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राजकोट का क़त्ल भारत में दलितों की दुर्दशा पर रोशनी डालता है

National Crime Records Bureau (NCRB) के आँकड़े ये दर्शाते हैं कि बीजेपी के शासन में दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैंI
dalit assertion

गुजरात के राजकोट में एक दलित शख्स को पीट-पीट कर मार डालने की घटना ने फिर से भारत में दलितों की दुर्गति की ओर इशारा किया है I 2016 में ऊना में दलित युवकों को निर्ममता से पीटे जाने की घटना के बाद शुरू हुए आन्दोलन के बावजूद दलित गुजरात में बीजेपी को सत्ता से नहीं हटा पाएI और लगातार हो रही ऐसी घटनाएँ नरेन्द्र मोदी के नारे “सबका साथ सबका विकास” के खोखलेपन को दर्शाती हैI

35 साल के मुकेश वानिया नाम के एक दलित व्यक्ति को रस्सी से बाँध कर सलाखों से निर्ममता से पीटा गयाI बेरहमी से पीटे जाने के बाद इस शख्स की मौत हो गयीI पुलिस की दर्ज़ की गयी रिपोर्ट के अनुसार ये हमला ऑटो-पार्ट फैक्ट्री के मालिक के इशारों पर किया गया था, तथाकथित तौर पर उनकी पत्नी को भी पीटा गया I

इस घटना का विडियो 21 मई की सुबह दलित नेता और गुजरात के वडगाम से विधायक जिगनेश मेवनी ने ट्विटर पर शेयर कियाI इस भयावह विडियो में देखा जा सकता है कि कैसे दो लोग इस शख्स को बुरी तरह से पीट रहे हैं और वह दर्द से चीख रहा हैI ये विडियो इसके बाद वायरल हो गया I हमें इस घटना को अलग करके नहीं देखना चाहिए, इस तरह का दलित उत्पीड़न भारत की एक कड़वी सच्चाई है और ये घटनाएँ लगातार हो रही हैंI 2014, 2015 और 2016 के National Crime Records Bureau (NCRB) के आँकड़े देखने पर साबित होता है कि दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैंI

2014 में Scheduled Castes (SC) पर उत्पीड़न के 40,401 मामले दर्ज़ हुए हैंI 2015 में ये आँकड़ा इससे थोडा ही कम हुआ और 38,670 मामले दर्ज़ हुएI लेकिन अगले साल ये आँकड़ा 40,801 हो गयाI

NCRB 2015 तक SC/ST Prevention of Atrocities (POA) Act के अंतर्गत दर्ज़ हुए मामलों के आँकड़ों के साथ दलितों पर हुए उत्पीड़न के मामलों के भी आँकड़े देता थाI लेकिन 2016 के बाद से ये समस्त आँकड़ा देना बंद कर दिया गया हैI

गौर करने की बात यह है कि पिछले कुछ सालों से दलितों के खिलाफ हुए अपराधों के मामलों में सज़ा मिलने की दर लगातार कम हुई हैI इन मामलों में सज़ा मिलने की दर 2010 में जहाँ 35% थी, तो वहीं 2015 में यह गिरकर 28% रह गईI इसी दौरान Indian Penal Code (IPC) के अंतर्गत दर्ज़ हुए अपराधों में सज़ा मिलने की दर 6% बढ़ी थी और 46.9% हो गयी थीI

2014-16 के आँकड़े दर्शातें हैं कि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है या वह किसी दूसरे दल के साथ गठबंधन में सरकार चला रही है, वहाँ दलितों के खिलाफ अपराध बढ़े हैंI

उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे ऊपर है, 2016 में उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न के 10,426 मामले दर्ज़ हुए थे, यानि देश भर में हुए कुल अपराधों में से 25.6% मामले यहीं पर हुएI उत्तर प्रदेश के बाद 2016 तक के आँकड़ों के हिसाब से दूसरे स्थान पर बिहार है, जहाँ 14% मामले दर्ज़ हुए और इसके बाद राजस्थान जहाँ से 12.6% मामले सामने आये थेI

 अपराधों की दर के हिसाब से दलितों के खिलाफ सबसे ज़्यादा अपराध दर (जो कि 1 लाख लोगों पर हुए अपराधों के हिसाब से नापी जाती है) मध्य प्रदेश की है I मध्य प्रदेश में 2014 में दलितों के खिलाफ अपराधों के 3,294 मामले दर्ज़ हुए, ये आँकड़ा 2015 में 3,546 और 2016 में 4,922 था I 2016 में देश भर में दलितों पर हुए कुल अपराधों में से 12.1% मध्य प्रदेश में ही हुए थे I

इस सूची में अगला नाम राजस्थान का है, 2016 में देश भर में हुए दलितों पर अत्याचारों में से 12.6% राजस्थान में हुए थेI राज्य में दलितों के खिलाफ 2014 में 6,735 मामले दर्ज़ हुए, 2015 में ये आँकड़ा घटकर 5,911 हुआ और 2016 में 5,136I

2016 में कुल संज्ञेय अपराधों में से दलितों के खिलाफ अपराध दर मध्य प्रदेश में 43.4% रही, राजस्थान 42%, गोवा में 36.7%, बिहार में 34.4% और गुजरात में 32.5% I देश पर में दलितों के खिलाफ हुए अपराधों के कुल दर पिछले साल 20.6% थी, दलितों के खिलाफ अपराधों के मामलों की दर में गोवा तीसरे नंबर पर था I जबकी गोवा में 2014 में 13, 2015 भी 13 और पिछले साल भी यहाँ सिर्फ 11 मामले दर्ज़ हुए थेI

पिछले साल बिहार में दलितों के खिलाफ 5,701 मामले दर्ज़ हुए और इस मामले में बिहार चौथे स्थान पर थाI बिहार में दलितों के खिलाफ अपराधों की दर 2016 में 14% थीI बीजेपी फिलहाल बिहार में JD(U) के साथ गठबंधन में हैI JD(U) 2015 में कांग्रेस और RJD के साथ गठबंधन में थीI नीतीश कुमार 2017 इस गठबंधन से बाहर चले गए और बीजेपी से नाता जोड़ लियाI दलितों पर अपराध के मामले में गुजरात 5वें स्थान पर थाI 2014 से दलितों के खिलाफ अपराधों के मामले यहाँ बढ़े हैंI राज्य में 2014 में ऐसे 1,094 मामले दर्ज़ हुए जो 2016 में बढ़कर 1,322 हो गएI 2015 में ये आँकड़े थोड़े कम हुए, 2015 में राज्य में 1,010 मामले दर्ज़ हुए थेI

इस अवधि में गुजरात में दलित उत्पीड़न के खिलाफ काफी आवाज़े उठीI 2015 में दलितों ने तब ज़ोरदार प्रतिरोध किया जब एक परिवार को ऊना में तथाकथित गौरक्षकों द्वारा पीटा गयाI NCRB के आँकड़ों के अनुसार दलितों के खिलाफ अपराध 2015 के मुकाबले 2016 में 5.5% बढ़ गएI देश भर में 2016 में ऐसे 40,801 मामले दर्ज़ हुए, जबकी 2015 में ये आँकड़ा 38,670 थाI

उत्तर प्रदेश के बहराइच से बीजेपी की ही सांसद सावित्री बाई फूले ने 11 अप्रैल को केंद्र सरकार खिलाफ हल्ला बोलते हुए कहा कि इस सरकार के दौरान दलितों पर अत्याचार इतिहास में सबसे ज़्यादा हुएI उन्होंने ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर राज्य सरकार चुप रही है और उत्तर प्रदेश सरकार के शासन के दौरन अम्बेडकर की मूर्तियाँ तोड़े जाने पर रोक नहीं लगी है I

बीजेपी के सांसद उदित राज ने भी बीजेपी पर आरोप लगाया था कि 2 अप्रैल को दलितों द्वारा किये गए भारत बंद के बाद दलित युवाओं पर फर्ज़ी मुकदमें लगाये जा रहे हैं और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा हैI उन्होंने कहा ये ख़ासतौर पर बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुआ हैI

उदित राज ने यह आरोप भी लगाया कि बीजेपी के बाकि दलित नेता इसीलिए नहीं बोल रहे क्योंकि उन्हें डर है कि अगले चुनावों में उनका टिकट कट सकता हैI उदित राज बीजेपी के उन 5 दलित लोकसभा सांसदों में से एक हैं जिन्होंने दलितों में बढ़ रहे गुस्से की वजह से पार्टी के खिलाफ बोला हैI ये सर्वाजनिक बयान दलित नेताओं की पार्टी के भीतर बढ़ रही बेचैनी को दर्शाते हैं, साथ ही यह भी कि ये नेता 2019 के चुनावों के लिए दूसरी पार्टियों के दरवाज़े खुले रखना चाहते हैंI

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