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"मेरा बच्चा काम पर जाया करता था, अब उसको पागल कैसे कहिएगा भैया!"

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मॉब लिंचिंग में मारे गए लोगों को लेकर शर्मनाक बयान दिया है, जिसने पीड़ित परिवारों को नया ज़ख़्म दे दिया है। विपक्ष ने भी इसकी निंदा की है। सभी ने उनसे माफी की मांग की है।
mob lynching

झारखंड में बीते पांच साल में मॉब लिंचिंग से हुई मौत के अधितकर मृतक विक्षिप्त थे। सरल भाषा में कहें तो मृतक मानसिक रूप से कमजोर थे। इन्हें चोर होने के संदेह में भीड़ के द्वारा इतना पीटा गया कि वे मर गए।

ऐसा कहना है झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में मॉब लिंचिंग के सवाल पर ये बात कही।

मुख्यमंत्री रघुवर दास के मुताबिक- झारखंड में 20-21 मौत जो मॉब लिचिंग से हुई हैं उसके एक-दो मामले को छोड़ दें, तो सभी विक्षिप्त थे। और उन्हें चोर होने के शक में मार दिया गया।

जवाब के आगे की लाइन में मुख्यमंत्री ने कहा है, “मॉब लिंचिंग गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए। कानून को हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। इसे राजनीतिक एजेंडा नहीं बनना चाहिए और न ही लिंचिंग के मामले को हिंदू मुस्लिम के नजरिए से देखना चाहिए।”

हालांकि ख़बरों की मानें तो धनबाद जिला के निरसा में बच्चा चोरी नाम पर इसी साल छह सितंबर को भीड़ के द्वारा एक अर्ध विक्षिप्त व्यक्ति को पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई। लिचिंग के मामले में ये एक मात्र ऐसी एक ख़बर और घटना देखने सुनने के मिलती है।

लेकिन मुख्यमंत्री के मुताबिक मॉब लिंचिंग में मारे गए 19-20 लोग विक्षिप्त थे, ऐसी कोई भी बात इनके मामले में दर्ज हुई एफआईआर में नहीं मिलती है। और न ही पीड़ित परिवार की तरफ से कभी कोई ऐसी बात कही गई है। यहां तक कि संबंधित थानों की पुलिस प्रशासन ने भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, और न ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने। लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मॉब लिंचिंग के मृतकों को विक्षिप्त बताकर झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिंचिंग का मुद्दा बदलने की कोशिश की है।

बीते कुछ सालों से झारखंड में मॉब लिंचिंग का मुद्दा काफी सुर्खियों में रहा है। विपक्षी राजनीतिक दलों ने इसे लेकर राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक भाजपा की सरकार को घेरा है। झारखंड में एक के बाद इस तरह की कई घटनाएं हुई हैं। पांच साल में यहां अबतक 21 लोगों को उन्मादी भीड़ के द्वारा इतना पीटा जाता है कि उनकी मौत हो जाती है।

परिवार का अपमान और माफी की मांग

राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के बयान की निंदा की है। साथ ही मांग की है कि उन्हें अपने विक्षिप्त वाले बयान पर मृतकों के परिवार से माफी मांगना चाहिए। झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा, “सीएम का बयान निंदनीय है। उनसे (सीएम) कोई पूछे कि बालूमाथ में जिन दो लोगों को मारकर लटका दिया था क्या वे विक्षिप्त थे। क्या रामगढ़ के अलमीउद्दीन अंसारी  विक्षिप्त थे। या फिर पूर्वी सिंहभूम में बच्चा चोरी के नाम पर हुई आधा दर्जन हत्याएं। वो बताएं तबरेज़ अंसारी विक्षिप्त थे। क्या ये सारे लोग विक्षिप्त थे। मुख्यमंत्री को पता भी है कि वो क्या बोल रहे हैं। किस तरह की भाषा बोल रहे हैं। मेरे हिसाब से यह कोई सामान्य व्यक्ति का बयान नहीं हो सकता है।”

अलीमउद्दीन अंसारी के मामले में दर्ज एफआईआर.jpg

सुप्रीयो भट्टाचार्य का मानना है कि मृतकों को विक्षिप्त के कैटेगरी में गिना जाना पीड़ित परिवारों का अपमान है और इसके लिए मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए।

ऐसी ही मानना झारखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रमेश्वर उरांव का भी है। रमेश्वर उरांव ने सीएम के बयान को सरासर गलत बताया है। वो कहते हैं, “मुख्यमंत्री को ये कहां से ज्ञान आया कि मॉब लिंचिंग के मृतक विक्षिप्त थे। सीएम कैसे कह सकते हैं कि मृतक विक्षिप्त थे। वे कौन हैं ये कहने वाले, क्या वे मनोचिकित्सक हैं या फिर उन्होंने इसकी जांच की है। सीएम ने ऐसा कहकर मृतक के परिवार का अपमान किया है। हमारी पार्टी सीएम के इस बयान का निंदा करती है।”

झारखडं में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर फैक्ट फाइंडिंग करने वाली संस्था झारखंड जनाधिकार महासभा की रिपोर्ट के मुताबिक, गौकशी, बच्चा चोरी, धार्मिक उन्माद के नाम पर ही भीड़ के द्वारा लोगों को मारा गया है।

झारखंड जनाधिकार महासभा से जुड़े संगठन यूनाइटेड मिली फोरम के सचिव अफजल अनीस का कहना है कि सीएम का बयान एकदम गलत है। हमलोगों ने अपनी फैक्ट फाइंडिंग में किसी भी केस में ऐसी कोई बात नहीं पायी है। इस मामले जितने भी एफआईआर दर्ज हुए हैं, उसमें भी ये बात नहीं है। लिंचिंग के सभी मृतक हम-आप जैसा ही नॉरमल लाइफ जी रहे थे। वे सब काम करते थे और अपना बिजनेस चलाते थे। सीएम को अपने बयान पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए।

मुख्यमंत्री बोल रहे हैं तो सही है : भाजपा

जहां सभी सीएम के बयान की आलोचना कर रहे हैं वहीं झारखंड की भाजपा इकाई को सीएम रघुवर दास के विक्षिप्त वाले बयान में कुछ भी गलत नहीं लग रहा है। इसपर झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा, “मुख्यमंत्री बोल दिये, तो वह फूल एंड फाइनल हो गया। इसपर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। हमलोग तो मुख्यमंत्री के बिहाफ में ही बोलते हैं न, तो सही है। मुख्यमंत्री बोल रहे थे तो उनके पास कोई रिपोर्ट आई होगी। उसी के आधार पर बोल रहे होंगे।”

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मृतकों के परिवार सीएम के बयान जताया एतराज

इंटरव्यू में मुख्यमंत्री रघुवर दास लिंचिंग के सवाल पर एक तरफ कहते हैं कि लिचिंग को हिंदू मुस्लिम के नजरिए से नहीं देखना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ लिंचिंग में मारे गए लोगों को विक्षिप्त बताकर वो वर्गीकृत भी करते हैं।

विक्षिप्त वाले बयान को लेकर कई मृतकों के परिवार ने नाराजगी जाहिर की है। इन लोगों ने सीएम के बयान गलत बताया है।

मृतक तबरेज़ अंसारी (17 जून 2019), जिला सरायकेला खरसावा

तबरेज अंसारी के चाचा मोहम्मद मसरूर आलमः तबरेज की दिमागी हालत बिल्कुल ठीक थी। वो पुणे में काम किया करता था, दो महीना पहले ही गांव आया था। हाल ही में उसकी शादी हुई थी। सीएम साहब ने अगर ऐसा कहा तो गलत कहा है।

मृतक मज़लूम अंसारी (18 मार्च 2016), जिला लातेहार

मज़लूम अंसारी की पत्नी सायरा बीबीः मेरे शौहर, छह बच्चों और अपने मां-बाप की देखरेख करते थे, पूरा घर वही चलाते थे। उनके जाने के बाद भुखमरी तक की हालत आ गई। क्या ऐसा आदमी पागल हो सकता है। सीएम गलत बोल रहे हैं।

मृतक प्रकाश लकड़ा (10 अप्रैल 2019), जिला गुमला

प्रकाश लकड़ा के दमाद सूरज कोहलीः प्रकाश लकड़ा मेंटली और फिजिकली दोनों ही तरह से फिट थे। वो बाजार हाट में दुकान लगाया करते थे, या फिर दिहाड़ी मजदूरी करते थे। ऐसे लोगों को विक्षिप्त कहना कहीं से भी सही नहीं है।

मृतक रमेश मिंज (19 अगस्त 2017), जिला गढ़वा

रमेश मिंज की पत्नी अनीता मिंजः वही (पति) गाड़ी चलाकर परिवार पोसते थे। उनकी मौत के बाद काफी परेशानी हो रहा है। वो एक अच्छे इंसान थे। वो पागल नहीं थे। आप गांव में किसी से भी पूछ लीजिए।

मृतक अलीमुद्दीन अंसारी ( 27 जून 2017), जिला रामगढ़

अलीमउद्दीन अंसारी की पत्नी मरियम खातूनः मेरे पति बिलकुल भी पागल नहीं थे। कोई भी उन्हें पागल कहता है तो वो बिल्कुल गलत है। बल्कि कहना वाला ही पागल हो सकता है।

मृतक गौतम वर्मा, विकास वर्मा, रामसखी देवी (18 मई 2017), जिला इस्ट सिंहभूम

गौतम, विकास के भाई और रामसखी देवी के पोते उत्तम वर्माः मेरे एक भाई ने बीसीए और दूसरे ने बीए कर रखा था। ये बिजनेस में लगे थे।

इधर कई दिनों प्राइवेट जॉब भी सर्च कर रहे थे। हमारी दादी बिलकुल ठीक-ठाक थी। मुख्यमंत्री जी का बयान सरासर गलत है। मैं उनके बयान को चैलेंज करता हूं।

मृतक इम्तेयाज खान (18 मई 2016), जिला लातेहार

इम्तेयाज की मां नजमा बीबीः मेरा बेटा एकदम ठीक था। मेरे शौहर का पैर टूट गया था, तो उनकी जगह पर काम करने मेरे बच्चा जाया करता था। अब उसको पागल कैसे कहिएगा भैया।

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