पुरी : पुलिसकर्मी ने किया महिला से दुराचार, आधी आबादी किससे लगाए सुरक्षा की गुहार!
देश में महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अभी हाल ही में हैदराबाद की दिल दहला देने वाली घटना के खिलाफ लोगों का गुस्सा और जन सैलाब सड़क से लेकर संसद और सोशल मीडिया तक देखने को मिला। साथ ही इस पूरी घटना पर तेलंगना के गृहमंत्री महमूद अली के बयान की आलोचना भी खूब हुई।
महमूद अली ने इस मामले को लेकर कहा कि 'दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने 100 नंबर पर डायल करने की बजाय अपनी बहन को फोन किया।
अगर ऐसा होता तो उन्हें बचाया जा सकता था'। लेकिन गृहमंत्री जिस पुलिस की बात कर रहे हैं, ओडिशा के पुरी में उसी पुलिस के एक जवान ने एक महिला के साथ कथित दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो जनता मदद के लिए किससे मदद की गुहार लगाए?
क्या है पूरा मामला?
भाषा की खबर के पुरी में सोमवार, 2 दिसंबर को एक पुलिस क्वार्टर में एक पुलिसकर्मी सहित दो व्यक्तियों ने एक महिला के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया। पुलिस ने बताया कि महिला की शिकायत के अनुसार वह नीमपाड़ा शहर में एक बस अड्डे पर खड़ी थी तभी खुद को पुलिसकर्मी बताने वाले एक व्यक्ति ने उसे कार से उसके गंतव्य तक छोड़ने का प्रस्ताव दिया।
महिला ने कुंभारपाड़ा पुलिस थाने के बाहर संवाददाताओं से कहा, 'मैं भुवनेश्वर से अपने गांव काकटपुर जा रही थी। मैंने उस पर विश्वास किया और उससे लिफ्ट ले ली.' महिला के कहा कि कार में बैठते ही उसे तीन अन्य लोग कार में बैठे मिले।
पीड़िता ने बताया,"वे लोग मुझे काकटपुर ले जाने के बजाय पुरी ले गए। वहां एक घर में दो लोगों ने मेरा बलात्कार किया जबकि दो अन्य बाहर से दरवाजा बंद कर के चले गए।"
पुरी शहर में झाड़ेश्वरी क्लब के पास स्थित पुलिस क्वार्टर में पीड़िता का कथित बलात्कार किया गया।
पुलिस ने बताया कि घटना के दौरान पीड़िता ने एक आरोपी का बटुआ ले लिया था जिससे एक आरोपी का फोटो-पहचान पत्र और आधार कार्ड बरामद किया गया है। उसकी मदद से पुलिस ने एक आरोपी की पहचान कर ली है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहचाना गया आरोपी पुलिस कांस्टेबल है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे सेवा से निलंबित कर दिया गया है।
पुरी पुलिस अधीक्षक उमा शंकर दास ने कहा कि अन्य आरोपियों को पकड़ने का प्रयास जारी हैं।
उन्होंने बताया कि इस घटना की जांच के लिए दो विशेष दस्ते बनाए गए हैं। पीड़िता और आरोपी कांस्टेबल को चिकित्सकीय जांच के लिए भेजा गया है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश भर में वर्ष 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए। 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे।
और 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल वृद्धि हुई है।
सरकार इन अपराधों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित होती दिखाई दे रही है, वहीं पुलिस प्रशासन पर जनता का विश्वास डोलता नज़र आ रहा है। ऐसे में जाहिर है देश की आधी आबाधी किससे सुरक्षा और न्याय की आस लगाए?
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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