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फिल्म सिटी में हिन्दू सेना ने धार्मिक उन्माद फैलाने वाले पोस्टर लगाए

‘‘हिन्दू- मोदी को सड़क, पेट्रौल, प्याज, टमाटर के लिए वोट नहीं देता। हिंदू स्वयं को व अपनी नस्ल को बचाने के लिए वोट देता है।”
anti muslim posters in noida

कल रात जब देश की संसद में तर्क-वितर्क या यूँ कह लें कि सरकार द्वारा जनता को मूर्ख बनाया जा रहा था, तब देश के किसी दूर-दराज़ के कोने में नहीं बल्कि देश की राजधानी के समीप नोएडा फिल्म सिटी में देश को धर्म के आधार पर बाँटने की साजीश हो रही थी। नोएडा फिल्म सिटी जिसे लोकतंत्र के चौथे खंभे का केंद्र या मीडिया का हब कहा जाता हैI उसी मीडिया के गढ़ में सवैंधानिक मूल्यों को तार-तार करते पोस्टर लग जाना और इस पर मीडिया का चुप रहना सोच का विषय है।

दरअसल, बीती रात नोएडा फिल्म सिटी में हिंदू सेना के लोगों की तरफ से कई सारे पोस्टर लगाए गए और पोर्स्टस में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाने वाले वाक्य लिखे हुए थे। साथ ही पोस्टर लगाने वाली संस्था व एक व्यक्ति का नाम और नम्बर भी लिखा हुआ था।

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पोस्टर्स पर वाक्य कुछ इस तरह के लिखे हुए थे जैसे ‘‘असीम वकार का बयान- मुस्लिम गुजरात को नहीं भूल सकता। तो भाई हिन्दू क्यों भूलें कि 10 करोड़ हिन्दुओं का नरसंहार मुस्लिम शासकों ने किया।”,  “इस्लाम में शादी नहीं अनुबंध होता है”, ‘‘हिन्दू- मोदी को सड़क, पेट्रोल, प्याज, टमाटर के लिए वोट नहीं देता। हिंदू स्वयं को व अपनी नस्ल को बचाने के लिए वोट देता है।” इस तरह के ब्यान से लबरेज़ तक़रीबन 50 से भी अधिक पोस्टर डीएनडी रोड से लेकर पूरी फिल्म सिटी में लगाया गया था। इन पोस्टर्स पर लगाने वाले का नाम सुरजीत यादव व उसका तथा संस्था का नाम हिन्दू सेना लिखा हुआ था।

जिस इलाके में पुलिस चौकी मौजूद है और जहाँ 24 घंटे पुलिस वालों का आना-जाना यानी पेट्रोलिंग होती रहती है, वहाँ इस तरह की घटना होना अपने आप में आश्चर्य की बात है। कानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ाने वाले व्यक्तियों ने पुलिस वालों की नाक के नीचे पोस्टर लगा लिया और पोस्टर लगाने वालों ने प्रशासन के डर से बिल्कुल बेफिक्र होकर पोस्टर पर अपना नाम व संस्था का भी नाम लिखा।

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स्वामी अग्निवेश पर पिछले दिनों हमला होना, देश के मुसलमानों की गौ-कशी के आरोप में हत्याएँ होना, पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या कर देना। इन सब घटनाओं के आरोपों में सम्मिलित व्यक्ति कहीं न कहीं से वर्तमान में सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी या उस पार्टी की विचाधारा से संबधित व्यक्ति ही होते हैं। तो क्या मीडिया के हब में यह पोस्टर लगा कर यह सूचना पहुँचायी जा रही हैं कि आने वाला 2019 का लोकसभा चुनाव भी ध्रुवीकरण के बल पर ही लड़ा जाएगा। 2019 के चुनाव में भी विकास मुद्दा न होकर हिंदू-मुस्लमान ही होगा।

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गूगल पर ख़ोज करने पर पाया कि हिन्दू सेना के संस्थापक विष्णु यादव हैंI विष्णु यादव पर केरल विधानसभा में गाय के माँस की अफवाह फैलाने के अलावा और भी कई आरोप लगे हैं और प्रशासन ने यादव को कई बार गिरफ्तार भी किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हिन्दू सेना पदमावत विवाद, फिल्म पीके विवाद, प्रियंका चौपड़ा को अपमानित करने व इसके अलावा और भी सांपद्रायिक उन्माद फैलाने वाले घटना क्रमों में शामिल रही है।

ज्ञात हो कि कुछ समय पहले रवीश कुमार को व्हाटसएप ग्रुप ऊं धर्म रक्षति रक्षितः  पर धमकी दी थी और कहा था कि मुझे दुख है कि तू जीवित है। झूठी खबरों को उजागर करने वाली वेबसाईट ऑल्ट न्यूज़ ने जब तहकीकात की तो पाया की यह मैसेज किसी नीरज दबे ने किया था और पड़ताल की तो पता चला कि नीरज दबे एक एक्सपोर्ट कम्पनी का प्रबन्ध निदेशक है और भारतीय जनता पार्टी के तमाम बड़े नेताओं के साथ सम्बन्ध हैं। नोएडा फिल्म सिटी में लगाए गए पोस्टर्स पर भी ऊं धर्म रक्षति रक्षितः  लिखा हुआ है।

पोस्टर्स पर जिस सुरजीत यादव का नाम लिखा हुआ है वह अपने आप को हिन्दू सेना का प्रवक्ता व मुसलमान विरोधी बताता है। उसकी 100 से भी अधिक वीडियो यूट्यूब पर हिंदू सेना नाम के चैनल पर मौजूद हैं और तक़रीबन सभी वीडियो में हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच उन्माद फैलाने, आपस में लड़ाने आदि की बातें करता है।

देश के असल मुद्दों पर आवाज़ उठाने वाली जनता अब न जाने किस ओर मुड़ रही है? आज जब फिल्म सिटी नोएडा में पुलिस आकर पोस्टर्स को हटाने लगी तो वहाँ मौजूद कुछ लोग यह कहने लगे कि इन्हें क्यों हटाया जा रहा है, इनमें क्या गलत लिखा हुआ है? दरअसल, सवाल न केवल सत्ता में बैठे हुए लोगो से है कि वह क्या कर रहे हैं सवाल इन लोगों से भी है कि क्या हिन्दू-मुस्लिम करने से देश का विकास हो जाएगा?

हिंदुस्तान आखिर किस ओर जा रहा है? आखिर वह कौन लोग हैं जिन्हें धर्म के नाम पर उन्माद फैलाने की खुली छूट है? कौन लोग हैं जो देश के संविधान को बार-बार अपमानित करते रहते हैं और सरकार या प्रशासन कार्यवाही के नाम पर अमूमन आँख मूँद कर बैठी रहती है? आखिर इन लोगों के पास यह हिम्मत आती कहाँ से है? सवाल यह भी है कि ऐसी मानसिकता कहाँ से आती है?

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अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि देश को हिन्दू-मुस्लिम के बाँटने में किसका हाथ है या ऐसा करने वालों को कौन सी पार्टी का शय मिलता है। जब अपराधियों पर कार्यवाही होने की बजाए देश के केंद्रीय मंत्री उन्हें माला पहना कर आदर-सत्कार करेंगें तो ऐसी घटना होना आम बात हैI जब तक अपराधियों को सज़ा दिलवाने की बजाए आदर सत्कार होते रहेंगें तब तक हम लोग भारतीय लोकतंत्र में इस तरह के उन्माद की खबरे न केवल देखते व सुनते रहेंगें बल्कि इसके भुक्तभोगी भी बनते रहेंगें।

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