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झारखण्ड : 'हम नक़ाब पहने हुए हैं तो क्या हम आतंकवादी हैं?'

काले रंग और नक़ाब से डर के अलावा मोदी की जमशेदपुर की सभा में एक और दिलचस्प चीज़ देखने को मिली, वह यह कि बीजेपी समर्थक ही राज्य सरकार की आलोचना करते नज़र आए। उन्होंने कहा, "जब भी बात होती है तो रघुबर दास केंद्र की योजनाओं को गिनाना शुरू कर देते हैं। हमने उसके लिए छह महीने पहले ही वोट दे दिया था। अब राज्य की बारी है।"
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'हमें मोदी की रैली में आने से रोका गया। हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं लेकिन क्या हमारी कोई इज़्ज़त नहीं है। हम नक़ाब पहने हुए हैं तो क्या हम आतंकवादी हैं। हमें लाइन से हटा दिया गया। हमें रैली में जाने से रोका गया है। हम तो चाह रहे थे कि मोदी से मिलकर उनसे हाथ मिलाए लेकिन हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।'

ये कहना था झारखण्ड के जमशेदपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली में हिस्सा लेनी आई मेहरुन्निसा का। मेहरुन्निसा मुस्लिम महिलाओं के एक समूह के साथ बीजेपी की रैली में हिस्सा लेने आईं थी लेकिन काला कपड़ा यानी नक़ाब पहने होने के चलते उन्हें ग्राउंड के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। हालांकि ऐसा सिर्फ़ मुस्लिम महिलाओं के साथ ही नहीं हो रहा था। काले रंग से डर इस क़दर था कि मोदी की रैली में शामिल होने आए ज्यादातर लोगों को किसी भी तरह का काला कपड़ा ले जाने से रोका गया। रैली कवर करने गए न्यूज़क्लिक की टीम के सदस्य को भी अपना शर्ट चेंज करना पड़ा। आपको मालूम हो कि काला रंग विरोध का प्रतीक माना जाता है। और शासन-प्रशासन किसी विुरोध का ख़तरा मोल लेना नहीं चाहता था। जहां तक सुरक्षा का सवाल था तो सुरक्षा के हवाले से पेन ले जाने तक की मनाही थी।

हालांकि बाद में जब यह मामला ज्यादा बढ़ा तो बीजेपी नेताओं और प्रशासन ने मुस्लिम महिलाओं को अंदर जाने की अनुमति दी। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की नेता फातिमा शहीन ने बताया कि पहले काला कपड़ा पहने किसी भी व्यक्ति को रैली में जाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए ऐसा मामला हुआ। ये ज्यादातर महिलाएं मेरे साथ ही आई थी।

फिलहाल जमशेदपुर में हुई इस रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन में प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि झारखण्ड में उतनी तेजी से मौसम भी नहीं बदलता था, जितनी तेजी के साथ मुख्यमंत्री बदल जाते थे। उन्होंने इसके लिए कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को जिम्मेदार ठहराया।

मोदी ने चुनावी रैली में कहा, ‘आजादी के बाद से हिंदुस्तान के हर कोने में जम्मू कश्मीर और 370 की चर्चा चल रही थी। संविधान में 370 को अस्थायी लिखा था, लेकिन एक टोली उसे स्थायी बनाने में जुटी थी, कोई उसे हाथ लगाने को तैयार नहीं था, लेकिन देश की जनता ने मोदी को कठोर निर्णय लेने के लिए भेजा है। मैं राजनीति के हिसाब किताब नहीं करता हूं मैं सिर्फ देशनीति को देखता हूं। इसलिए दशकों से लटका 370 खत्म हो सका।’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने पहले षड्यंत्र करके राम जन्मभूमि मामले को उलझाया, लटकाया और अपनी राजनीति के लिए उसका उपयोग किया। लेकिन आज इतना बड़ा मामला शांति से निपट गया। हर समाज ने उसका स्वागत किया और भाईचारा मजबूत हुआ। यही तो राम जी की ताकत है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने अपनी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में झारखण्ड की रेल परियोजनाओं के लिए सिर्फ 2 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे जबकि भाजपा सरकार पिछले पांच वर्ष में इसका 5 गुना अर्थात 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक झारखण्ड को रेल परियोजनाओं के लिए दिये।

मोदी ने झारखण्ड सरकार के तारीफ के कसीदे पढ़ें लेकिन रैली में आए तमाम बीजेपी समर्थक ही इससे संतुष्ट नजर नहीं आ रहे थे। उनका कहना था कि रघुबर सरकार तमाम मोर्चों पर नाकाम रही है।

रैली में आए बीजेपी समर्थक आरके सिन्हा ने कहा,'हमें केंद्र की सरकार से समस्या नहीं है। रघुबर दास अपने काम के बारे में बताए। कानून व्यवस्था, मॉब लिचिंग, भूख से मौत, किसान, बेरोजगारी, अनुबंधकर्मियों की समस्या को निपटने के लिए उन्होंने क्या किया? जब भी बात होती है तो रघुबर दास केंद्र की योजनाओं को गिनाना शुरू कर देते हैं। हमने उसके लिए छह महीने पहले ही वोट दे दिया था। अब राज्य की बारी है। मेरे ख्याल से यहां लड़ाई इतनी आसान नहीं हैं। रघुबर दास कई मोर्चों पर फेल हुए हैं।'

कुछ ऐसा ही कहना 20 वर्षीय युवा मुकेश कुमार का था। बीजेपी सरकार का काम पूछे जाने पर वो राम मंदिर, अनुच्छेद 370, शौचालय और आयुष्मान भारत जैसे तमाम काम गिनाने लगते हैं लेकिन जब रोजगार को लेकर सवाल पूछा जाता है तो वे कहते हैं, 'हम यह नहीं कह रहे हैं कि सरकार ने सभी मोर्चों पर बेहतर काम किया है। रोजगार एक बड़ी समस्या है। नौकरी नहीं है। अगली सरकार को रोजगार और पढ़ाई के मोर्चे पर काम करना चाहिए। अगर नौकरी नहीं मिलेगी तो हम खाएंगें क्या? मुझे लगता है सरकार को इस दिशा में ज्यादा सोचना चाहिए। रघुबर सरकार इस मोर्चे पर बुरी तरह से फेल रही है।'

इसी तरह रैली में आए श्यामा प्रधान भी रघुबर सरकार की तारीफ के साथ कमियां गिनाते हैं। मजेदार बात यह है कि रैली में रघुबर सरकार के काम के बारे में पूछे जाने पर ज्यादातर एक पैटर्न का रटा रटाया जवाब मिलता है। उसमें अनुच्छेद 370, राम मंदिर, स्वच्छ भारत अभियान, उज्जवला योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का जिक्र होता है लेकिन जब मुद्दों पर सवाल पूछा गया तो वही कार्यकर्ता कई मोर्चों पर सरकार के असफल होने की बात करने लगते थे। जैसे बीजेपी कार्यकर्ता श्यामा प्रधान बताते हैं,'कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति, महिलाओं की सुरक्षा, मॉब लिचिंग, भूख से लगातार हो रही मौत, बढ़ती बेरोजगारी, किसानों की मूलभूत समस्याएं, राज्य के अनुबंधकर्मियों के साथ हो रहा बुरा सलूक चिंता का विषय है। राज्य सरकार इनसे निपट नहीं पाई है।'

आपको बता दें कि जमशेदपुर में खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर पूर्वी सीट से उम्मीदवार हैं जिन्हें उन्हीं के मंत्रिमंडल के सदस्य रहे सरयू राय भ्रष्टाचार के मुद्दों पर चुनौती दे रहे हैं। जबकि खूंटी से भाजपा ने रघुवर दास मंत्रिमंडल में मंत्री रहे नीलकंठ सिंह मुंडा को एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है।

झारखण्ड विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण से पहले भी प्रधानमंत्री मोदी ने 25 नवंबर को दो बड़ी चुनावी सभाएं की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने डाल्टनगंज और गुमला में चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। झारखण्ड में पांच चरणों में कुल 81 सीटों के लिए चुनाव हो रहा हैं।

पहले चरण के लिए 13 सीटों पर 30 नवंबर को मतदान हुआ था जबकि दूसरे चरण में सात दिसंबर को, तीसरे चरण के लिए 12 दिसंबर को, चौथे चरण के लिए 16 दिसंबर को और पांचवें एवं अंतिम चरण के लिए 20 दिसंबर को मतदान होगा। मतगणना 23 दिसंबर को की जाएगी।

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