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मणिपुर में भाजपा सरकार बनाने की प्रबल दावेदार केवल बहुमत का इंतज़ार

मणिपुर की बात करें तो मणिपुर में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं। बहुमत के लिए 31 सीटों की जरूरत है। खबर लिखने तक मणिपुर में भी भाजपा 60 में से 15 सीट जीत चुकी है और 13 सीट पर आगे चल रही है।
biren singh

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावके नतीजे तकरीबन साफ़ हो गए हैं। यह साफ़ हो गया है कि पैसे और मीडिया के दम पर भारतीय जनता पार्टी ने पाँच में चार राज्यों में खुद को सरकार का प्रबल दावेदार बना दिया है। केवल पंजाब को छोड़कर गोवा,उत्तर प्रदेश,उत्तराखण्ड और मणिपुर सभी जगहों पर भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने जा रही है।  मणिपुर की बात करें तो मणिपुर में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं। बहुमत के लिए 31 सीटों की जरूरत है। खबर लिखने तक मणिपुर में भी भाजपा 60 में से 15 सीट जीत चुकी है और 13 सीट पर आगे चल रही है। मणिपुर में कांग्रेस ने 3, NPP ने 2, जनता दल (यूनाइटेड) ने 4, NPF ने 1, कूकी अलायंस ने 1 और निर्दलीय उम्मीदवार ने 2 सीट पर जीत हासिल कर ली है। यहां फिलहाल कांग्रेस को 7, NPP को 7, NPF को 3 और अन्य (जदयू+निर्दलीय+अन्य दल) को 2 सीट पर बढ़त हासिल है। उत्तराखंड में बहुमत के लिए 36, जबकि मणिपुर में 31 सीट की जरूरत है।

हेनिगांग में  मौजूदा मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक एन. बीरेन सिंह ने 17 हजार से ज्यादा वोट से कांग्रेस के पी. शरतचंद्र सिंह को हरा दिया है।थोऊबाल में  2002 से 2017 तक कांग्रेस के CM रहे ओकराम इबोबी सिंह ने भाजपा के एल. बसंता सिंह को 2543 वोट से हरा दिया है।यूरिपोक में भाजपा के नेता रघुमणि सिंह ने NPP नेता व मौजूदा डिप्टी सीएम जॉयकुमार सिंह पर 969 वोट की बढ़त बना ली है।माओ में भाजपा के एस. एलकजेंडर मैखो से NPF नेता व मौजूदा मंत्री लॉसी दिकहो 8479 वोट से आगे चल रहे हैं।सिंगजामेई में  मौजूदा विधानसभा स्पीकर यू. खेमचंद सिंह (भाजपा) ने कांग्रेस के आई. रोमेन सिंह को 2624 वोटों से हरा दिया है।


आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर जहां NDA यानी National Democratic Alliance बनाया है, वहीं नार्थ-ईस्ट के लिए NEDA यानी North-East Democratic Alliance (नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस) बनाया है। 2017 में शुरुआत में मणिपुर में भाजपा का सत्ता का कोई सीन नहीं था। लेकिन फिर भी उसने जोड़-तोड़ से सरकार बना ली। कांग्रेस बहुमत से केवल तीन सीट दूर रहके भी सरकार नहीं बना पाई जबकि भाजपा ने 10 सीटों के अंतर के बाद भी सत्ता हथिया ली।हालांकि अभी पिछले साल कोरोना संकट के दौरान जून 2020 में बीजेपी की गठबंधन सरकार गिरते गिरते बची। कुल 9 विधायकों ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसमें भाजपा के भी तीन विधायक शामिल थे जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इस तरह भाजपा के तीन विधायक, एनपीपी के चार विधायक, एक टीएमसी विधायक और एक निर्दलीय विधायक समेत कुल 9 विधायक सरकार से अलग हो गए और सरकार अल्पमत में आ गई।

लेकिन जैसे राष्ट्रीय राजनीति में गोदी मीडिया ने अमित शाह को चाणक्य का ख़िताब दे रखा है, वैसे ही उनके नेता हिमंता बिस्वा शर्मा को पूर्वोत्तर की राजनीति का चाणक्य कहने का रिवाज है। कहते हैं कि उनकी चाणक्य नीति से सरकार बचा ली गई। हालांकि इस चाणक्य नीति में जोड़-तोड़ के अलावा कांग्रेस नेता और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह पर सीबीआई की ओर से दबाव बनाना भी शामिल था। इसी बीच उन्हें धन के दुरुपयोग के मामले में समन भेज दिए गए।

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