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किसान आंदोलन से बौखलाई ताकतों ने किया बुलंदशहर कांड!

“अयोध्या अभियान की विफलता और किसान आंदोलन की सफलता से बौखलाई सांप्रदायिक शक्तियों ने ही बुलंदशहर कांड किया है, क्योंकि अभी राजस्थान भी बचाना है।”
bulandshahar

पश्चिम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सोमवार, 3 दिसंबर को गौकशी के नाम पर हुई इंस्पेक्टर की हत्या और बवाल के पीछे राजनीति के जानकारों को यही मकसद साफ नज़र आ रहा है कि अयोध्या अभियान की विफलता और किसान आंदोलन की सफलता से सांप्रदायिक शक्तियां बौखला गई हैं। और अभी 6 दिसंबर तक और सावधान रहने की ज़रूरत है। हो सकता है कि इस माहौल को और बिगाड़ने की कोशिश की जाए, क्योंकि राजस्थान को भी बचाना है। राजनीति के जानकारों को साफ दिख रहा है कि राजस्थान बीजेपी के हाथ से जा रहा है।

बुलंदशहर की साज़िश बहुत बड़ी थी। इंस्पेक्टर स्याना सुबोध कुमार सिंह तो निशाने पर थे ही, कोशिश ये थी कि कथित गौकशी को बुलंदशहर में चल रहे मुस्लिमों के धार्मिक कार्यक्रम इज़्तमा से जोड़कर इसे बड़ा रूप दे दिया जाए। ताकि इसकी गूंज 2019 के चुनाव तक सुनाई दे। ये हादसा टल गया वरना वाकई बहुत नुकसान होता। तीन दिन (1 से 3 दिसंबर) के इस इज़्तमा में देशभर से लाखों मुस्लिम शामिल हुए थे और अब लौटना शुरू हुए थे। इसी दौरान बुलंदशहर के स्याना में गौकशी के नाम पर बवाल कर बुलंदशहर-गढ़मुक्तेश्वर मार्ग पर जाम लगा दिया गया। बड़ी संख्या में इज़्तमा से लौटते लोग इसी जाम में फंस गए। इसी दौरान एसडीएम स्याना अविनाश कुमार और सीओ स्याना एसपी शर्मा के साथ भीड़ को समझाने इंस्पेक्टर स्याना सुबोध कुमार सिंह भी मौके पर पहुंचे और उसके कुछ ही देर बाद इंस्पेक्टर स्याना की मौत की ख़बर आ गई।

इंस्पेक्टर सुबोध ने की थी अख़लाक कांड की जांच

यहां यह बात ध्यान रखने की है कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह वही पुलिस वाले हैं जिन्होंने दादरी के बिसाहड़ा में हुए अख़लाक हत्याकांड की जांच की थी और कथित गौरक्षकों को गिरफ्तार किया था। बुजुर्ग अख़लाक को भी भीड़ ने गोहत्या की अफवाह पर मार डाला था। जानकारों का मानना है कि इसी वजह से इंस्पेक्टर सुबोध कथित हिन्दुत्ववादी गौरक्षकों के निशाने पर थे।

पूरा घटनाक्रम

बुलंदशहर का पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है- रविवार रात को स्याना के महाव में खेत में गौवंश के अवशेष मिलने की ख़बर आई। सोमवार सुबह तक ये ख़बर आसपास के गांवों में पहुंच गई। इससे गुस्साए लोगों ट्रैक्टर-ट्रॉली में ये अवशेष लेकर चिंगरावठी पुलिस चौकी पहुंच गए। बजरंग दल और ऐसे ही कई संगठनों के लोग भी वहां आ पहुंचे और फिर हंगामा शुरू हो गया। इस भीड़ ने न केवल बुलंदशहर-गढ़मुक्तेश्वर हाईवे जाम कर दिया बल्कि चौकी पर भी हमला किया और पथराव करते हुए कई वाहनों में आग लगा दी। इस दौरान पुलिस की ओर से लाठीचार्ज भी किया गया। लेकिन मामला नहीं संभला।

उग्र भीड़ ने पुलिस वालों को चौकी में बंद कर आग लगा दी गई। इस दौरान वहां सीओ भी मौजूद थे। बताया जाता है कि सबने बैरक का रौशनदान तोड़कर अपनी जान बचाई।

इस दौरान भीड़ की तरफ से जबर्दस्त पथराव और गोलीबारी भी की गई। बताया जा रहा है कि इसी में इंस्पेक्टर सुबोध की जान गई। बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर सुबोध पर पत्थर, धारदार हथियार और पिस्तौल तीनों से हमला किया गया।

इंस्पेक्टर सुबोध की गाड़ी के ड्राइवर के मीडिया में दिए गए के अनुसार इंस्पेक्टर सुबोध उसे घायल अवस्था में पुलिस चौकी की बाउंड्री के पास पड़े मिले। वो और अन्य पुलिसवाले उन्हें गाड़ी में इलाज के लिए अस्पताल ले जा रहे थे कि तभी भीड़ ने दूसरी बार हमला कर दिया। मारो-मारो के शोर के साथ आई भीड़ से वे घबरा गए और घायल इंस्पेक्टर सुबोध को गाड़ी में छोड़कर ही भाग गए। ड्राइवर के मुताबिक जब अन्य पुलिस वाले भी भाग गए तो उसने भी अपनी जान बचाने के लिए भागना ही ठीक समझा।

इसके बाद इंस्पेक्टर सुबोध एक बार फिर भीड़ का शिकार बन गए। अगर उस समय उन्हें अस्पताल ले जाया जा सकता तो वो बच सकते थे। इससे ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कुछ उपद्रवी लोग नहीं चाहते थे कि इंस्पेक्टर सुबोध की जान बचे। इसके बाद का एक वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें पुलिस की गाड़ी एक खेत में खड़ी है। उसके दरवाजे भी खुले हैं और एक तरफ इंस्पेक्टर सुबोध की लाश बाहर लटकी है। इस दौरान कुछ लोग फोटो खींचते और वीडियो बनाते दिखते हैं।

इस पूरे बवाल के दौरान गोली लगने से एक अन्य युवक सुमित की भी मौत हो गई। उसके घर भी मातम छाया है। बताया जा रहा है कि वो इस सब बवाल का हिस्सा भी नहीं था और अपने दोस्त को बस स्टैंड तक छोड़ने गया था और उसी दौरान उसे गोली लग गई।

इस घटना से चौतरफा घिरे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एडीजी इंटेलीजेंस एसबी शिरडकर को मौके पर जाकर दो दिन में जांच कर पूरी रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने शहीद इंस्पेक्टर सुबोध की पत्नी को 40 लाख और माता-पिता को 10 लाख की आर्थिक सहायता के अलाव पेंशन और एक सदस्य को नौकरी देने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने युवक सुमित की मौत पर भी दुख जताया।

घटना के बाद एडीजी प्रशांत कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। गौकशी का मुकदमा दर्ज होने के बाद भी बवाल क्यों हुआ इसकी गहन जांच कराई जाएगी। गौकशी और बवाल करने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी।  

2 गिरफ्तार, 4 हिरासत में

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक बुलंदशहर जिले में भीड़ द्वारा हमला करने के मामले में पुलिस ने आज मंगलवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया है और चार को हिरासत में लिया है।

प्राथमिकी (एफआईआर) के अनुसार, 28 लोगों को नामजद किया गया है जबकि सोमवार की घटना में 60 लोगों को अज्ञात के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

दर्ज प्राथमिकी में बजरंग दल के एक वरिष्ठ नेता योगेश राज को भी नामजद किया गया है, जिन्होंने इससे पहले गौ हत्या का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

आईएएनएस के मुताबिक पुलिस जब भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही थी, तभी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को सिर में सामने से गोली मारी गई।बुलंदशहर में तनावपूर्ण स्थिति के चलते बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।

“बुलंदशहर कांड संघ-भाजपा की साजिशों का नतीजा”

अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने बुलंदशहर कांड को संघ-भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को बढ़ाने की साजिश करार दिया है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि देश के किसानों की एकता और उनके आंदोलन को तोड़ने की इस साम्प्रदायिक साजिश का मुंहतोड़ जवाब दें। उन्होंने इस घटना में एक पुलिस अधिकारी और एक अन्य की हत्या की भी कड़ी निंदा की।

शर्मा ने कहा कि मोदी-योगी सरकार हर मोर्चे पर विफल है। यह सरकार किसानों - मजदूरों का दमन करने वाली और बड़े पूंजीपतियों को देश के संशाधन लुटाने वाली साबित हुई है। उन्होंने कहा मोदी-योगी देश में चल रहे किसान आंदोलन और उसके पक्ष में समाज के हर तबके के समर्थन से घबरा गए हैं। ऐसे में 2019 के चुनावों के लिए इस सरकार के खिलाफ देश भर में बन रही किसानों-मजदूरों की एकता से घबराकर यह सरकार अब किसान आंदोलन के गढ़ों में साम्प्रदायिक विभाजन के षड़यंत्र रच रही है। पुरुषोत्तम शर्मा ने बुलंदशहर और पश्चिमी यूपी के किसानों का आह्वान किया है कि इस क्षेत्र का माहौल बिगाड़ने की इस साजिश का जवाब कैराना के उपचुनाव की तरह किसानों की एकता के बल पर दें।

एआईपीएफ  ने की न्यायिक जांच की मांग

आल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) ने भी बुलंदशहर में हुई हिंसा की भर्त्सना करते हुए दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है।

एआईपीएफ सचिवालय टीम की ओर से जारी एक बयान में एआईपीएफ संयोजक गिरिजा पाठक ने कहा कि बुलंदशहर के भीतर मरे हुए मवेशियों का मिलना और उसके बाद भड़की हिंसा और उसमें पुलिस इंस्पेक्टर और एक नागरिक की मृत्यु से हालात बेहद संवेदनशील हो गए हैं।इस पूरे मामले में सांप्रदायिक ताकतों की भूमिका नजर आ रही है। बुलंदशहर में तब्लीगी जमात का तीन रोज़ा इज्तमा था जिसके समापन के बाद लोग लौटने की प्रक्रिया में थे। ऐसे मौके को हमेशा ही सांप्रदायिक ताकतें अपने लिए मुफीद मानती हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के भीतर भाजपा की योगी सरकार प्रदेश में  अल्पसंख्यकों-दलितों समाज के कमजोर तबकों के प्रति लगातार हमलावर रही है और लोकसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं मंदिर-मस्जिद मुद्दे, जातीय-सांप्रदायिक तनाव भड़काकर योगी-मोदी सरकार अपना चिरपरिचित कुत्सित चाल चलने की कोशिश कर रही है।

एआईपीएफ ने बुलंदशहर हिंसा की न्यायिक जांच के साथ  सांप्रदायिक ताकतों द्वारा उपद्रव और तनाव को बढ़ाने की किसी भी कोशिश को रोकने के लिए सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से कार्रवाई करने की मांग की है।

साथ ही बुलंदशहर के शांतिप्रिय नागरिकों से धैर्य बनाए रखकर सांप्रदायिक ताकतों के मकसद को किसी भी हालत में सफल न होने देने की अपील की है।

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