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मसला सिर्फ MSP का नहीं, किसान और कृषि के वजूद का है!

खेती-किसानी का रूप और चरित्र बदलने के लिए लाये गये तीन विधेयकों के किसानों द्वारा भारी विरोध को सरकार ने दरकिनार कर दिया हैI विपक्ष की बड़ी पार्टियां भी इन विधेयको को रोकने पर बहुत गंभीर नहीं नजर आतींI अकालियों का विरोध जेनुइन कम, दिखावा ज्यादा नज़र आता हैI क्या ये विधेयक भारतीय कृषि क्षेत्र पर कॉर्पोरेट शिकंजा मज़बूत करेंगे? क्या इनसे आम किसान बेहाल होने के लिए अभिशप्त है? इसके अलावा 'हफ़्ते की बात' के इस एपिसोड में जम्मू-कश्मीर के शोपियां फ़र्ज़ी मुठभेड़ कांड और देश में कोरोना के मौजूदा कहर की चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश :

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