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यूपी का रणः मोदी के खिलाफ बगावत पर उतरे बनारस के अधिवक्ता, किसानों ने भी खोल दिया मोर्चा

बनारस में ऐन चुनाव के वक्त पर मोदी के खिलाफ आंदोलन खड़ा होना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। इसके तात्कालिक और दीर्घकालिक नतीजे देखने को मिल सकते हैं। तात्कालिक तो यह कि भाजपा के खिलाफ मतदान को बल मिलेगा। दीर्घकालिक नतीजा यह निकलेगा कि इसका असर देश की समूची राजनीति पर पड़ेगा।
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बनारस में भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते अधिवक्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिर आखों पर बैठाने वाले बनारसियों ने अब उनके खिलाफ जबर्दस्त मोर्चा खोल दिया है। डबल इंजन की सरकार की मनमानी, किसानों के साथ वादाखिलाफी, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से आक्रोशित बड़ी संख्या में अधिवक्ता बुधवार की शाम सड़क पर उतरे और मोदी-योगी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए गुस्से का इजहार किया। दूसरी तरफ, संयुक्त किसान मोर्चा के कई दिग्गज बनारस पहुंचे और अन्नदाता के साथ छल करने वाली भाजपा को दंडित करने के लिए फतवा जारी किया। यह पहला मौका है जब बनारस के अधिवक्ता और किसान दोनों ने डबल इंजन की सरकार खिलाफ मोर्चा खोला है। विरोध का बिगुल ऐसे समय में फूंका गया है जब पीएम नरेंद्र मोदी और उनके तमाम सिपहसलार सियासी जंग लड़ने बनारस आ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में सातवें और अखिरी चरण में नौ जिलों की 54 सीटों पर सात मार्च को मतदान होना है। जिन जिलों में आखिरी दौर में मुकाबला होना है उनमें आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, संत रविदास नगर, मिर्जापुर, चंदौली, सोनभद्र के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी के बनारस की आठ सीटें भी शामिल हैं। हालांकि बनारस की जो सीटें मोदी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई हैं उनमें शहर उत्तरी, शहर दक्षिणी, कैंट रोहनिया और सेवापुरी हैं। यहीं से मोदी सांसद भी हैं। चुनावी की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, भाजपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बनारस के अधिवक्ताओं ने इस सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में विशाल रैली निकालकर यह बता दिया कि शहर का प्रबुद्ध तबका अब उनसे हर सवाल का जवाब मांगेगा।

मोदी के विरोध में बाइक रैली

वाराणसी कचहरी के समीप स्थित अंबेडकर पार्क से अधिवक्ताओं ने विशाल बाइक रैली निकाली। रैली में शामिल अधिवक्ता, "तख्त बदल दो-ताज बदल दो, बेईमानों का राज बदल दो", "किसानों के हत्यारों को- वोट मत दो गद्दारों को..." के नारे लगा रहे थे। बाइक रैली गोलघर, पुलिस लाइन, मकबूल आलम रोड, चौकाघाट, हुकुलगंज, पांडेयपुर, सोनातालाब, पंचकोसी चौराहा, आशापुर चौराहा, सुहेलदेव पार्क सारनाथ से होकर चांदमारी पहुंची। वहां से मीरापुर बसही, भोजूबीर, अर्दली बाजार होते हुए अंबेडकर पार्क पहुंचकर समाप्त हुई। रैली में शामिल अधिवक्ताओं ने शहर भर में पर्चे बांटे और पुरानी पेंशन बहाली, जातिगत जनगणना, महिला सुरक्षा, किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी की मांग उठाई।

अंबेडकर पार्क में उमड़े हुजूम को संबोधित करते हुए अधिवक्ताओं ने कहा, "डबल इंजन की सरकार ने देश को बर्बादी की कगार खड़ा कर दिया है। समाज में जहर भरने वालों को नकारने की जरूरत है। सूबे की तरक्की, भाईचारा, लोकतंत्र और संविधान की रक्षा तभी संभव है जब हर परेशान हाल वोटर भाजपा के खिलाफ मतदान करेगा।" अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नुरुल हुदा ने कहा, "मोदी-योगी सरकार ने समाज को टुकड़ों में बांट दिया है। हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद, हिंदुस्तान-पाकिस्तान के नाम हिन्दुस्तानियों को लड़ाने वालों को सबक सिखाया जाना जरूरी है।"

रैली का संचालन करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने पाखंड और अंधविश्वास फैलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने का आह्वान किया। बाइक रैली में मनमोहन गुप्ता, वीर बहादुर राजभर, सीता, जितेंद्र नारायण यादव, रामदुलार, किशन यादव, डॉक्टर शिवपूजन यादव,  विनोद कुमार, कमलेश यादव समेत सैकड़ों अधिवक्ताओँ ने भाग लिया।

भाजपा के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले अधिवक्ताओं की मुहिम पर त्वरित टिप्पणी करते हुए वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार एवं चुनाव विश्लेषक प्रदीप कुमार ने "न्यूजक्लिक" से कहा, "भाजपा की अड़ियल और दोषपूर्ण नीतियों से हर कोई आजिज है। जनता का असंतोष अब फूटकर बाहर आने लगा है। बनारस में ऐन चुनाव के वक्त पर मोदी के खिलाफ आंदोलन खड़ा होना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। इसके तात्कालिक और दीर्घकालिक नतीजे देखने को मिल सकते हैं। तात्कालिक तो यह कि भाजपा के खिलाफ मतदान को बल मिलेगा। दीर्घकालिक नतीजा यह निकलेगा कि इसका असर देश की समूची राजनीति पर पड़ेगा। दीर्घकालिक यह नतीजा यह निकलेगा कि इसका असर देश की समूची राजनीति पर पड़ेगा। इस चुनाव में ऐसे तबके मुखर दिख रहे हैं जो अब तक अपनी समस्याओं और मुद्दों को लेकर सड़क पर नहीं उतरते थे। ऐसे तबके का आक्रोश जब सड़क पर उतरेगा तो चुनाव के मुद्दे भी नए तरीके से तय होंगे। खासकर वो मुद्दे जिन्हें भाजपा चुनावी परिदृश्य से हटाना चाहती है या फिर उनसे नजरें चुरा रही है।" 

किसान करें भाजपा को दंडित

बनारस के अधिवक्ता जिस समय मोदी सरकार के खिलाफ शहर में बाइक रैली निकाल रहे थे, ठीक उसी समय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) पूर्वांचल के किसानों से भाजपा को सबक सिखाने की अपील कर रहा था। एसकेएम के सीनियर लीडर हन्नान मोल्ला, प्रो.योगेंद्र यादव, शशिकांत, मुकुट सिंह, डा.सुनीलम और दीपक लांबा ने मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंका। किसान नेताओं ने कहा, "आंदोलन के स्थगन के वक्त सरकार ने किसानों से जो वादे किए थे,  उन्हें आज तक पूरा नहीं किया गया, लिहाजा यूपी असेंबली चुनाव में वो भाजपा को दंडित करें। किसान नेताओं ने कहा कि जब मोर्चा ने आंदोलन स्थगित किया था तो सरकार ने वादा किया था कि फसलों पर एमएसपी तय करने के लिए शीघ्र ही पैनल का गठन कर दिया जाएगा। साथ ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे। मोदी सरकार ने दोनों वादे पूरे नहीं किए।"

किसानों को संबोधित करते प्रो.योगेंद्र यादव 

बनारस के पराड़कर भवन सभागार में मीडिया से बातचीत करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा, "संयुक्त किसान मोर्चा पूर्वांचल के किसानों से अपील कर रहा है कि वो अपने साथ हुए छल के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हर हाल में दंडित करें। मोदी सरकार ने उनकी कोई मांग पूरी नहीं की है। एमएसपी के लिए अभी तक न तो समिति गठित की गई है और न ही किसानों के खिलाफ मामले वापस लिए गए हैं।"

संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर करीब एक साल तक आंदोलन किया था। इस मोर्चा में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसान शामिल थे। किसान आंदोलन के दबाव में सरकार ने आखिरकार तीनों कानून वापस ले लिए, जिसके बाद मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बनारस में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "भाजपा को सजा देने का वक्त आ गया है।"

इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक पर्चा जारी किया, जिसमें भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की अपील को गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि किसानों को अपनी फसल और नस्ल बचानी है तो भाजपा को सत्ता से बेदखल कर सबक सिखाना होगा। जब देश के किसान दिल्ली बार्डरों पर अपनी मांगों को लेकर बैठे थे तब भाजपाइयों ने उन्हें देशद्रोही, आतंकवादी और दलाल कहकर अपमानित किया था। पीएम मोदी ने किसानों के लिए वादा किया था कि गन्ने का भुगतान 14 दिनों में कर दिया जाएगा। महीनों गुजर गए, पर भुगतान नहीं किया गया। दावा सस्ती बिजली देने का किया गया और आज यूपी के किसानों को सबसे ज्यादा महंगी बिजली मिल रही है। गोवंश की सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे करने वाली योगी सरकार ने किसानों को तबाह कर दिया। छुट्टे जानवरों से किसान बेहाल हैं। मजदूर पलायन करने पर विवश है। बेरोजगार सड़कों पर भटक रहे हैं। इस तरफ से ध्यान बांटने के लिए भाजपा हिन्दू-मुसलमान और जात-बिरादरी का झगड़ा खड़ा करा रही है। भाजपा ने यूपी से गुंडाराज खत्म करने का ऐलान किया था, लेकिन गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे ने निहत्थे आंदोलनकारियों पर योजनाबद्ध ढंग से गाड़ी चढ़ा दी। मंत्री को बर्खास्त करना तो दूर, यह शातिर अपराधी कुछ ही दिनों में जेल से बाहर आ गया।

पंचायत में शामिल पूर्वांचल के प्रगतिशील किसान

मीडिया से रुबरु होने के बाद पूर्वांचल के किसानों को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हन्नान मोल्ला और योगेंद्र यादव ने कहा, "भाजपा सरकार सच-झूठ की भाषा नहीं समझती है। अच्छे-बुरे में भेद नहीं बूझती। इंसानियत नहीं जानती। यह पार्टी सिर्फ वोट की भाषा समझती है। अन्नदाता का दमन और अपमान करने वाली भाजपा को उसी की भाषा में अपनी बात सुननी पड़ेगी। मतदान के समय उन 750 शहीद किसानों का चेहरा याद करने की जरूरत है, जिन्होंने अन्नदाता के हक-हकूक के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।" किसान पंचायत में सुनील सहश्रबुद्धे, राजेंद्र चौधरी, अफलातून, रामजन्म, अजय राय, विक्रमा मौर्य, संतोष कुमार, डा.महेश विक्रम, चंदल मुखर्जी, प्रज्ञा सिंह, डा.राजेश यादव, रामाज्ञा, शैलेश, शेषमणि, रामकेवल समेत पूर्वांचल के सभी प्रमुख किसान नेता शामिल थे। बनारस से कुछ दिन पहले ही संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने जौनपुर में मीडिया से बात करते हुए भाजपा को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया था।

ममता ने दिया जवाब

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने दो दिवसीय दौरे पर दो मार्च की शाम बनारस पहुंचीं तो भाजपाइयों ने यहां बवंडर खड़ा कर दिया। ममता को दशाश्वेध घाट पर आयोजित गंगा आरती में शामिल होना था। वह गंगा आरती देखने निकलीं तो पहले से घात लगाए बैठे योगी आदित्यनाथ की पार्टी हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने चेतगंज में उनके काफिले को रोक लिया और नारेबाजी व प्रदर्शन शुरू कर दिया। तब ममता बनर्जी सड़क पर तनकर खड़ी हो गईं और कहा, "न डरूंगी, न भागूंगी"। ममता के अड़ने पर हियुवा कार्यकर्ता खुद भाग खड़े हुए। बाद में वह गोदौलिया चौराहे पर पहुंचीं तो वहां भी पहले से घात लगाए भाजपाइयों ने ममता बनर्जी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। साथ ही उन्हें काले झंडे भी दिखाए। भाजपाइयों के सुनियोजित विरोध का बंगाल की मुख्यमंत्री पर कोई असर नहीं पड़ा। वह दशाश्वमेध घाट पर पहुंची और गंगा घाट की सीढ़ियों पर बैठकर आरती में शामिल हुईं।

भाजपा के खिलाफ प्रचार के लिए बनारस पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री मसता बनर्जी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बदसलूकी पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट कर इस तरह अपने गुस्से का इजहार किया, "भाजपा के बिगड़े हालात हैं, क्योंकि दीदी-भइया साथ हैं। भाजपा पश्चिम बंगाल में हुई शर्मिंदा हार के सदमें से अभी भी नहीं उबरी है। इसलिए सुश्री मतमा बनर्जी को बनारस में काले झंडे दिखा रही है। ये भाजपाइयों की हताशा का ही दूसरा रूप है, क्योंकि वो जानते हैं कि वो उप्र में भी बुरी तरह हार रहे हैं।"

बनारस के ऐढे गांव में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की रैली है, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को भी शामिल होना है। ममता के साथ अप्रत्याशित ढंग से हुई घटना को लेकर सपा नेता और कार्यकर्ता बेहद गुस्से में हैं। पार्टी के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने "न्यूजक्लिक" से कहा, "भाजपा समचे बनारस और विश्वनाथ मंदिर को अपनी राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहती है। आस्था के किसी भी केंद्र पर पूजन-अर्चन के लिए जाने से बलात रोका जाना काशी के इतिहास में पहली बार हुआ है। इस तरह की हरकत से काशी की महान परंपरा को आघात पहुंचा है। भाजपाइयों के इस कृत्य से बंग समाज के लोग काफी दुखी और नाराज हैं। जीवनदायिनी गंगा, उसके घाट और बाबा विश्वनाथ सबके हैं। ये भाजपा की संपत्ति नहीं हैं। इस निंदनीय हरकत को काशी के प्रबुद्ध समाज ने गंभीरता से लिया है और इसे भाजपा की गंदी राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं। इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी स्थिति साफ नहीं करेंगे तो यह माना जाएगा कि इसके पीछे उनकी सहमति है।

(लेखक बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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