जातिय-धर्म आधारित हमलों के पीड़ितों का दर्द, उन्हीं की जुबानी
पिछले तीन सालों में भारत में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले हमलों में साल 2017 में वृद्धि हुई।
पिछले तीन सालों में भारत में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले हमलों में साल 2017 में वृद्धि हुई। इन भयावहताओं से बचने वाले परिवारों के लिए कोई कानूनी आश्रय नहीं मिल रहा है जैसे कि शब्बीरपुर हिंसा और आदिवासी और मुसलमानों की हत्याओं आदी के मामलों के लिए न्याय की आवाज उठाने की सख्त जरूरत है, जिनकी मांग पीड़ित परिवारों ने की।
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