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“जब तक जान है तब तक मैं अपने हक़ के लिए लड़ाई लडूंगी”

एक महिला सफाई कर्मी जिन्हें लाठीचार्ज में गंभीर चोट आई थी, वह फिर भी विरोध प्रदर्शन में डटी रहीं। उन्होंने कहा कि “मैं मरी तो नहीं, जब तक जान है तब तक मैं अपने हक़ के लिए लड़ाई लडूंगी।”
अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते सफाईकर्मी
Image Courtesy: NDTV

दिल्ली में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को अब एक महीना पूरा होने जा रहा है। मंगलवार को हड़ताल का 28वां दिन था। सफाई कर्मचारियों ने कल, सोमवार को संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया लेकिन उनकी वेतन की समस्या का समाधान नहीं हुआ। प्रधानमंत्री आवास की ओर कूच करने पर उन्हें लाठियां तो खानी पड़ीं लेकिन प्रधानमंत्री की ओर से उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया। मगर इस बार लगता है कि सफाईकर्मचारी आर-पार की लड़ाई की ठान कर आए हैं। 

पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के सफाई कर्मचारी 3 माह के वेतन व एरियर की अदायगी, 1998 से कार्यरत ठेका व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियो को नियमित किए जाने, रिटायरड कर्मचारी को ग्रेच्युटी के भुगतान, बच्चों के वजीफे की राशि का भुगतान इत्यादी मांगों को लेकर 12 सितम्बर, 2018 से हड़ताल पर हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार को 500-500 करोड़ रुपये तत्काल देने की सलाह दी थी। लेकिन केंद्र ने अपने हाथ खड़े कर दिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार के रैवये पर निराशा व्यक्त करते हुए सख्त टिप्पणी की।

मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा”

पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत हजारों सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर कल जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। लेकिन केन्द्र सरकार की पुलिस ने आंदोलनकारियों पर बेरहमी के साथ लाठीचार्ज किया। जिसमें महिलाएं व पुरुष सभी को बुरी तरीके से पीटा गया। इससे अनेक कर्मचारी घायल हुए। इस सबके बाद भी वहाँ आए कर्मचारियों ने अपना आन्दोलन जारी रखने की बात कही।

एक महिला जिन्हें लाठीचार्ज में गंभीर चोट आई थी, वह फिर भी विरोध प्रदर्शन में डटी रहीं। उन्होंने कहा कि “मैं मरी तो नहीं, जब तक जान है तब तक मैं अपने हक़ के लिए लड़ाई लडूंगी।”

एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय गहलौत ने कहा, "हमसे ईडीएमसी और दिल्ली सरकार ने कई बार झूठे वादे किये हैं।"

उन्होंने कहा "हमारी कुछ मांगें हैं जिसके लिए हम प्रदर्शन कर रहे हैं। ये मांगें हैं- अस्थायी श्रमिकों को स्थायी बनाया जाना चाहिए,बिना किसी देर बकाया भुगतान,समय पर पेंशन और चिकित्सा सहायता दी जानी चाहिए। हमनें कई बार आंदोलन किया है लेकिन,इस बार हमें यकीन है कि हम अपनी मांगें पूरी होने तक अपनी हड़ताल और आंदोलन जारी रखेंगे। हर साल हमें झूठी उम्मीदें दी जाती हैं कि वे हमारी मांगों पर काम करेंगे, लेकिन कुछ नहीं होता है।

एक आंदोलनकारी ने आरोप लगाया कि "हम काम करते हैं जहां हम अपने स्वास्थ्य को जोखिम डालते हैं और कोई उचित चिकित्सा सहायता नहीं  मिलती है। मुझे अपना वेतन भी नहीं मिला है। हम अपने परिवार कैसे चलाएंगे?  सरकार कई चीजों का वादा कर रही है, लेकिन जमीन पर वे कुछ भी नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारी आवाजें सुनी जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें 12 साल तक स्वच्छता कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद भी स्थायी नहीं बनाया गया है।

इस सबके बीच एक बड़ा सवाल यह भी उठा कि कल जब प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही थी तब वहाँ एक भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी। कई वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारी महिलाओं को पिट रहे हैं। इसे लेकर भी संगठनों ने गुस्सा जताया।

सीटू ने कर्मचारियों की मांग का समर्थन किया

प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की सीटू (CITU) दिल्ली राज्य कमेटी ने कड़े शब्दों में निंदा की है और इसे केंद्र की मोदी सरकार की कर्मचारी विरोधी, दलित विरोधी नीति बताया है। सीटू ने दोषी पुलिसकर्मियों व अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सीटू नेताओं ने कहा कि इन हालात के लिए भाजपा नियंत्रित नगर निगम व उनके ऊपर बैठी केन्द्र सरकार पूर्ण रूप में जिम्मेदार हैं। स्वच्छता अभियान के सिपाहियों के साथ इस सलूक ने मोदी सरकार का असली चेहरा सामने ला दिया है।

केंद्र सरकार ने पैसे देने से किया इंकार

केंद्र सरकार ने कल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर जानकारी दी कि हम किसी भी नियम के तहत निगम को पैसा देने के लिए बाध्य नहीं हैं। जिस पर न्यायलय ने सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार का सफाई कर्मचारियों के भुगतान के लिए 500 करोड़ रुपये देने से मना करना दुर्भाग्यपूर्ण और दु:खद है। अब इस मामले की सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।

वहीं दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट को दिए वादे के अनुसार वह अपने हिस्से के 500 करोड़ उसी दिन जारी कर चुकी है।

भाजपा और आप का एक-दूसरे पर दोषारोपण जारी

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट कर भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार से सवाल किये। उन्होंने कहा कि ‘पिछले हफ्ते, उच्चतम न्यायालय की सलाह पर दिल्ली सरकार ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को 500 करोड़ रुपये दिए। आज केंद्र ने उच्चतम न्यायालय की सलाह के बावजूद 500 करोड़ रुपये देने से मना किया जबकि केंद्र का एमसीडी को 5000 करोड़ रुपये देना बनता है। क्या भाजपा की दिल्ली के प्रति यही जिम्मेदारी है? फिर दिल्ली वाले आपको लोकसभा चुनाव में क्यों वोट दें?’’

दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि केंद्र को नगर निगमों को 5000 करोड़ रुपए देने हैं। उनके अनुसार केंद्र सरकार देश के हर नगर निगम को प्रति व्यक्ति 450 रुपये देती है और इस हिसाब से दिल्ली का केवल पिछले पांच वर्षों में 5000 करोड़ बनता है परन्तु वो नहीं दे रही है।

केजरीवाल ने एक अन्य ट्वीट में केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘कुछ अमीर लोगों के कर्ज  माफ करने होते तो ये तुरंत कर देते, लेकिन नगर निगम के गरीब सफाई कर्मचारियों को पैसे नहीं दे रहे हैं।’

इसके अलावा भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पूरी दिल्ली में निगम चुनाव के दौरान केंद्र से निगम के लिए फंड लाने की बात कही थी इस पर भी आम आदमी पार्टी उनसे जवाब मांग रही है। इसका जवाब देते हुए मनोज तिवारी ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को दिल्ली नगर निगम के लिए 10 हज़ार करोड़ का फंड दिया है।

लेकिन वो अपने इस दावे को लेकर फंस गए हैं, इसके तुरंत बाद आम आदमी पार्टी ने इसके जवाब कुछ तथ्यों को सार्वजनिक कर किया जिसमें उन्होंने बताया कि केंद्र ने 775 करोड़ आबंटित किये थे उसमें से 450 करोड़ तो सामान्य केन्द्रीय एसिस्टेंस के रूप में दिया गया था, केवल 325 करोड़ अनुदान के रूप में मिले।  इस पर कटाक्ष करते हुए केजरीवाल ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष केंद्र से कहे कि वो सीधे ये 10 हज़ार करोड़ नगर निगम को दे दें  तब तो निगम हम से कोई पैसा नहीं मांगेगा।

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