घर में उनकी पत्नी, दो बेटियाँ और बूढ़े माँ-बाप हैं। एक बहन समेत कुल चार भाई-बहनों में वे सबसे बड़े थे।

उनकी हत्या से घाटी के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी इस घटना पर व्यापक तौर पर निंदा हुई है। 

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श्रीनगर में बाबर क़ादरी के अंतिम संस्कार के दौरान| चित्र सौजन्य: कामरान यूसुफ़   

एक वकील के तौर पर नागरिक अधिकारों एवं क्षेत्रीय राजनीति पर उनके द्वारा ली जाने वाली पहलकदमी के चलते वे सुर्ख़ियों मे रहते थे, और भारतीय समाचार चैनलों में चलने वाली टीवी बहसों में वे नियमित तौर पर नजर आते थे। हालाँकि राज्य प्रशासन के साथ-साथ अलगाववादी नेताओं, इन दोनों के प्रति क़ादरी आलोचनात्मक रुख रखते थे।

 विशेष तौर पर सैय्यद अली गिलानी के वे कटु आलोचक थे और इस सम्बंध में वे अक्सर अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर पोस्ट एवं वीडियो साझा करते थे। अपनी मौत के करीब छह घंटे पहले ही उन्होंने वकील बिरादरी पर एक आधे घंटे की बातचीत साझा की थी और इसमें हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम की आलोचना करते हुए उनपर आरोप लगाये थे कि वे (क़यूम) अलगाववादियों के इशारे पर काम करते हैं।

इससे पूर्व 21 सितंबर के दिन कादरी ने कहा था कि उनके खिलाफ जो "गलत अभियान" चलाया जा रहा था, उसके चलते उनकी जिंदगी खतरे में है।अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि “मैं राज्य पुलिस प्रशासन से इस शाह नजीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आग्रह करता हूं जिसने मेरे खिलाफ भ्रामक अभियान चला रखा है कि मैं एजेंसियों के लिए काम करता हूं। इस गलत बयानी के चलते मेरी जिन्दगी खतरे में पड़ सकती है। @ZPHQJammu (sic)” 

आईजीपी कुमार ने इस सम्बंध में बताया है कि एक पुलिस अधिकारी, जो मृतक वकील के बहनोई भी हैं ने क़ादरी को इस बारे में चेताया भी था, और सुझाव दिया था कि वह हवाल के अपने भीड़भाड़ वाले इलाके से किसी बेहतर सुरक्षित जगह पर शिफ्ट हो जाएँ। 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि "उनकी जिंदगी खतरे में थी लेकिन वे अपने बहनोई के निवास बदलने के सुझाव को लेकर सहमत नहीं थे।"

कश्मीर विश्वविद्यालय  से उन्होंने अपनी कानून की डिग्री हासिल की थी। वहीं से वे अपने छात्र जीवन के दौरान छात्र राजनीति में भी सक्रिय तौर पर भाग लेते रहे थे। यहां तक ​​कि परिसर के भीतर भी कई बार उन्होंने व्यवस्था विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था। 2010 में किशोरों को न्याय दिलाने सम्बंधी मामले में केस लड़ने के चलते वे सुर्ख़ियों में आये थे।

क़ादरी को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के शेखपोरा के उनके पैतृक गांव में दफनाया गया। 

इससे पूर्व जमात-ए-इस्लामी (जेइएल) से वास्ता रखने के चलते (जो अब एक प्रतिबंधित संगठन है) उनके परिवार को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था। 

बाकी के अन्य जमाती कार्यकर्ताओं की तरह उनके पिता को भी 1990 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में श्रीनगर शहर में पनाह लेने के लिए विवश होना पड़ा था।

संयोग से क़ादरी के ससुर गुलाम कादिर वानी, जिन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल की हुई थी, की हत्या भी वर्ष 1998 में उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा इलाके में "अज्ञात बंदूकधारियों" द्वारा कर दी गई थी। वानी को अलगाववादी राजनीति में एक प्रभावशाली शख्शियत के तौर पर जाना जाता था, और उनके बारे में यह मान्यता थी कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना में उनकी अहम भूमिका थी।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Vocal Kashmiri Lawyer Babar Qadri Shot Dead at His Srinagar Residence

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