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जनगणना-2021में जाति-गणना के वादे से क्यों मुकर रही मोदी सरकार?

जनगणना में विभिन्न जातियों की संख्या आदि के आंकड़े सार्वजनिक न हों, इस पर कांग्रेस और भाजपा के बीच विचारों की ऐसी एकता क्यों है? #AajKiBaat के नये एपिसोड में जनगणना के इसी खास पहलू पर वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विचारोत्तेजक विश्लेषण:

सन् 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने वादा करके भी भारत की जनगणना-2011 में जातियों की गिनती नहीं कराई! जनगणना हो जाने के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय के मातहत एक सामाजिक आर्थिक सर्वे कराया गया, जिससे ओबीसी की संख्या का अंदाज लग सके. पर उस सर्वे के आंकड़े किसी को नहीं मालूम. सन् 2018 के उत्तरार्ध में केंद्र की भाजपा-नीत सरकार ने वादा किया कि आरक्षण और अन्य योजनाओं के मद्देनजर 2021 की जनगणना में ओबीसी की अलग से गिनती कराई जायेगी. पर कुछ समय पहले इसी सरकार की तरफ से साफ किया गया कि इस बार की जनगणना में भी ओबीसी या अन्य की अलग से गिनती नहीं होगी. जनगणना में विभिन्न जातियों की संख्या आदि के आंकड़े सार्वजनिक न हों, इस पर कांग्रेस और भाजपा के बीच विचारों की ऐसी एकता क्यों है? #AajKiBaat के नये एपिसोड में जनगणना के इसी खास पहलू पर वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विचारोत्तेजक विश्लेषण:

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