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यंग इंडिया : 'NPR-NRC नहीं शिक्षा, रोटी, कपड़ा और मकान चाहिए'

"इस मार्च का संदेश साफ़ था कि देश का नौजवान अमन, इंसाफ़, न्याय, शिक्षा, रोज़ी-रोटी, कपड़ा, मकान और रोज़गार चाहता है न कि NRC-NPR।"
यंग इंडिया

दिल्ली में बीते दिनों हुई हिंसा और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के ख़िलाफ़ एक मार्च में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे कई छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस ने कहा कि उनके पास संसद तक मार्च करने की इजाज़त नहीं थी। इस मार्च का आह्वान यंग इंडिया कोर्डिनेशन कमेटी ने किया था। इसमें विभिन्न छात्र संग‍ठनों के छात्र, युवा, शिक्षक और समाजिक संगठन के लोग शामिल थे। पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद भी सैकड़ों की संख्या में लोग जंतर मंतर पर एकत्रित हुए और अपना प्रतिरोध दर्ज कराया।

यंग इंडिया मार्च और छात्र संगठन आइसा के नेता एन साईं बालाजी ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि पुलिस दिल्ली में दंगा भड़काने वालों को तो रैली करने की इजाज़त देती है लेकिन जब छात्र अमन के लिए मार्च कर रहे हैं तो उन्हें रोक रही है। उन्होंने बताया, “हमने 27 फ़रवरी को अनुमति के लिए आवेदन किया था। हमें सोमवार को सूचित किया गया था कि इजात रद्द कर दी गई है। आख़िरी मिनट पर सूचित किया गया है।”

बालाजी ने कहा पुलिस के इस दमन के बाद भी यह प्रतिरोध जारी रहेगा। हम अब अपना विरोध जंतर मंतर पर करेंगे। इस मार्च में कई संगठनों के लोग और समाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इसमें भीम आर्मी के मुख्या चंद्रशेखर रावण, सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय, फिल्मकार आनंद पटवर्धन, जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आईशी घोष, उमर खालिद , एपवा की महासचिव कविता कृष्णन आदि शामिल हुए।

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श्वेता राज मज़दूर संगठन एआईसीसीटीयू की नेता जब सुबह करीब 11 बजे पहुंची तो पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में लेने प्रयास किया। लेकिन किसी तरह से  वहां से निकली और जंतर मंतर पहुंची। उन्होंने दिल्ली पुलिस के इस  पर हैरानी जताई और कहा दिल्ली में अब शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी गुनाह हो गया है।

चन्द्रशेखर आज़ाद ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि अन्याय करने वालो से अधिक चुप रहना वाले दोषी है। उन्होंने कहा हमने इस दिन के लिए आज़ादी कि लड़ाई नहीं लड़ी थी, लेकिन आज के हाल बहुत दुःखी करने वाले हैं। आज हम सड़क पर आ नहीं सकते विरोध नहीं कर सकते तो फिर कैसा लोकतंत्र?

उन्होंने दिल्ली में दंगा करने वालो की गिरफ्तारी की मांग की इसके साथ ही उन्होंने कहा साज़िश के तहत दिल्ली जली है। पुलिस कहती है कि हमारे सड़क पर आने से लॉ एंड ऑर्डर हो सकता है लेकिन दंगाई खुले आम दिल्ली में रैली करते हैं। चन्द्रशेखर ने प्रदर्शनकारियों के हौसले को सलाम किया और कहा अंतिम जीत हमारी होगी। अब हम पीछे नहीं हटेंगे।

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सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए पुलिस के रैवये पर सवाल उठाया और कहा आजकल पुलिस भाजपा कार्यकर्ता की तरह काम कर रही है। सरकार पुलिस का दुरपयोग कर रही है। लेकिन लोगो मै भी जज्बा कम नहीं है, यह आंदोलन तबतक चलेगा जब तक की सीएए- एनआरसी-एनपीआर वापस नहीं लिया जाता है।

फिल्मकार आनन्द पटवर्धन ने न्यूज़क्लीक से बात करते हुए कहा कि "दिल्ली पुलिस निष्पक्ष नहीं थी, कई जगह तो वह खुद दंगो में शामिल हुई".

इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली और केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया और कहा "दिल्ली में अब जो कहानियां आ रही हैं, वो बता रही हैं कि कहीं मुसलमानों ने हिन्दुओं को बचाया तो कहीं हिन्दुओं ने मुसलमान को।  लेकिन सरकार ने किसी को नहीं बचाया"।

दिल्ली विशवविद्यालय की छात्र अंग्या ने कहा कि " मैं इस प्रदर्शन में शामिल हुई क्योंकि दिल्ली में सरकार प्रायोजित हिंसा हुई। इसके खिलाफ़ अपना विरोध दर्ज करने के लिए यहां आई हूँ। क्योंकि छात्रों का इस समय एकजुट होना जरूरी है क्योंकि सबसे पहले हमला छात्रों पर ही शुरू हुआ था"।

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जेएनयू के छात्र चुनचुन ने बताया कि छात्रों पर बड़ी जिम्मेदारी है कि सरकार की गलत नीतियों की पोल खोले। क्योंकि अगर हम नहीं लड़े तो कौन लड़ेगा? हम किताबों में पढ़ते हैं कि देश धर्मनिरपेक्ष है ,लेकिन हम जमीन पर देखते है कि धर्म के नाम लोगो के साथ हिंसा की जाती है ।

दीपिका मै यहां इसलिए आयी हूं क्योंकि 70 दिनों से हम सड़क पर थे। लेकिन इस पर ध्यान देने के बजाय दिल्ली में एक राजनीतिक समूह ने हिंसा की, जिसके बाद दिल्ली ने एक दर्दनाक मंजर देखा। इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए हम यहां आए है ।

कन्नन गोपीनाथन भी यहां आये थे। उन्होंने भी इस आंदोलन के लिए सभी का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए इस तरह के कानून ला रही, जिससे लोग इस में उलझ जाए और कोई भी बेरोजगारी जैसे सवालों पर बात न करे ।उन्होंने नारा दिया कि बेरोजगारी के लिए कौन जिम्मेदार तो जनता ने कहा मोदी सरकार... इसके बाद उन्होंने कहा कि हम उनको अपनी जिम्मेदारी से भागने नहीं देंगे।"

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उमर खालिद ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि आज जिस तरह से पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मार्च से रोका, उससे लगता है कि वह पुलिस नहीं बल्कि गुंडों की तरह काम कर रही। आगे उन्होंने कहा कि जामिया में कोई गुंडा गोली चला जाता है, जेएनयू में गुंडे हमला करते हैं, दिल्ली में कई दिनों तक दंगा होता है लेकिन पुलिस कुछ नहीं करती है, अगर कुछ करती है तो दंगाइयों की मदद करती है।

उमर ने कहा "आज के इस मार्च का संदेश साफ़ था कि देश का नौजवान अमन, इंसाफ़, न्याय ,शिक्षा, रोटी, कपड़ा, मकान और रोज़गार चाहते हैं न कि NRC NPR चाहते हैं। वो हिंसा और दंगे नहीं चाहते हैं।  पिछले कई महीनों से देश में जिस तरह से हिंसा हो रही है, उसका प्रतिरोध करने के लिए ही नौजवान सड़कों पर उतर रहे हैं।"

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