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जम्मू-कश्मीर को लेकर राजनीति तेज़, राज्यपाल का फैसला सवालों के घेरे में

राज्यपाल के फैसले के अलावा अगर कोई सबसे ज्यादा विवादों में है तो वो है राज्यपाल भवन की फैक्स मशीन। ये दिलचस्प है कि देश की राजनीति में अब तक ईवीएम विवादों में थी और बीजेपी पर इसके दुरुपयोग का आरोप लग रहा था और बिल्कुल इसी तरह फैक्स मशीन भी सवालों के घेरे में आ गई है।
Governor Satya pal malik

जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को राज्य विधानसभा को भंग करने के अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का महागठबंधन 'अवसरवादी' था। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "सदन को भंग करने का निर्णय जम्मू एवं कश्मीर के संविधान के अंतर्गत लिया गया। जम्मू एवं कश्मीर के मामले में, मुझे संसद से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है और मुझे केवल इस निर्णय के बारे में राष्ट्रपति को सूचित करने की जरूरत थी।"

आपको बता दें कि बुधवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने का दावा किया था। इसके बाद पीपुल्स कांफ्रेंस नेता सज्जाद लोन ने भी भाजपा और पीडीपी के बागी विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने के दावा किया। इसके बाद बीती रात नाटकीय घटनाक्रम में राज्यपाल ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया। राज्यपाल के इस फैसले की सभी विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रही हैं और इसे असंवैधानिक बता रही हैं। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ये कदम उठाया। 

पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने देर शाम राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है।

महबूबा ने राज्यपाल (जो शादी समारोह में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ में थे) को भेजे पत्र में लिखा, "चूंकि मैं श्रीनगर में हूं। इसलिए तुरंत आपसे मिलना संभव नहीं होगा। इसलिए हम सरकार बनाने के दावे के लिए आपकी सुविधा के मुताबिक आपसे जल्द मुलाकात का समय मांगते हैं।"

महबूबा का कहना था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके 29 सदस्य हैं। उन्होंने  सोशल  मीडिया  के  माध्यम  से  लिखा, 'आपको मीडिया  के  द्वारा पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।

आपको बता  दे  कि  विधानसभा  में  बहुमत  के  लिए  44  सीटें  चाहिए। 

महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर  पर  बताया  कि   उन्होंने  गवर्नर  के  दफ्तर  में  सरकार  बनाने  के  सन्दर्भ  में   फैक्स  भेजा  था  पर  वहाँ  से  कोई  जवाब  नहीं  मिला। उधर मीडिया में खबर है कि  राज्यपाल  का  कहना  था  कि  उनके  ऑफिस  की  फैक्स  मशीन  ख़राब  हो  गयी  थी।

विधानसभा भंग होने से पहले पूर्व वित्त और शिक्षा मंत्री अल्ताफ बुखारी के पीडीपी-नीत गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा चल रही थी।

राज्यपाल  सत्यपाल  मालिक  ने  विधानसभा  भंग  करने  के  जो कारण  बताये  हैं उनमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के साथ दूसरा प्रमुख कारण परस्पर विरोधी राजनीतिक  विचारधारा वाले दलों के गठबंधन का अवसरवादी होना बताया है। राज्यपाल को लगता है कि दो विरोधी दलों के एक साथ आने राज्य में स्थिर सरकार नहीं बन सकती।

गवर्नर  के इस  बयान  पर  गौर  करने  की  ज़रूरत है क्योंकि बीजेपी  और  पीडीपी  आपस  में  धुर  विरोधी  पार्टियां  थीं  लेकिन  उनको   मिलकर  सरकार  बनाने  की  अनुमति  मिल  गयी  थी। इसके अलावा बिहार में भी जिस जेडीयू ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़कर आरजेडी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई थी, उन्हें अलग करके बीजेपी ने जेडीयू के साथ सरकार बनाने से कोई परहेज़ नहीं किया।  

इसके अलावा मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अभी कुछ दिन पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि ''अभी  उनका विधानसभा  भंग  करने  का  कोई  इरादा  नहीं  है  इससे  बहुत सारे  सिविक  मुद्दे  प्रभावित  हो  सकते  है।''

ऐसे बयान के बाद भी आनन-फानन में विधानसभा भंग करना कई सवाल पैदा करता है। समझा जा रहा है कि ये पूरा मामला कोर्ट में ले जाया जा सकता है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) नेता उमर अब्दुल्ला ने अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किए जाने को चुनौती देने का फैसला पीडीपी पर निर्भर है।

मीडिया से बातचीत करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि "हमने राज्यपाल को कोई पत्र नहीं भेजा। राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने का प्राथमिक निर्णय पीडीपी पर निर्भर है।"

नेशनल कांफ्रेंस ने भाजपा महासचिव राम माधव की इस टिप्पणी पर कड़ी नाराजगी जताई कि नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी ने शहरी स्थानीय निकाय के चुनावों का बहिष्कार पाकिस्तान के इशारे पर किया था और अब वे पाकिस्तान के निर्देश पर गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि हमें पाकिस्तान से निर्देश मिले हैं। मैं राम माधव व उनके सहयोगियों को साक्ष्य के साथ इसे साबित करने की चुनौती देता हूं।"

उन्होंने कहा, "आरोप को साबित करें या फिर माफी मांगने की क्षमता रखें। निशाना लगाकर भाग जाने की राजनीति नहीं करें।"

भाजपा महासचिव ने यह आरोप बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा राज्य विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग किए जाने से घंटे भर पहले एक साक्षात्कार में लगाए थे।

राम माधव ने उमर की चुनौती के जवाब में कहा "उमर अब्दुल्ला, आपकी देशभक्ति को लेकर कोई सवाल नहीं है। लेकिन अचानक से एनसी व पीडीपी के बीच प्यार व सरकार बनाने को लेकर जल्दबाजी से कई संदेह पैदा हुए हैं। आपको ठेस पहुंचाने की कोई मंशा नहीं है।"

उधर, कांग्रेस ने भी इस पूरे प्रकरण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मीडिया से कहा, "जिस तरह से राज्यपाल ने अवैध व असंवैधानिक रूप से विधानसभा भंग किया, उसकी हम कड़ी निंदा करते हैं।"

उन्होंने कहा, "राज्यपाल ने संविधान के साथ खिलवाड़ किया है और प्रधानमंत्री व प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के इशारे पर ऐसा किया है।"

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी ट्विटर के जरिए राज्यपाल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र का वेस्टमिंस्टर मॉडल (लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली) पुराना हो गया है। अन्य मामलों की तरह, यह गुजरात मॉडल है, जो जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल को पसंद आया है।"

फैक्स मशीन का विवाद

राज्यपाल के फैसले के अलावा सबसे ज़्यादा विवादों में रही राज्यपाल भवन की फैक्स मशीन। हर कोई इसपर सवाल उठा रहा है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का कहना है कि उनकी पार्टी ने राजभवन को 56 विधायकों के समर्थन का फैक्स भेजा था, लेकिन वह राजभवन नहीं पहुंचा।

महबूबा के बयान के बाद अब्दुल्ला ने व्यंग्यात्म लहजे में कहा कि यह पहली बार है कि राज्यपाल कार्यालय में फैक्स मशीन ने काम नहीं किया और लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार बन गई। उन्होंने कहा, "राज्यपाल कार्यालय की फैक्स मशीन वन वे है, इससे फैक्स सिर्फ बाहर जा रहा है, आ नहीं रहा है। यह विशेष फैक्स मशीन है और इसकी जांच होनी चाहिए।"

ये दिलचस्प है कि इन कुछ सालों में ईवीएम विवादों में थी और बीजेपी पर चुनावों में ईवीएम के दुरुपयोग का आरोप लग रहा था और अब जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में फैक्स मशीन भी सवालों के घेरे में आ गई है।  

(इनपुट आईएएनएस)

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