Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

मणिपुर में भाजपा की गठबंधन सरकार को ख़तरा, अलग हो सकता है एनपीएफ

नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के प्रदेश इकाई के प्रमुख अवांगबू नेवमई ने दावा किया कि भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों को तुच्छ समझती है। पार्टी शनिवार को बैठक कर समर्थन वापसी पर फैसला लेगी।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह
Image Courtesy: Amar Ujala

इंफाल : नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के बागी तेवर दिखाने से मणिपुर में बीजेपी नेतृत्व की गठबंधन सरकार को ख़तरा पैदा हो गया है।

गठबंधन की सहयोगी पार्टी एनपीएफ ने कहा है कि पार्टी उसके विचारों और सुझावों को तवज्जो नहीं दे रही है। एनपीएफ ने शनिवार को इस बात पर फैसला करने के लिये अपने नेताओं की बैठक बुलायी है कि उसे गठबंधन में बने रहना है या अपना समर्थन वापस लेना है।

इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा ने कहा कि उसने सरकार के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये अपने सहयोगियों को हरसंभव सुविधाएं दी हैं।

 ‘पीटीआई’ से बात करते हुए नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के प्रदेश इकाई के प्रमुख अवांगबू नेवमई ने दावा किया कि भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों को तुच्छ समझती है।

इस बारे में विस्तृत जानकारी दिये बिना उन्होंने कहा, ‘‘2016 में गठबंधन सरकार के गठन के बाद से भाजपा ने कभी गठबंधन की मूल भावना का सम्मान नहीं किया। ऐसे कई मौके आये जब उनके नेताओं ने हमारे सदस्यों को गठबंधन सहयोगी मानने से इनकार किया।’’

60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीएफ के चार विधायक हैं।

हमारे चारों विधायकों में से लोशी दिखो मंत्री हैं, जो माओ विधानसभा सीट से विधायक हैं।

नेवमई ने यह भी कहा कि भगवा पार्टी ने अपने गठबंधन सहयोगियों को जो वादे किये थे उसे कभी पूरा नहीं किया।

उन्होंने दावा किया, ‘‘एनपीएफ ने हमेशा भाजपा को अपने बड़े भाई की तरह समझा है लेकिन यह भगवा पार्टी को हमें झांसा देने से नहीं रोक पाया। हमें उचित सम्मान नहीं मिला।’’

नेवमई के दावों को गलत बताते हुए मणिपुर में भाजपा प्रवक्ता सीएच बिजॉय ने कहा कि एनपीएफ ने गठबंधन में शामिल होने के दौरान कहा था कि उसे मंत्री पद नहीं चाहिए लेकिन अब ऐसा लगता है कि पार्टी की कई मांगें हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एनपीएफ की मांगें पूरी तरह निराधार और बेबुनियाद हैं। सरकार के सुचारू कामकाज के लिये हमारे गठबंधन सहयोगियों को हरसंभव सुविधाएं दी गयी हैं।’’

आपको बता दें कि 2017 में हुए मणिपुर विधानसभा के चुनाव में किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। हालांकि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। लेकिन सरकार बनाने का मौका मिला बीजेपी को।

मणिपुर में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं। 2017 में कांग्रेस ने 28 सीटें जीती, जबकि बीजेपी को 21 सीटें मिलीं लेकिन अन्य छोटे दलों, एक निर्दलीय और कांग्रेस के एक विधायक के समर्थन से बीजेपी ने 32 विधायकों का समर्थन जुटा लिया है, और सरकार बना ली। सबसे बड़ी पार्टी के दावे के बावजूद कांग्रेस को सरकार बनाने का पहला मौका नहीं दिया गया। बीजेपी का साथ देने वालों में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 4 विधायक रहे। अब अगर एनपीएफ अपना समर्थन वापस ले लेती है तो बीजेपी के एन बीरेन सिंह के नेतृत्व की सरकार अल्पमत में आ जाएगी।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest