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क्या मध्यप्रदेश में बीजेपी का शासन बच्चों और महिलाओं के जीवन के लिये खतरा है?

पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्य में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
CHILDABUSE

मध्यप्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार की चौंकाने वाली घटनाएँ जारी हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से पता चलता है कि हाल ही में राज्य में जो बलात्कार के मामले सामने आये हैं उन्हें दरअसल एक बृहत्तर परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिएI पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्यों में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

 

राज्य की सबसे हाल की घटनाओं में से कुछ हैं- खजुराहो में 6 जुलाई और 7 जुलाई को तीन नाबालिग लड़कों ने 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया। सतना ज़िले में एक और घटना में चार वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर 23 वर्षीय व्यक्ति ने बलात्कार किया जो उसके अपने परिवार के सदस्य था। इससे पहले 26 जून को मंदसौर ज़िले के दो लोगों ने एक आठ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था और उसे क्रूरता से घायल भी कर दिया था।

राज्य में पिछले 15 वर्षों में नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले में तेज वृद्धि दर्ज की है। एनसीआरबी के आँकड़ों का कहना है कि 2001 में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार के 390 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में यह संख्या बढ़कर 2,467 हो गई थी यानी 532 प्रतिशत की वृद्धि। अगर हम यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार के मामलों की कुल संख्या पर ध्यान दें तो यह वृद्धि अधिक चौंकाने वाली है। 2016 में 360 से बढ़कर 4,717 हो गयी। 2001 से 2016 के बीच देशभर में दर्ज बच्चों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के कुल 1,53,701 मामलों में से 23,659 मामले अकेले मध्यप्रदेश में हुए थे।

इससे पहले दिसंबर में, विधायिका ने एक बिल पारित किया जिसमें 12 साल तक के नाबालिगों के साथ बलात्कार के लिए दोषी को मृत्युदंड का प्रस्ताव था। हालांकि, राज्य में नाबालिग और महिलाएँ अब भी असुरक्षित हैं। राज्य विधानसभा में पेश किये गये आँकड़ों से इस क्रूर स्थिति की वास्तविकता और स्पष्ट होती है। पिछले मार्च में, विधानसभा को सूचित किया गया था कि 62 महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार किया गया था, 43 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी और नवंबर 2017 से कम से कम 10 को ज़िन्दा जला दिया गया।

इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाले आँकड़े नवंबर 2017 और 15 फरवरी 2018 के बीच के हैं, इस दौरान 33 नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया।

यदि हम राज्य में बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों की घटनाओं और उसकी दर पर विचार करते हैं तो 2004 में 3,656 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2016 मे वे 13,746 पर पहुँच गएI

एनसीआरबी आँकड़ों के मुताबिक, आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों पर विचार करते हुए और देश भर में पीओसीएसओ की धारा 4 और 6 के तहत 2015 में 10,854 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, 2016 में 19,765 ऐसे मामलों की सूचना मिली थी। 2016 में, मध्य प्रदेश में 2,467 के रूप में उच्चतम संख्या के साथ सबसे अधिक मामले सामने आए। महाराष्ट्र 2,292 और उत्तर प्रदेश में 2,115 के मामले सामने आये।

2003 में विधानसभा चुनावों में एक ज़िम्मेदार सरकार बनने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई थी। हालांकि "ज़िम्मेदार" शासन 2003 से राज्य की सत्ता में काबिज़ है लेकिन तभी से महिलाओं के खिलाफ अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। 2004 में, महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों के 15,203 मामले एमपी में दर्ज किए गए थे। एक दशक बाद, 2016 में, देश भर में कुल मामलों में से 7.8 प्रतिशत मामले यानि 26,604 मामले दर्ज किए गए।

रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 2003 में सत्ता में आने के बाद से नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले बीजेपी शासन के तहत बढ़ गए हैं।

मध्यप्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार की चौंकाने वाली घटनाएँ जारी हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से पता चलता है कि हाल ही में राज्य में जो बलात्कार के मामले सामने आये हैं उन्हें दरअसल एक बृहत्तर परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिएI पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्यों में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

 

राज्य की सबसे हाल की घटनाओं में से कुछ हैं- खजुराहो में 6 जुलाई और 7 जुलाई को तीन नाबालिग लड़कों ने 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया। सतना ज़िले में एक और घटना में चार वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर 23 वर्षीय व्यक्ति ने बलात्कार किया जो उसके अपने परिवार के सदस्य था। इससे पहले 26 जून को मंदसौर ज़िले के दो लोगों ने एक आठ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था और उसे क्रूरता से घायल भी कर दिया था।

राज्य में पिछले 15 वर्षों में नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले में तेज वृद्धि दर्ज की है। एनसीआरबी के आँकड़ों का कहना है कि 2001 में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार के 390 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में यह संख्या बढ़कर 2,467 हो गई थी यानी 532 प्रतिशत की वृद्धि। अगर हम यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार के मामलों की कुल संख्या पर ध्यान दें तो यह वृद्धि अधिक चौंकाने वाली है। 2016 में 360 से बढ़कर 4,717 हो गयी। 2001 से 2016 के बीच देशभर में दर्ज बच्चों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के कुल 1,53,701 मामलों में से 23,659 मामले अकेले मध्यप्रदेश में हुए थे।

इससे पहले दिसंबर में, विधायिका ने एक बिल पारित किया जिसमें 12 साल तक के नाबालिगों के साथ बलात्कार के लिए दोषी को मृत्युदंड का प्रस्ताव था। हालांकि, राज्य में नाबालिग और महिलाएँ अब भी असुरक्षित हैं। राज्य विधानसभा में पेश किये गये आँकड़ों से इस क्रूर स्थिति की वास्तविकता और स्पष्ट होती है। पिछले मार्च में, विधानसभा को सूचित किया गया था कि 62 महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार किया गया था, 43 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी और नवंबर 2017 से कम से कम 10 को ज़िन्दा जला दिया गया।

इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाले आँकड़े नवंबर 2017 और 15 फरवरी 2018 के बीच के हैं, इस दौरान 33 नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया।

यदि हम राज्य में बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों की घटनाओं और उसकी दर पर विचार करते हैं तो 2004 में 3,656 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2016 मे वे 13,746 पर पहुँच गएI

एनसीआरबी आँकड़ों के मुताबिक, आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों पर विचार करते हुए और देश भर में पीओसीएसओ की धारा 4 और 6 के तहत 2015 में 10,854 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, 2016 में 19,765 ऐसे मामलों की सूचना मिली थी। 2016 में, मध्य प्रदेश में 2,467 के रूप में उच्चतम संख्या के साथ सबसे अधिक मामले सामने आए। महाराष्ट्र 2,292 और उत्तर प्रदेश में 2,115 के मामले सामने आये।

2003 में विधानसभा चुनावों में एक ज़िम्मेदार सरकार बनने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई थी। हालांकि "ज़िम्मेदार" शासन 2003 से राज्य की सत्ता में काबिज़ है लेकिन तभी से महिलाओं के खिलाफ अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। 2004 में, महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों के 15,203 मामले एमपी में दर्ज किए गए थे। एक दशक बाद, 2016 में, देश भर में कुल मामलों में से 7.8 प्रतिशत मामले यानि 26,604 मामले दर्ज किए गए।

रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 2003 में सत्ता में आने के बाद से नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले बीजेपी शासन के तहत बढ़ गए हैं।

मध्यप्रदेश में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार की चौंकाने वाली घटनाएँ जारी हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से पता चलता है कि हाल ही में राज्य में जो बलात्कार के मामले सामने आये हैं उन्हें दरअसल एक बृहत्तर परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिएI पिछले 15 वर्षों के दौरान, राज्यों में बलात्कार के मामलों में 532 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

 

राज्य की सबसे हाल की घटनाओं में से कुछ हैं- खजुराहो में 6 जुलाई और 7 जुलाई को तीन नाबालिग लड़कों ने 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया। सतना ज़िले में एक और घटना में चार वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर 23 वर्षीय व्यक्ति ने बलात्कार किया जो उसके अपने परिवार के सदस्य था। इससे पहले 26 जून को मंदसौर ज़िले के दो लोगों ने एक आठ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया था और उसे क्रूरता से घायल भी कर दिया था।

राज्य में पिछले 15 वर्षों में नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले में तेज वृद्धि दर्ज की है। एनसीआरबी के आँकड़ों का कहना है कि 2001 में नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार के 390 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में यह संख्या बढ़कर 2,467 हो गई थी यानी 532 प्रतिशत की वृद्धि। अगर हम यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार के मामलों की कुल संख्या पर ध्यान दें तो यह वृद्धि अधिक चौंकाने वाली है। 2016 में 360 से बढ़कर 4,717 हो गयी। 2001 से 2016 के बीच देशभर में दर्ज बच्चों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के कुल 1,53,701 मामलों में से 23,659 मामले अकेले मध्यप्रदेश में हुए थे।

इससे पहले दिसंबर में, विधायिका ने एक बिल पारित किया जिसमें 12 साल तक के नाबालिगों के साथ बलात्कार के लिए दोषी को मृत्युदंड का प्रस्ताव था। हालांकि, राज्य में नाबालिग और महिलाएँ अब भी असुरक्षित हैं। राज्य विधानसभा में पेश किये गये आँकड़ों से इस क्रूर स्थिति की वास्तविकता और स्पष्ट होती है। पिछले मार्च में, विधानसभा को सूचित किया गया था कि 62 महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार किया गया था, 43 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी और नवंबर 2017 से कम से कम 10 को ज़िन्दा जला दिया गया।

इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाले आँकड़े नवंबर 2017 और 15 फरवरी 2018 के बीच के हैं, इस दौरान 33 नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया।

यदि हम राज्य में बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों की घटनाओं और उसकी दर पर विचार करते हैं तो 2004 में 3,656 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2016 मे वे 13,746 पर पहुँच गएI

एनसीआरबी आँकड़ों के मुताबिक, आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों पर विचार करते हुए और देश भर में पीओसीएसओ की धारा 4 और 6 के तहत 2015 में 10,854 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, 2016 में 19,765 ऐसे मामलों की सूचना मिली थी। 2016 में, मध्य प्रदेश में 2,467 के रूप में उच्चतम संख्या के साथ सबसे अधिक मामले सामने आए। महाराष्ट्र 2,292 और उत्तर प्रदेश में 2,115 के मामले सामने आये।

2003 में विधानसभा चुनावों में एक ज़िम्मेदार सरकार बनने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई थी। हालांकि "ज़िम्मेदार" शासन 2003 से राज्य की सत्ता में काबिज़ है लेकिन तभी से महिलाओं के खिलाफ अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। 2004 में, महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों के 15,203 मामले एमपी में दर्ज किए गए थे। एक दशक बाद, 2016 में, देश भर में कुल मामलों में से 7.8 प्रतिशत मामले यानि 26,604 मामले दर्ज किए गए।

रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 2003 में सत्ता में आने के बाद से नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ हमले बीजेपी शासन के तहत बढ़ गए हैं।

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